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केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी बोले, शहरी गरीबों पर पड़ रहा जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से शहरी गरीब बस्तियों में रहने वालों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों पर बिगड़ते मौसम की सबसे ज्यादा मार पड़ती है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Mon, 11 Oct 2021 09:17 PM (IST)
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हरदीप पुरी ने कहा, विकसित देशों के मुकाबले भारत में कार्बन उत्सर्जन बहुत कम
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शहरी क्षेत्रों में सबको घर, परिवहन की सुविधा और अन्य जरूरी सेवाएं प्रदान करने में न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन वाली आधुनिक प्रौद्योगिकी पर जोर देते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर शहरी गरीबों पर पड़ रहा है। पुरी सोमवार को यहां यूएन व‌र्ल्ड हैबिटेट डे-2021 पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। वैश्विक स्तर पर शहरी क्षेत्रों में बढ़ी भीड़ की वजह से शहरों में ऊर्जा की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इससे ऊर्जा की खपत में शहरी हिस्सेदारी 78 फीसद और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 70 फीसद हो गई है।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से शहरी गरीब बस्तियों में रहने वालों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों पर बिगड़ते मौसम की सबसे ज्यादा मार पड़ती है। वर्ष 2019 में जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में भारत सातवें स्थान पर रहा। भारतीय शहरों की आर्थिक और पर्यावरणीय आवश्यकताओं पर पुरी ने कहा कि भारत में ग्रीन हाउस गैसों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अन्य विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। वर्ष 1870-2017 के दौरान भारत का कुल सीओटू (कार्बन डाई आक्साइड) उत्सर्जन काफी कम सिर्फ तीन फीसद है। इसकी तुलना में अमेरिका का 25 फीसद, यूरोपीय संघ का 22 फीसद और चीन का 13 फीसद है।

आर्थिक आकांक्षाओं और पर्यावरणीय दायित्वों को करना है साकार

वर्ष 2030 तक भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शहरी क्षेत्रों की हिस्सेदारी 70 फीसद तक पहुंचने का अनुमान है। पुरी ने कहा कि हमें अपनी आर्थिक आकांक्षाओं और पर्यावरणीय दायित्वों को साकार करना है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को प्राप्त करना आवश्यक है। वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने में भारत का योगदान अहम होगा। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में शहरी स्वच्छता मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) और शहरी परिवहन जैसे शहरी मिशनों की भूमिका अहम है, इनसे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने में सहायता मिलेगी। पीएमएवाई आवासों के निर्माण में जिस टेक्नोलाजी का उपयोग किया जा रहा है, उससे इन इमारतों में 20 से 30 फीसद ऊर्जा और 30 से 50 फीसद तक पानी की बचत होगी।

शहरी परिवहन प्रणाली पर अपनी बात रखते हुए पुरी ने कहा कि हमारे शहरों में मेट्रो रेल जैसी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का विस्तार हो रहा है। वर्तमान में 18 शहरों में 721 किलोमीटर लाइनों पर मेट्रो ट्रेनें दौड़ रही हैं। देश के 27 शहरों में 1,058 किलोमीटर का नेटवर्क निर्माणाधीन है। इससे कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी।

केंद्रीय शहरी विकास सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने कहा कि हाल के वर्षों में देश के शहरों में लोग जलवायु परिवर्तन की चुनौती को स्वीकार करते हुए पैदल चलने, साइकिल चलाने व सार्वजनिक परिवहन को अपनाने लगे हैं। देश में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी में सुधार हुआ है। निर्माण के लिए स्थानीय सामग्रियों और आधुनिक टेक्नोलाजी का उपयोग किया जा रहा है।