Rajiv Gandhi Foundation: राजीव गांधी फाउंडेशन का लाइसेंस रद, विदेशी फंडिंग के आरोप में हुई कार्रवाई
Rajiv Gandhi Foundation केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द किया है। गृह मंत्रालय द्वारा ये कार्रवाई एक जांच के बाद की गई है।
By Mohd FaisalEdited By: Updated: Sun, 23 Oct 2022 12:16 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। Rajiv Gandhi Foundation- केंद्र सरकार ने गांधी परिवार से जुड़े गैर सरकारी संगठन राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi Foundation) का विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (FCRA) का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई 2020 में गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा की गई जांच के बाद हुई है।
जांच के बाद गृह मंत्रालय ने की कार्रवाई
एक अधिकारी ने बताया कि राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi Foundation) का एफसीआरए (FCRA) लाइसेंस उसके खिलाफ हुई जांच के बाद रद्द कर दिया गया है। बता दें कि राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi Foundation) की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। इसके अलावा राजीव गांधी फाउंडेशन के अन्य ट्रस्टियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं।
1991 में की गई थी स्थापना
बता दें कि राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए की गई थी। सोनिया गांधी के नेतृत्व में जुलाई 1991 में बैठक हुई और फाउंडेशन के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था। 1991 में स्थापित राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi Foundation) ने 1991 से 2009 तक स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिलाओं और बच्चों, विकलांगता सहायता आदि सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम किया है। राजीव गांधी फाउंडेशन वेबसाइट के अनुसार, संगठन ने शिक्षा क्षेत्र में भी काम किया है।
जांच के लिए हुआ था इंटर मिनिस्ट्रियल समिति का गठन
उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट को चीन से फंडिंग के मामले में जांच के लिए इंटर मिनिस्ट्रियल समिति का गठन किया था। मंत्रालय ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA),आयकर अधिनियम, विदेशी चंदा विनियामक अधिनियम (FCRA) आदि के विभिन्न कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन की जांच के लिए इस समिति का गठन किया था।इस समिति में CBI समेत कई विभाग के अधिकारी थे शामिलइस समिति में केंद्रीय गृह और वित्त मंत्रालयों के साथ-साथ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी शामिल थे। यह जांच करना अनिवार्य था कि क्या गांधी परिवार और अन्य कांग्रेस नेताओं द्वारा चलाए जा रहे इन ट्रस्टों ने आयकर दाखिल करते समय किसी दस्तावेज में हेरफेर किया या विदेशों से प्राप्त धन का दुरुपयोग और लॉन्ड्रिंग की है।
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