समुद्र पर अब राज करेंगे विक्रांत और विक्रमादित्य, चीन की होगी बोलती बंद तो हिंद, अरब और बंगाल की खाड़ी होंगी अभेद्य
Vikrant Aircraft Carrier की मौजूदगी चीन को खौफ का अहसास कराने के लिए काफी होगी। विक्रमादित्य के साथ मिलकर अब विक्रांत देश की जल सीमा की सुरक्षा में तत्पर रहेगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र पर भी पूरी नजर रखी जा सकेगी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 02 Sep 2022 09:23 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। भारत के लिए आज का दिन बेहद खास हो गया है। आज भारत का पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से निर्मित विमानवाहक पोत विक्रांत भारतीय नौसेना में एंट्री ले रहा है। इसकी एंट्री के साथ ही भारतीय जलक्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में भी चीन की एंट्री पर लगाम लग जाएगी। इन दोनों की मौजूदगी का अहसास चीन को भी है। यही वजह है कि चीन भी अपनी पूरी ताकत के साथ अपनी नौसेना को अत्याधुनिक बनाने पर जोर दे रहा है। यदि एशिया में स्थित देशों के पास एयरक्राफ्ट केरियर की बात करें तो ये केवल चीन और भारत के पास ही हैं। चीन के पास मौजूदा समय में जहां तीन एयरक्राफ्ट केरियर हैं वहीं भारत के पास फिलहाल दो हैं। हालांकि तीसरे एयरक्राफ्ट केरियर का काम भी तेजी से चल रहा है।
चीन की विस्तारवादी नीति से चिंता भारत और चीन पड़ोसी देश होने के अलावा एक प्रतिद्वंदी भी हैं। चीन की भौगोलिक निकटता ही भारत की सबसे बड़ी चिंता है, लेकिन इस चिंता को दूर नहीं किया जा सकता है। भारत की एक चिंता का कारण चीन की विस्तारवादी नीति भी है। यही वजह है कि भारत चीन को ध्यान में रखते हुए अपनी सुरक्षा नीतियों को तैयार करता है और इन पर आगे बढ़ता है। श्रीलंका में चीन की मौजूदगी की भारत की चिंता का बड़ा कारण है। यही वजह है कि भारत का ध्यान एयरक्राफ्ट केरियर के निर्माण पर लगा है। इनमें जरिए न सिर्फ समुद्र में काफी दूरी तक नजर रखी जा सकती है बल्कि समय आने पर दुश्मन को कड़ा जवाब भी दिया जा सकता है।
कोचिन शिपयार्ड में तैयार हुआ विक्रांत विक्रांत की ही बात करें तो ये देश का पहला स्वदेशी तकनीक से निर्मित एयरक्राफ्ट केरियर है। इसको कोचिन शिपयार्ड में तैयार किया गया है। पहले इसको बनाने की लागत कम आंकी गई थी लेकिन बाद में इसकी कुल लागत करीब सवा तीन अरब डालर की आई थी। 12 अगस्त 2013 में इसको लान्च किया गया था। तब से इसका विभिन्न स्तरों पर ट्रायल किया जा रहा था। इसकी सबसे बड़ी खास बात ये है कि इसको तय समय पर नौसेना में शामिल किया जा रहा है।
करीब 1500 क्रू मैंबर्स की जगह 45 हजार टन वजनी इस एयरक्राफ्ट केरियर की लंबाई 860 फीट की है। इसकी हाइट करीब 194 फीट है। इस पर करीब 14 डैक हैं। ये 56 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकता है। इसके साथ ये करीब 15 हजार किमी की दूरी एक बार में तय कर सकता है। इसमें 196 अधिकारियों के साथ 1449 सेलर जिसमें एयर क्रू मैंबर्स भी शामिल हैं, एक बार में रह सकते हैं।
बराक मिसाइल के साथ कई और हथियारों से लैस इस पर Selex Ran-40L 3D Lबैंड एयर सर्विलांस राडार सिस्टम लगा है, जो पल पल की जानकारी देता है। इस पर वीएलएस बराक 8 जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल हर तरह से काम में ली जाने वाली कैन Otobreda 76 MM, CIWS क्लोज इन वैपन सिस्ट लगा हुआ है। इसकी खासियत है कि ये शार्ट रेंज मिसाइल का पता लगाकर उसको हवा में ही मार गिराता है। लगभग सभी अत्याधुनिक वारशिप में ये लगा होता है। इस पर करीब 30 फाइटर जेट और हेलीकाप्टर उतर सकते हैं। इसमें एक अस्पताल, महिला अधिकारियों के लिए स्पेशलाइज्ड केबिन, दो फुटबाल ग्राउंड, 23 लोगों के लिए कंपार्टमेंट भी हैं। इसमें लगा जनरेटर करीब 20 लाख लोगों को राशनी दे सकता है।
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