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मां-बेटी के संघर्षों को मिला मुकाम, आदिवासी इलाके से निकली देश की बेटी विजया लहरा रही भारतीय संस्कृति का परचम

झाबुआ के आदिवासी समुदाय के बीच पली-बढ़ी विजया पंवार का बचपन बेहद संघर्षों में बीता लेकिन जीने और अपना नाम बनाने की ललक ने उन्हें कमजोर नहीं पड़ने दिया। इसी का नतीजा है कि वह आज न सिर्फ मॉडलिंग की दुनिया का एक चमकता सितारा बन गईं बल्कि विदेशी धरती पर देश की संस्कृति-विरासत का प्रतिनिधित्व भी कर रही हैं।

By Deepti MishraEdited By: Deepti MishraUpdated: Wed, 06 Sep 2023 07:18 PM (IST)
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मिस हेरिटेज ग्लोबल ब्यूटी प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली झाबुआ की बेटी विजया पंवार।

दीप्ति मिश्रा, नई दिल्‍ली। बचपन डर के साये में बीता। मां को घर छोड़ना पड़ा और कुछ माह बाद ही पिता का साया भी सिर से उठ गया, लेकिन मां ने बेटी को सुरक्षित भविष्‍य देने के लिए हर संभव लड़ाई लड़ी। दोबारा घर नहीं बसाया। मां के संघर्ष को मुकाम देने के लिए बेटी ने भी दिन-रात एक कर दिया।

उसी का नतीजा है कि मध्यप्रदेश के छोटे से शहर झाबुआ के आदिवासी समुदाय के बीच पली-बढ़ी विजया पवार आज न सिर्फ मॉडलिंग की दुनिया का एक चमकता सितारा बन गई हैं, बल्कि विदेशी धरती पर देश की संस्कृति और विरासत का प्रतिनिधित्व भी कर रही हैं।

अपने मॉडलिंग करियर के इतर विजया ने एमबीए की पढ़ाई पूरी की और साइकोलॉजी से डिप्‍लोमा भी किया। विजया इन दिनों साउथ अफ्रीका में आयोजित हो रही मिस हेरिटेज ग्लोबल प्रतियोगिता में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। इसी सिलसिले में विजया पवार से हुई बातचीत के कुछ अंश यहां प्रस्तुत हैं...

क्या है मिस हेरिटेज प्रतियोगिता?

एक अगस्त से 18 सितंबर के बीच साउथ अफ्रीका के उत्तरी प्रांत लिम्पोपो में मिस हेरिटेज ग्लोबल ब्यूटी प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है। इसमें 50 देशों की कंटेस्टेंट भाग ले रहे हैं। भारत का प्रतिनिधित्व विजय पंवार कर रही हैं। इस प्रतियोगिता के लिए अभी ऑनलाइन वोटिंग हो रही है। इसमें जिन 20 सुंदरियों को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, वे साउथ अफ्रीका में होने वाले मिस हेरिटेज के ग्रैंड फिनाले में शामिल होंगी।

सवाल: आपको मॉडलिंग में करियर बनने का ख्याल कब और कैसे आया?

जवाब: रात का वक्त था। मां ड्यूटी पर थीं और मैं टीवी देख रही थी। बॉलीवुड अभिनेत्री और मिस यूनिवर्स रह चुकीं सुष्मिता सेन का पुराना इंटरव्यू चल रहा था। बस उस इंटरव्यू को देखकर मैंने मन बना लिया कि मुझे मॉडलिंग करनी है। ब्‍यूटी प्रतियोगिताओं में भाग लेना है। उसके बाद से न जाने कितने मॉडल और ब्‍यूटी क्‍वीन्‍स के इंटरव्यू देखे और पढ़े।

खुद को प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए तैयार किया। हालांकि, जहां से मैं हूं, वहां मॉडलिंग, एक्टिंग और ब्यूटी प्रतियोगिताओं को 'अच्‍छा' काम नहीं माना जाता है। इसलिए सबसे मुश्किल था; मां और नाना-नानी को मनाना। वक्त भी लगा, लेकिन आज वो लोग मेरे साथ हैं।

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राजस्थान के राजपूत परिवार से है नाता

विजया बताती हैं, ''मेरा जन्‍म राजस्थानी राजपूत फैमिली में हुआ। परिवार झाबुआ के एक आदिवासी इलाके में रहता है। मेरे पापा को बेटी नहीं; बेटा चाहिए था, इसलिए मेरे पैदा होते ही मां-पापा के रिश्ते में दरार पड़ गई। जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई, मुझे भी पापा और बाकी घरवालों की बेरुखी ही झेलनी पड़ी।''  

