Move to Jagran APP

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'धार्मिक समुदाय शिक्षा संस्थान चला सकते हैं'

सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्ज पर 1967 के फैसले को पलट दिया है। उस वक्त कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इसका निर्माण केंद्रीय कानून के तहत हुआ है। मगर अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए नियमित बेंच को भेज दिया है। तीन जजों की बेच तय करेगी की एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Fri, 08 Nov 2024 01:22 PM (IST)
Hero Image
एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।
पीटीआई, नई दिल्ली। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं... अब इसका फैसला तीन जजों की संविधान पीठ करेगी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मामले को नई पीठ के पास भेज दिया। शीर्ष अदालत ने 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसे केंद्रीय कानून के तहत बनाया गया था।

शुक्रवार को सात जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने 4:3 के बहुमत से कहा कि मामले के न्यायिक रिकॉर्ड को सीजेआई के समक्ष रखा जाना चाहिए ताकि 2006 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की वैधता तय करने के लिए नई पीठ गठित की जा सके।

अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार

शीर्ष अदालत ने कहा कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान का हकदार है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। मगर धार्मिक समुदाय संस्था का प्रशासन नहीं देख सकता है। संस्थान की स्थापना सरकारी नियमों के मुताबिक की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है।

तीन जजों की पीठ लेगी अंतिम निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर तीन जजों की नई बेंच बनेगी। यह नई बेंच ही तय करेगी एएमयू का दर्जा क्या होगा। बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके प्रशासन का अधिकार है। सात न्यायधीशों वाली संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जेबी पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत: रशीद फिरंगी

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं जिसमें उसने 1967 के अपने फैसले को खारिज कर दिया है। तब फैसले में कहा गया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है।

मुझे लगता है कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को तय करने में सुप्रीम कोर्ट का फैसला काफी मददगार साबित होगा। सभी ऐतिहासिक तथ्य हमारे सामने हैं और हम उन्हें तीन जजों की बेंच के सामने पेश करेंगे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जाता है तो फिर कौन सा संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान माना जाएगा और अनुच्छेद 30ए का क्या होगा?"

यह भी पढ़ें: 1965 से विवाद की शुरुआत... इंद‍िरा गांधी सरकार ने एक्‍ट में क‍िया बदलाव; AMU के अल्‍पसंख्‍यक स्‍वरूप का क्‍या है मामला?

यह भी पढ़ें: ट्रंप का 100 दिन का एजेंडा: अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकालने का प्लान, भारी टैरिफ लगाने की तैयारी; चीन की बढ़ाएंगे टेंशन