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विदेश में पढ़ने का गरीब छात्रों का सपना अब पूरा होगा, एडमिशन के लिए कर लें ये तैयारी

विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने का गरीब मेधावी छात्रों का सपना जल्द पूरा होने वाला है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में परिसर स्थापित करने और उनके परिचालन से जुड़े नियम जल्द लाने जा रहा है। भारत में कैंपस स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालय गरीब मेधावी छात्रों को मेरिट के आधार पर छात्रवृत्ति देंगे।

By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Mon, 06 Nov 2023 04:37 AM (IST)
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जल्द पूरा होगा विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने का गरीब मेधावी छात्रों का सपना

एजेंसी,नई दिल्ली। विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने का गरीब मेधावी छात्रों का सपना जल्द पूरा होने वाला है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में परिसर स्थापित करने और उनके परिचालन से जुड़े नियम जल्द लाने जा रहा है। भारत में कैंपस स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालय गरीब मेधावी छात्रों को मेरिट के आधार पर छात्रवृत्ति देंगे। कुछ विदेशी विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर में ट्यूशन फीस में भी राहत देंगे। 

यूजीसी के अनुसार आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, मेलबर्न विश्वविद्यालय, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय, टेक्सास विश्वविद्यालय, सेंट पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूटो मारंगोनी ने भारत में परिसर स्थापित करने में रुचि दिखाई है।

यूजीसी ने कहा कि उसने विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत में भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर परिसर स्थापित करने को लेकर प्रस्ताव तैयार किया है। हर साल करीब सात से आठ लाख छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। 

यदि विदेशी विश्वविद्यालय भारत में कैंपस स्थापित करते हैं तो भारतीय छात्रों को कम कीमत पर अपने देश में ही विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यूजीसी के अधिकारियों के मुताबिक, भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को राज्य या केंद्र सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलेगा।

विदेशी विश्वविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया या शुल्क में राज्य और केंद्र सरकार का भी सीधा हस्तक्षेप नहीं होगा, लेकिन उन्हें पारदर्शिता रखनी होगी।

विदेश में जाकर उच्च शिक्षा के मुकाबले भारत में रहकर पढ़ाई करना सस्ता होगा। शिक्षाविद् सीएस कांडपाल ने कहा कि देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसर स्थापित होने से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।