एसिड अटैक की धमकियां मिलीं

बतौर विजया, फिर एकरोज कुछ ऐसा हुआ कि मां सब कुछ छोड़कर मेरा हाथ पकड़ कर घर से बाहर निकल आईं। मां की सरकारी नौकरी थी। छोटे शहरों में महिलाओं का काम करना आसान नहीं होता है।

उस वक्‍त मेरी मां के लिए भी यह राह आसान नहीं रही। मां को बदनाम करने की कोशिश हुई। एसिड अटैक की धमकियां मिलीं, लेकिन उन्‍होंने हार नहीं मानी। खुद के सम्‍मान और मेरे सुरक्षित भविष्‍य के लिए पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम किया।

हमारे घर छोड़ने के कुछ दिन बाद पापा नहीं रहे। बेशक पापा ने मुझे पर प्‍यार नहीं जताया, लेकिन पिता तो पिता होता है, इसलिए उस वक्‍त मुझे और मेरी मां को खासा धक्‍का पहुंचा। खैर, धीरे-धीरे हम मां-बेटी की जिंदगी पटरी पर आने लगी। मां ऑफिस और घर की जिम्मेदारी संभालतीं और मैं पढ़ाई-लिखाई में व्‍यस्‍त हो गई।

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 12वीं तक की पढ़ाई कैथोलिक मिशन स्‍कूल से हुई। फिर साइंस से ग्रेजुएशन किया और बाद में एमबीए किया। इसके साथ ही साइकोलॉजी  में डिप्‍लोमा भी किया। मुझे डांस का शौक था तो ग्रेजुएशन के वक्त कत्थक में डिप्लोमा किया। इसी के साथ मैं ब्यूटी शो और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगी।

कोविड में मिला मौका

विजया बताती हैं, ''कोविड महामारी दुनिया भर में तबाही मचा रही थी, लेकिन मेरे लिए यह मौका लेकर आई। मैं 2018 से पढ़ाई के साथ-साथ शो भी कर रही थी। कोरोना महामारी में जब सब कुछ बंद हो गया, तब सारे ब्यूटी कॉन्टेस्ट ऑनलाइन होने लगे। मैं घर से ही भाग लेती थी तो तब मां को भरोसा हो गया। इसके बाद कई ब्रांड एड किए। रैंप वॉक किया।''

कैसे बनी इंडिया से साउथ अफ्रीका की राह?

विजया पंवार के मुताबिक, इसके बाद मिस ग्‍लैमरस इंडिया प्रतियोगिता का आयोजन हुआ तो मैंने भी उसमें पार्टिसिपेट किया। अलग-अलग राज्यों से कुछ 96 लड़कियां आई थीं। एक से एक, अनुभवी और उनके बीच मैं, मुझे लगा नहीं था कि मैं जीत पाऊंगी, लेकिन जब क्‍वेश्‍चन-आंसर राउंड हुआ तो मेरे जवाब ज्यूरी को अच्छे लगे।

इसके बाद जब अनाउंसमेंट हुआ, तब पता चला कि मैं विनर हूं। मिस ग्‍लैमरस इंडिया जीतने वाली मॉडल का ही मिस हेरिटेज ग्लोबल ब्यूटी प्रतियोगिता के लिए चयन होना था, ऐसे में यह मौका भी मुझे मिल गया।

मिस हेरिटेज प्रतियोगिता में कौन से राउंड होंगे?

विजया कहती हैं, ''आमतौर पर लोगों को लगता है कि ब्‍यूटी प्रतियोगिता मतलब बिकनी, स्विमसूट जैसे राउंड होते हैं। मुझे भी यही लगता था, लेकिन जब पता चला कि मिस हेरिटेज में बिकनी और स्विमसूट राउंड नहीं है, बल्कि यहां भारतीय संस्कृति और सभ्यता को दिखाना है।''

इसमें नेशनल कॉस्ट्यूम, आर्ट एंड क्राफ्ट, कल्चर डांस, स्पीच, कुकिंग और देश-दुनिया को लेकर सोच और नजरिए के आधार पर 'आपको' परखा जाएगा। यह जानकारी मेरी खुशी और आत्‍मविश्‍वास दोगुना बढ़ गया।