Vijay Diwas: भारत ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर किया था मजबूर, 93000 पाक सैनिकों ने किया था आत्मसमर्पण
16 दिसंबर 1971- आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी। भारत ने पूर्वी पाकिस्तान पर तीन तरफा हमला किया था। इस हमले से पाकिस्तान इतना घबरा गया कि उसे समझने तक का मौका नहीं मिला। भारत के सामने पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार मिली थी और बांग्लादेश का जन्म हुआ था।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 16 Dec 2023 08:55 PM (IST)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है। 16 दिसंबर, 1971- आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था और पूर्वी पाकिस्तान महज इतिहास के पन्नों तक सिमट कर रह गया। 52 साल पहले हुए युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई और पूर्वी पाकिस्तान आजाद होकर नया देश 'बांग्लादेश' बना।
इस युद्ध से जुड़े प्रमुख बिंदुः
- एक साथ जल, थल और हवाई हमलेः भारत ने पूर्वी पाकिस्तान पर तीन तरफा हमला किया था। भारतीय वायु सेना ने बम बरसाना शुरू किया। वहीं, नौसेना ने आपूर्ति लाइनें काट दी। साथ ही भारतीय सेना ने सिलहट और चटगांव जैसे प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया और ढाका को अलग कर दिया।
- पाकिस्तानी सेना पर साइकोलॉजिकल प्रेशरः युद्ध के दौरान पश्चिम बंगाल के प्रति भारतीय आक्रामकता की गलत धारणा फैलाई गई, जिससे पाकिस्तानी सेना पर साइकोलॉजिकल प्रेशर बना और इससे ढाका की सुरक्षा कमजोर हुई।
- मानेकशॉ का संदेशः युद्ध के समय मानेकशॉ ने पाकिस्तानी सैनिकों को चेतावनी दी, जिससे उनका मनोबल कमजोर हुआ। साथ ही उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए ऑफर दिया गया।
- अमेरिका और चीन के विफल हस्तक्षेप का प्रयासः इस युद्ध में पाकिस्तान और अमेरिका ने भी एंट्री की कोशिश की, लेकिन शीत युद्ध और आंतरिक मुद्दे ने पाकिस्तान के सहयोगियों को इस प्रयास में विफल कर दिया।
- यूएसएस एंटरप्राइज की एंट्रीः इस युद्ध में पाकिस्तान को मदद पहुंचाने के लिए अमेरिका ने अपना विमानवाहक पोत भेजा, लेकिन उसी वक्त सोवियत संघ ने अपना युद्धक पोत तैनात कर दिया, जिस वजह से अमेरिका को पीछे हटना पड़ा।
- ढाका के गवर्नर हाउस पर बमबारीः भारतीय सेना ने ढाका के गवर्नर हाउस पर बमबारी की। इसी बीच पूर्वी पाकिस्तान सरकार पर प्रेशर बना और इस्तीफा देना पड़ा।
- नियाजी के संकेत को नजरअंदाज करनाः पाकिस्तान सरकार ने प्रतिशोध जारी रखने का आदेश दिया और नियाजी के संकेत को बार-बार नजरअंदाज किया गया। इस वजह से नियाजी को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- ढाका का पतनः भारत ने पूर्वी पाकिस्तान पर इतने तेज हमले किए कि पाकिस्तान को समझने का मौका नहीं मिला और पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा।
- 16 दिसंबर, 1971: इस दिन पाकिस्तान ने समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए और बांग्लादेश अलग देश बना था।
- विजय दिवस समारोह: विजय दिवस, भारत की जीत और बांग्लादेश के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा आत्मसमर्पण: इस युद्ध में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था। ये द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।
- 13 दिन तक चला युद्धः भारत के तेज हमले और सूझबूझ ने मात्र 13 दिनों के भीतर पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया और भारत को ऐतिहासिक जीत मिली।
- पूर्वी पाकिस्तान हुआ आजादः इस युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान का पतन हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ।
- भू-राजनीतिक महत्व: इस ऐतिहासिक जीत ने दक्षिण एशिया में भारत को नई पहचान दिलाई और भारत एक क्षेत्रीय शक्ति के तौर पर ऊभरा।
- युद्ध की विरासत: विजय दिवस भारतीय सैन्य कौशल और राष्ट्रीय गौरव का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बना हुआ है।
- युद्ध से मिले सबकः इस युद्ध में सभी तरह से दुश्मन को घेरना, मनोवैज्ञानिक प्रेशर और प्रभावी कूटनीति का देखा गया था।
- युद्ध से नुकसानः युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर नागरिक हताहत हुए थे और बड़ी संख्या में विस्थापन देखा गया था।
- सुलह के प्रयास: भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कई शिकायतों को दूर करने और शांति स्थापित करने के लिए कोशिश जारी है।
- ऐतिहासिक संदर्भ का महत्व: जिस वजह से युद्ध हुआ उन कारणों को समझना और युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा था इसे जानना।
- युद्ध की प्रासंगिकता: ये युद्ध दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसकी प्रासंगिकता आज भी बनी है।