Vande Bharat: राजधानी से अधिक सुविधाजनक होगी वंदे भारत स्लीपर, 165 किमी की रफ्तार से पटरी पर दौड़ेगी
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रेल मंत्रालय अब वंदे भारत ट्रेन के स्लीपर संस्करण के लिए तेजी से काम कर रहा है। निर्धारित समय से लगभग तीन महीने पूर्व ही पहली स्लीपर ट्रेन फरवरी से मार्च के बीच चलनी शुरू हो जाएगी जो बैठकर सफर करने वाली वर्तमान वंदे भारत एक्सप्रेस एवं राजधानी ट्रेनों से अत्यधिक अपडेट होगी।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रेल मंत्रालय अब वंदे भारत ट्रेन के स्लीपर संस्करण के लिए तेजी से काम कर रहा है। निर्धारित समय से लगभग तीन महीने पूर्व ही पहली स्लीपर ट्रेन फरवरी से मार्च के बीच चलनी शुरू हो जाएगी, जो बैठकर सफर करने वाली वर्तमान वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) एवं राजधानी ट्रेनों से अत्यधिक अपडेट होगी।
केंद्र सरकार की तैयारी सात वर्षों में यात्री ट्रेनों के स्वरूप में बड़े बदलाव की है। ट्रेनों की यात्रा को प्लेन की तरह ही सहज-सुगम एवं आरामदायक बनाने के लिए 2030 तक पुराने वर्जन की सभी ट्रेनों को वंदे भारत से बदलने पर तेजी से काम किया जा रहा है।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी स्लीपर वर्जन ट्रेनें
रेलवे के मुताबिक, स्लीपर वर्जन ट्रेनों को लंबी दूरी की यात्रा को ध्यान में रखकर अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तैयार किया जा रहा है। सफर के दौरान यात्रियों को लग्जरी होटल की तरह महसूस होगा। क्लासिक लकड़ी की डिजाइन वाली आरामदायक सीटें होंगी। सभी बोगियों में फ्लोर लाइटनिंग की व्यवस्था होगी।
स्लीपर संस्करण की ट्रेनों में कुल 16 डिब्बे होंगे, जिसमें एसी थ्री की 11, एसी टू की चार एवं एसी फर्स्ट की एक बोगी होगी। एक बार में कुल आठ सौ 87 लोग सोकर सफर कर सकेंगे।
- ट्रेन में गार्ड कंपांटमेंट एवं लगेज बॉक्स के साथ डॉग बॉक्स भी होगा। प्रत्येक बोगी में तीन-तीन बायो-वैक्यूम शौचालय के साथ एक मिनी पेंट्री होगी।
- हवा के जरिए आने वाले वायरस को रोकने के लिए अल्ट्रावायलेट एयर प्यूरिफायर लगाए जा रहे हैं, जिससे प्रदूषित हवा को फिल्टर किया जा सकेगा।
- ऑनबोर्ड वाईफाई, ऑटोमेटिग ओपेन डोर की सुविधा होगी।
- चलती ट्रेन में आग लगते ही इसकी सूचना दूसरी बोगियों में तत्काल पहुंचा दी जाएगी।
- स्लीपर बर्थ पर चढ़ते समय यात्री का सिर ऊपर न टकराए इसका ध्यान रखा जाएगा।
200 ट्रेनों का हो रहा निर्माण
रेलवे के मुताबिक, सौ प्रतिशत स्वदेशी तकनीक से बनाई जा रही इस ट्रेन का डिजाइन भी अपना है। लागत बहुत कम है। 26 हजार करोड़ रुपये से दो सौ ट्रेनें बनाई जा रही हैं। बहुत संभव है कि पहली ट्रेन को कश्मीर से कन्या कुमारी तक चलाया जा सकता है। वैसे तो ट्रेन की ऑपरेटिंग स्पीड 165 किमी रहेगी। किंतु डिजाइन 220 से 240 किमी प्रतिघंटे के हिसाब से किया जा रहा है। ट्रेनों का बाहरी रंग अंतिम तौर पर अभी तय नहीं है। परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। फिलहाल वर्तमान वर्जन की तरह ही होगा, जिसे बाद में अपडेट किया जा सकता है।
स्लीपर वर्जन की पहली ट्रेन बनाने का काम चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री एवं रेलवे बोर्ड के साथ मिलकर भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) कंपनी कर रही है। बीईएमएल के अध्यक्ष शांतनु राय का कहना है,
इसी वित्त वर्ष में पहली ट्रेन चलने लग जाएगी। इसके पहले रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी स्लीपर संस्करण की तस्वीरें ट्विटर पर साझा की थीं।
विश्वस्तरीय ब्रेक सिस्टम
भारत के भूगोल एवं विस्तार के अनुसार, स्लीपर वर्जन की ट्रेनों को लंबी दूरी तय करनी होगी। इसलिए इसे बेहद सुरक्षित बनाया जा रहा है। इसका ब्रेक सिस्टम विश्वस्तरीय होगा, जो कभी फेल नहीं होगा। फ्रिक्शन ब्रेक, जो लगाते ही एक सेकेंड के भीतर काम करना शुरू कर देगा। वर्तमान ब्रेक की तुलना में प्रभावी होने में कम से कम समय लगेगा। दरवाजे भी खास होंगे। ट्रेन के शुरू होने के साथ ही स्वयं बंद हो जाएगा। चलती ट्रेन में डोर खोलने की अनुमति किसी को नहीं मिलेगी, क्योंकि इसका कंट्रोल पायलट के पास होगा, जो जरूरत के अनुसार ग्रीन सिग्नल देगा।