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Manipur: चुराचांदपुर में पुलिसकर्मी के निलंबन पर बवाल, आदिवासी संगठन ने दी सरकारी कर्मचारियों को चेतावनी

Manipur News मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एक के बाद एक मुद्दे राज्य में नजर आते हैं जिसपर बवाल हो ही जाता है। अब एक नया मुद्दा है जिसमें एक हेड कांस्टेबल को कुछ हथियार बंद लोगों के साथ देखा गया जिसके बाद आदिवासी संगठन ने बवाल मचा रखा है। आदिवासी संगठन निलंबन को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।

By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Sun, 18 Feb 2024 11:04 AM (IST)
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हेड कांस्टेबल के निलंबन पर मणिपुर में मचा बवाल (फाइल फोटो)
पीटीआई, इंफाल। एक हेड कांस्टेबल का तब निलंबन कर दिया गया जब उसको कथित तौर पर एक वीडियो में हथियारबंद लोगों के साथ देखा गया था। इसके बाद मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में बवाल मचा हुआ है। हेड कांस्टेबल के निलंबन को लेकर आदिवासी संगठन ने उग्र रवैया अपना रखा है। इस बीच, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में सरकारी कर्मचारियों से सोमवार से काम पर नहीं आने का आग्रह किया है।

आदिवासी संगठन ने हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल के निलंबन को रद्द करने और पुलिस अधीक्षक शिवानंद सुर्वे और उपायुक्त धारुन कुमार को "तत्काल बदलने" की अपनी मांग पर जोर देने का आह्वान किया है।

हेड कांस्टेबल के निलंबन पर मचा बवाल 

बता दें कि 15 फरवरी को हेड कांस्टेबल के निलंबन के कुछ घंटों बाद चुराचांदपुर में भीड़ ने एसपी और डीसी कार्यालयों वाले सरकारी परिसर में घुसकर वाहनों को आग लगा दी और सरकारी संपत्ति में तोड़फोड़ की, जिसके बाद सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम दो लोग मारे गए और 30 घायल हो गए।

आदिवासी संगठन ने दिया अल्टीमेटम

संगठन ने एक बयान में कहा, "आईटीएलएफ द्वारा हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल के निलंबन आदेश को रद्द करने और चुराचांदपुर एसपी और डीसी को बदलने का अल्टीमेटम दिए हुए 24 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक कोई रद्दीकरण या प्रतिस्थापन नहीं किया गया है।"

संगठन द्वारा कहा गया, "राज्य सरकार के कर्मचारियों को कार्यालय जाने से बचना चाहिए...अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो यह उनकी एकमात्र जिम्मेदारी होगी।"

यह है पूरा मामला 

हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल को 'हथियारबंद लोगों' के साथ और 'गांव के स्वयंसेवकों के साथ बैठने' का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिसके बाद उन्हें अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से निलंबित रखा गया था। एक पुलिस आदेश में कहा गया, "अनुशासित पुलिस बल का सदस्य होने के नाते यह बहुत गंभीर कदाचार है।"

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