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'2014 के पहले शहरी विकास की हुई आपराधिक अनदेखी', हरदीप पुरी बोले- मोदी सरकार में बदल गई तस्वीर

केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि मोदी सरकार से पहले शहरी विकास के प्रति आपराधिक अनदेखी की गई। पुरी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी इच्छाशक्ति और दूरदर्शी नीतियों से इस परिस्थिति को बदला है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 13 Jul 2023 10:27 PM (IST)
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केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी की फाइल फोटो।(फोटो सोर्स: जागरण)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के शहरों को मौजूदा और भावी चुनौतियों के लिहाज से तैयार करने के लिए उनमें नियोजन पर अधिक ध्यान देने और सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि मोदी सरकार से पहले शहरी विकास के प्रति आपराधिक अनदेखी की गई।

यूपीए सरकार के दौरान शहरी विकास को किया गया अनदेखा: पुरी

पुरी ने गुरुवार को शहरी नियोजन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह अनदेखी किस हद तक की गई, इसका प्रमाण यह है कि 2004 से 2014 तक संप्रग सरकार के समय केवल 1.78 लाख करोड़ रुपये ही शहरी विकास के नाम पर खर्च किए गए। यह इसी अनदेखी का नतीजा है कि भारत को अनिच्छुक शहरीकरण वाले देश के रूप में देखा जाता रहा।

पुरी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी इच्छाशक्ति और दूरदर्शी नीतियों से इस परिस्थिति को बदला है। इसका ही परिणाम है कि आज शहरों को चुनौती के बजाय अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह कल्पना की है कि अगर हमारा शहरी विकास सही होगा तो हम क्या हासिल कर सकते हैं।

शहरी नियोजन का विषय अब अहम: हरदीप पुरी

देश में दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में जिस तरह शहरीकरण की रफ्तार तेज है, उसे देखते हुए शहरी नियोजन का विषय बहुत अहम हो गया है। देश के शहर आर्थिक विकास का सबसे अहम उपकरण बनने वाले हैं। हरदीप पुरी ने कहा कि भारतीय शहरों का राष्ट्रीय जीडीपी में योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है और यह आंकड़ा 2030 तक 70 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जाएगा।

उन्होंने कहा कि शहरी योजना, राजस्व प्रक्रिया, भूमि प्रबंधन, किराया नियंत्रण आदि समेत नौ प्रमुख विचारों पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि भावी शहरी योजना और सुशासन की आवश्यकताओं की अवधारणाओं को बेहतर समझा जा सके।