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पाकिस्‍तान-अमेरिका के बीच हुई सीक्रेट डील के क्‍या हैं मायने, दोनों की जुगलबंदी का भारत पर क्‍या पड़ेगा असर- एक्‍सपर्ट व्‍यू

अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच के रिश्‍तों में जो बदलाव अचानक आया हुआ दिखाई दे रहा है उसकी पटकथा कई महीनों पहले से लिखी जा रही थी। इस दौरान इन दोनों में जो सीक्रेट डील होती दिखाई दी है उसके मायने केवल अफगानिस्‍तान तक ही सीमित हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 11:29 AM (IST)
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अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच हो रही जुगलबंदी
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच पिछले कुछ दिनों से रिश्तों में जो बदलाव देखने को मिला है उसके राजनीतिक और रणनीतिक हलकों में मायने भी काफी खास हैं। जानकारों की मानें तो ये बदलाव रातों रात नहीं आया है बल्कि इसमें पिछले कई महीनों का समय लगा है। दरअसल, बीते कुछ समय में पाकिस्‍तान लगातार किसी न किसी बहाने से अमेरिका के करीब पहुंचने की कोशिश करता रहा है। चाहे वो अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज के बहाने हुई उसके वरिष्‍ठ अधिकारियों की विदेश यात्रा हो या फिर पाकिस्‍तान के सेनाध्‍यक्ष की सीक्रेट यूएस वीजिट। इन सभी ने अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच के रिश्‍तों की नहीं कहानी लिखी है।

इमरान ने की थी सरकार की का सरकार पर आरोप 

आपको बता दें कि पाकिस्‍तान की राजनीति में इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने इस बात को लेकर काफी बवाल मचाया था कि सेनाध्‍यक्ष को आईएमएफ से कर्ज लेने के लिए आगे किया गया है। उन्‍होंने इसके लिए शहबाज शरीफ सरकार की कड़ी आलोचना भी की थी। लेकिन यहां पर एक सवाल ये भी है कि सिर्फ ये मुलाकात या पिछले दिनों जो कुछ हुआ वो एक तरफा ही हुआ होगा। जवाहरलाल नेहरू के प्रोफेसर एचएस भास्‍कर ऐसा नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि इसकी शुरुआत भले ही एकतरफा हुई थी, लेकिन बाद में ये एक बड़ी डील में तब्‍दील हो गई है।

अमेरिका पाकिस्‍तान के बीच सीक्रेट डील 

ये डील सीक्रेट तौर पर अमेरिका के लिए अपना एयरस्‍पेस का इस्‍तेमाल करने की इजाजत देना रही है। इस डील के ऐवज में पाकिस्‍तान ने एफ- 16 फाइटर जेट के लिए एक पैकेज हासिल किया है। प्रोफेसर भास्‍कर मानते हैं कि तालिबान ने अलकायदा प्रमुख की अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत को लेकर जो शक जाहिर किया था वो यूं ही नहीं था। अब धीरे-धीरे ये बात सही साबित हो रही है। पाकिस्‍तान और अमेरिका के बीच ये डील केवल यही तक हुई होगी ऐसा भी नहीं लगता है, लेकिन फिलहाल इस बारे में कहपाना काफी मुश्किल है।

यूएन जनरल असेंबली हो सकती है अहम 

अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच में जो कुछ देखने को मिला है उसमें यूएन की आम सभा की बैठक में कुछ और बड़ा हो सकता है। इस आम सभा में हिस्‍सा लेने के लिए पीएम शहबाज शरीफ खुद जाने वाले हैं। इस दौरान मुमकिन है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति और पाकिस्‍तान के पीएम शहबाज शरीफ की मुलाकात भी हो जाए। प्रोफेसर भास्‍कर के मुताबिक भले ही ये दूर की कौड़ी लगती हो लेकिन यूएन की बैठक के इतर भी कुछ होने के आसार काफी ज्‍यादा है। भले ही दोनों राष्‍ट्राध्‍यक्षों की मुलाकात हो या न हो। भारत पर इस जुगलबंदी से पड़ने वाले असर के बारे में प्रोफेसर भास्‍कर ने कहा कि इससे ज्‍यादा असर नहीं पड़ने वाला है।

पाकिस्‍तान अमेरिका के बीच शार्टटर्म रि‍लेशनशिप 

पाकिस्‍तान से भारत की स्थिति कहीं अधिक मजबूत इसलिए भी है क्‍योंकि दक्षिण एशिया में चीन को साधने के लिए उसको भारत की दरकार है। पाकिस्‍तान की जरूरत उसको केवल और केवल अफगानिस्‍तान तक ही सीमित है। इसलिए पाकिस्‍तान और अमेरिका के बीच दिखाई देने वाली जुगलबंदी केवल एक शार्टटर्म रिलेशन है जिसकी मियाद भी जल्‍द ही पूरी हो जाएगी। इसकी एक छोटी सी मिसाल ये भी है कि अमेरिका ने पाकिस्‍तान को अपने यहां मौजूद आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने की हिदायत बेहद स्‍पष्‍ट शब्‍दों में दी है। इसके अलावा इसको यूं भी समझा जा सकता है कि पाकिस्‍तान के एफ -16 फाइटर जेट के लिए जो पैकेज अमेरिका ने मंजूर किया है उसमें कोई भी नया हथियार देना शामिल नहीं है। इसलिए इस डील के अधिक मायने फिलहाल नहीं हैं।

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