धर्मसंसद में नफरत भरे भाषण पर उत्तराखंड और दिल्ली तलब, सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते में जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद में नफरत भरे भाषण मामले में अवमानना का आरोप लगाने वाली याचिका पर उत्तराखंड दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने जवाब देने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी है।
By AgencyEdited By: Krishna Bihari SinghUpdated: Tue, 18 Oct 2022 12:38 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद में नफरत भरे भाषण मामले में अवमानना का आरोप लगाने वाली याचिका पर उत्तराखंड, दिल्ली सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। दोनों राज्य सरकारों से नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा गया है। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने सोमवार को याचिकाकर्ता तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया।
अवमानना याचिका दायर
तुषार गांधी की ओर से उत्तराखंड के डीजीपी और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर द्वारा उत्तराखंड राज्य में धर्म संसद में प्रमुख व्यक्तियों द्वारा दिए गए हेट स्पीच और दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दिए गए नफरत भरे भाषण से संबंधित मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की गई है।तीन सप्ताह की मोहलत दी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अवमानना में नोटिस नहीं जारी कर रहे हैं।' इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत के महाधिवक्ता आर. वेंकटरमनी ने कुछ दिन पहले ही अपने कार्यालय का कार्यभार संभाला था। खंडपीठ ने मामले को चार सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने यति नरसिंहानंद की कोर्ट पर की गई अपमानजनक टिप्पणी वाले साक्षात्कार के टेप पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया।याचिका की तामील करने के लिए स्वतंत्रता दी
एडवोकेट शादान फरासत ने कहा कि वह अवमानना याचिका की एक कापी एजी की सहायता करने वाले वकील को देंगे। संबंधित राज्य सरकारों पर याचिका की तामील करने के लिए स्वतंत्रता भी प्रदान की गई।