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Veer Savarkar Birth Anniversary 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया याद, कहा - मां भारती के कर्मठ सपूत वीर सावरकर

वीर सावरकर जयंती 2022 भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता वीर सावरकर की आज 139वीं जयंती है। उनकी जयंती के मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने किया याद। ट्वीट कर राजनेताओं ने दी श्रद्धांजलि।

By Babli KumariEdited By: Updated: Sat, 28 May 2022 09:30 AM (IST)
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स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता वीर सावरकर की आज 139वीं जयंती
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता वीर सावरकर की आज 139वीं जयंती है। वीर सावरकर का जन्म आज ही के दिन यानी 28 मई को 1883 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के ग्राम भगूर में हुआ था। स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया कि 'मां भारती के कर्मठ सपूत वीर सावरकर को उनकी जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि।'

वीर सावरकर की जयंती के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा 'वीर सावरकर साहस, संकल्प और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। 

वीर सावरकर की जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया 'स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर जी का सम्पूर्ण जीवन माँ भारती की आराधना व राष्ट्रवाद के प्रसार में समर्पित रहा।'

गृह मंत्री अमित शाह ने सावरकर की जयंती पर उन्हें नमन किया, ' राष्ट्रीयता के प्रतीक स्वातंत्र्य वीर सावरकर की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।'

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी वीर सावरकर को याद करते हुए ट्वीट किया उन्होंने लिखा- सावरकर जी एक महान क्रांतिकारी, उत्कृष्ट लेखक, प्रेरक कवि और समाज सुधारक थे'

आपको बता दें कि वीर सावरकर का जन्म आज ही के दिन यानी 28 मई को 1883 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के ग्राम भगूर में हुआ था। बीए पास करने के बाद वह वर्ष 1906 में इंग्लैंड चले गए और लंदन के इंडिया हाउस में रहते हुए क्रांतिकारी गतिविधियों के साथ लेखन कार्य में जुट गए। इंडिया हाउस उन दिनों राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था जिसे पंडित श्यामजी चला रहे थे। सावरकर ने ‘फ्री इंडिया’ सोसाइटी का निर्माण किया जिससे वह भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने को प्रेरित करते थे। उनकी एक लेखक के तौर पर यहीं से पहचान बननी प्रारंभ हुई। वर्ष 1907 में ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक पुस्तक लिखनी प्रारंभ की। उनके मन में आजादी की अलख जल रही थी। अपने जीवनकाल में संघर्षों के बाद भी उन्होंने विपुल लेखन किया।