Move to Jagran APP

Case against Mohammad Zubair: मोहम्मद जुबैर को लेकर उत्‍तर प्रदेश सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में क्‍या दी थी दलीलें

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुहम्‍मद जुबैर को सभी मामलों में जमानत दे दी थी। अदालत ने कहा था कि जुबैर पर अगर कोई केस दर्ज होता है तो उसमें भी उसे अंतरिम जमानत प्राप्त रहेगी। जानें सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से क्‍या दी गई थी दलील...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 22 Jul 2022 04:47 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jul 2022 04:47 PM (IST)
Case against Mohammad Zubair: जानें सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से क्‍या दी गई थी दलील...

नई दिल्‍ली, एजेंसी। धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोपित मोहम्मद जुबैर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बुधवार रात जेल से रिहा हो गया। जुबैर आल्ट न्यूज का सह संस्थापक है। उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश में छह मामले दर्ज किए गए थे। शीर्ष अदालत ने बुधवार को सभी मामलों में उसे जमानत देते हुए कहा कि इसी विषय पर भविष्य में अगर कोई केस दर्ज होता है तो उसमें भी जुबैर को अंतरिम जमानत प्राप्त रहेगी। आइये जानें सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से क्‍या दी गई थी दलील...

समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक इस हफ्ते की शुरुआत में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के लिए अपने ट्वीट्स के लिए जितना खतरनाक ट्वीट उतनी बड़ी रकम की तर्ज पर पैसे बनाए। जुबैर ने इसके लिए 2 करोड़ रुपये प्राप्त करना स्वीकार किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुबैर को आजादी से वंचित करने का कोई कारण नजर नहीं आता है। इसके साथ ही कोर्ट ने यूपी पुलिस की ओर से दर्ज छह प्राथमिकियों में अंतरिम जमानत दे दी।

उत्‍तर प्रदेश सरकार के वकील की ओर से कहा गया कि जुबैर के ट्वीट सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के लिए किए गए जिससे उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में हिंसक घटनाएं हुई थीं। पीठ ने जुबैर के ट्वीट करने पर रोक लगाने की उत्तर प्रदेश सरकार की मांग खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि वह किसी पत्रकार के ट्वीट करने या लिखने पर कैसे रोक लगा सकता है। जब प्रदेश की वकील ने कहा कि अगर ये आपत्तिजनक ट्वीट करते हैं तो क्या होगा। कोर्ट ने कहा कि वह जो करेंगे उसके प्रति जवाबदेह होंगे। कानून के मुताबिक कार्रवाई होगी।

20 जुलाई को यूपी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फैक्ट-चेकिंग की आड़ में जुबैर दुर्भावनापूर्ण और उत्तेजक सामग्री को बढ़ावा दे रहा है। उत्‍तर प्रदेश के गाजियाबाद-लोनी की घटना जुबैर के ट्वीट के बाद हुई। वकील ने कहा कि जुबैर ने अपने ट्वीट में ऐसे वाक्य जोड़े जिससे हिंसा भड़क गई। वकील ने कहा कि जुबैर ट्विटर का इस्तेमाल एक माध्यम के रूप में दुष्प्रचार फैलाने और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए कर रहे थे। वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कि जुबैर पत्रकार नहीं हैं!

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी छह मामले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर कर दिए और उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआइटी भी भंग कर दी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एसएस बोपन्ना की पीठ ने जुबैर की याचिका पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिए। जुबैर ने उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी छह मामलों को रद करने या सभी मामलों को एक साथ संलग्न कर दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की थी। दिल्ली में भी उसके खिलाफ एक मामले की जांच चल रही है और उसमें वह जमानत पर है।

पीठ ने जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर और उत्तर प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद की दलीलें सुनने के बाद उक्त आदेश दिया। पीठ ने यह भी कहा कि गिरफ्तार करने की मिली शक्ति का कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि जुबैर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष 20,000 का जमानती बंधपत्र जमा कराएगा। कोर्ट ने जुबैर को बुधवार शाम छह बजे तक जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया था। इसको देखते हुए उसे बुधवार रात को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.