मप्र के कूनो में चीते बसाने से पहले पालतू गाय, भैंस और बकरियों का टीकाकरण
करीब 70 साल पहले विलुप्त हुए प्राणी को देश में दोबारा लाने के लिए खास तैयारियां की जा रही हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान की पांच किमी की परिधि में बसे 48 गांव में सतर्कता बरती जा रही है। पालतू जानवरों से चीतों को बीमारी न पहुंचे इसलिए टीकाकरण की तैयारी।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Sun, 18 Jul 2021 05:19 PM (IST)
हरिओम गौड़, ग्वालियर। देश-दुनिया में इस समय कोरोना टीकाकरण का शोर है, वहीं मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान से सटे इलाके में अलग ही टीकाकरण चल रहा है। दरअसल, देश से करीब 70 साल पहले विलुप्त हो चुके चीतों को दक्षिण अफ्रीकी देश नामीबिया से लाकर यहां बसाया जाएगा। उससे पहले कूनो की पांच किलोमीटर की परिधि में बसे 48 गांवों के पालतू पशुओं में होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए टीकाकरण किया जा रहा है ताकि इनके कारण कोई बीमारी वन्यजीवों से होते हुए चीतों तक नहीं पहुंच पाए।
जिन 48 गांवों में यह टीकाकरण किया जा है, उनमें 4144 पालतू पशु हैं। इनमें भैंस, गाय, बकरा और बकरी शामिल हैं। इनका टीकाकरण अगले तीन माह में पूरा होना है। कूनो प्रबंधन के अनुसार अभी तक रक्षा ट्राइओवेक वैक्सीन की 1692 डोज मिली हैं। इनसे कराहल और विजयपुर ब्लॉक में पशुओं का टीकाकरण हो चुका है। बता दें कि इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर द्वारा संरक्षित जीवों की सूची में चीते को शामिल किया गया है। जंगली चीतों की सबसे बड़ी आबादी अफ्रीकी देश नामीबिया में निवास करती है।
टीकाकरण इसलिए जरूरीवन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आसपास के पालतू जानवरों का टीकाकरण इसलिए जरूरी है, क्योंकि ग्रामीणों के पालतू पशु राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में भी चरने के लिए जाते हैं, जहां चीतल, हिरण, खरगोश आदि शाकाहारी वन्यजीव हैं। चीता भोजन में इन शाकाहारी वन्यजीवों को ही पसंद करता है। अगर ग्रामीणों के पालतू पशुओं से ऐसे रोग राष्ट्रीय उद्यान के शाकाहारी वन्यजीवों में फैले तो इसका चीते की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है, इसलिए यह वैक्सीनेशन जरूरी है।
यह है कूनो प्रोजेक्टकूनो पालपुर मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है। सबसे पहले 1981 में इस वन्यजीव अभ्यारण्य के लिए 344.68 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र निश्चित किया गया था। मध्य प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर वर्ष 2018 में कूनो को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह मप्र का 12वां राष्ट्रीय उद्यान है। पिछले 35 साल से यहां गुजरात से सिंह को लाकर बसाने के प्रयास चल रहे थे, लेकिन उनकी शिफ्टिंग में कई प्रकार की राजनीतिक और प्रशासनिक अड़चनें आईं। आखिरकार यहां पर चीतों को फिर से बसाने के प्रयास शुरू किए गए हैं। केंद्र द्वारा विभिन्न स्तरों पर इस राष्ट्रीय उद्यान का चीतों को बसाने के नजरिए से परीक्षण कराया गया। सभी प्रकार की जांच में यह स्थान मुफीद पाया गया। इसके बाद ही विशेष तैयारियां की जा रही हैं।
नवंबर में होगा 14 चीतों का परिवहन- कूनो में चीतों के लिए विशेष बाड़े का निर्माण अगस्त तक पूरा करना होगा।- नेशनल टाइगर कन्जरवेशन अथारिटी (एनटीसीए) जुलाई माह में निरीक्षण करेगी।- 14 चीता लाने के लिए जुलाई अंत तक आयात शुल्क जमा कर परमिट लिया जाएगा।- जुलाई माह तक पिंजरे और अन्य उपकरण खरीदे जाएंगे।- सितंबर और अक्टूबर माह में दक्षिण अफ्रीका जाकर चीता लाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
- इस दौरान लाए जाने वाले चीतों का टीकाकरण किया जाएगा।- नवंबर माह में चीतों का अंतरराष्ट्रीय परिवहन होगा।महामारी नहीं फैलेगी शाकाहारी पशुओं को जो रक्षा ट्राइओवेक वैक्सीन लग रही है, वह इनको तीन जानलेवा बीमारियों लंगड़ी बुखार, गलघोंटू, खुरपका या मुंहपका से बचाती है। ये तीनों संक्रमित रोग हैं, जो शाकाहारी जानवरों में बहुत तेजी से फैलते हैं और महामारी बन जाते हैं। वैक्सीनेशन से महामारी नहीं फैलेगी।
- डा. सचिन उपाध्याय, पशु एवं वन्यजीव विशेषज्ञतीन माह में होगा शतप्रतिशत टीकाकरण क्षेत्र में पालतू पशुओं के टीकाकरण के साथ मवेशियों को अन्य बीमारियों से बचाने के लिए दवाओं का भी वितरण किया जा रहा है। इसकी पशु चिकित्सक निगरानी कर रहे हैं। जितने टीके मिले थे, वह लगभग पूरे लग चुके हैं। बाकी पशुओं को भी जल्द टीके लग जाएंगे। तीन माह में टीकाकरण का काम पूरा किया जाना है।- पीके वर्मा, डीएफओ, कूनो राष्ट्रीय उद्यान