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ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए फंड देने को सरकार तैयार, केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने दिया आश्वासन

भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार अतिरिक्त फंड आवंटित करने को तैयार है। लेकिन इसके लिए ट्रांसपोर्ट सेक्टर को ही आगे आ कर रिसर्च व डेवलपमेंट पर खर्च करना होगा और देश में हेवी ड्यूटी ट्रकों या बसों में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल की तकनीक विकसित करनी होगी।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Fri, 26 Jan 2024 06:15 PM (IST)
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ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार अतिरिक्त फंड आवंटित करने को तैयार है। (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार अतिरिक्त फंड आवंटित करने को तैयार है। लेकिन इसके लिए ट्रांसपोर्ट सेक्टर को ही आगे आ कर रिसर्च व डेवलपमेंट पर खर्च करना होगा और देश में हेवी ड्यूटी ट्रकों या बसों में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल की तकनीक विकसित करनी होगी।

केंद्रीय मंत्री ने दिया आश्वासन

यह बात बिजली और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री (एमएनआरई) आर के सिंह ने ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल पर इस उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में कही। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोडन का इस्तेमाल कारों, दोपहिया या तीपहिया वाहनों में किस तरह से किया जाए, इस बारे में भी शोध व विकास पर कंपनियों को ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

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बिजली व एमएनआरई मंत्री सिंह ने कहा कि सरकार इस सेक्टर को अतिरिक्त फंड देने को तैयार है। ग्रीन हाइड्रोडन मिशन के तहत ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए सिर्फ 496 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा कि, ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल की संभावनाओं को लेकर एक राष्ट्रीय रोडमैप बनाया जाना चाहिए। इसके बिना देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने का काम नहीं हो सकता। ग्रीन हाइड्रोजन के इस सेक्टर में इस्तेमाल को लेकर पायलट परियोजनाएं शुरु होने चाहिए और साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन से चालित वाहनों और इलेक्टि्रक वाहनों की लागत व दूसरे तथ्यों का तुलनात्मक अध्ययन भी होनी चाहिए।

इसके बाद ही सही सूचना के आधार पर सही फैसला हो सकेगा और आगे का रोडमैप भी तैयार किया जा सकेगा। इस रोडमैप में पूरी तैयारी होनी चाहिए कि हम घरेलू स्तर पर उत्पादन करके लागत किस तरह से कम करेंगे, लंबी दूरी के यातायात में ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल कैसे करेंगे, इसके लिए ढांचागत सुविधाएं किस तरह से तैयार करेंगे आदि। इस क्रम में ग्रीन हाइड्रोजन के कारों या दोपहिया वाहनों में इस्तेमाल के विकल्पों पर भी विचार किया गया।

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सनद रहे कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को लेकर सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल के अलावा निजी सेक्टर की कुछ कंपनियां भी काम कर रही हैं। टाटा मोटर्स व अशोक लीलैंड जैसी प्रख्यात निजी कंपनियां भी काम कर रही हैं। सितंबर, 2023 में पहली बार देश में ग्रीन हाइड्रोजन सेल से चलने वाली बसों का परिचालन इंडियन आयल की तरफ से शुरु किया गया था।

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन सेल की खासियत?

ग्रीन हाइड्रोजन सेल की एक बड़ी खासियत यह बताई जा रही है कि यह इलेक्ट्रिक वाहनों से भी ज्यादा पर्यावरण अनुकूल होते हैं। इल्केट्रिक वाहनों में जो बैट्री लगाई जाती है उनसे पर्यावरण को खतरे को लेकर कई रिपोर्टें आ चुकी हैं। समस्या यह है कि ग्रीन हाइड्रोजन सेल को लेकर प्रौद्योगिकी अभी पूरी तरह से साबित नहीं हुई है। भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की लागत एक बड़ी अड़चन है। इसकी कीमत तकरीबन 4-5 डॉलर प्रति किलो है। देश की कुछ कंपनियों ने इसकी लागत घटा कर एक डॉलर प्रति बैरल करने का लक्ष्य रखा है।