'मोदी ऐसे लोगों को पूजता और पूछता है, जिनको किसी ने नहीं पूछा', प्रधानमंत्री ने ऐसा क्यों कहा
विकसित भारत संकल्प यात्रा के रथ को विश्वास रथ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि कोई भी वंचित नहीं रहेगा। कोई भी योजनाओं के लाभ से नहीं छूटेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के पिछले 9 वर्षों में करीब-करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। विकसित भारत संकल्प यात्रा की समयावधि फरवरी तक बढ़ाई जा सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विकसित भारत संकल्प यात्रा के रथ को विश्वास रथ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर दोहराया कि कोई भी वंचित नहीं रहेगा। कोई भी योजनाओं के लाभ से नहीं छूटेगा। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का सबसे प्रमुख ध्येय ऐसे लोगों तक पहुंचना था, जो किसी न किसी वजह से अब तक सरकार की योजनाओं से वंचित रहे। मोदी ऐसे लोगों को पूजता, ऐसे लोगों को पूछता है, जिनको किसी ने नहीं पूछा। उन्होंने दावा किया कि कोई अध्ययन करे तो पाएगा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा जैसा अभियान लास्ट माइल डिलीवरी का सबसे बेहतरीन माध्यम है।
दो माह में यात्रा बनी जन आंदोलनः पीएम मोदी
विकसित भारत संकल्प यात्रा के लाभार्थियों से दसवीं बार वर्चुअल संवाद में बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा के आशीर्वाद से यह यात्रा शुरू की थी तो इसकी इतनी सफलता की कल्पना नहीं की थी। सिर्फ दो महीने में यह यात्रा एक जन आंदोलन में बदल गई है। जहां भी मोदी की गारंटी वाली गाड़ी पहुंच रही है, लोग बहुत अपनेपन के साथ स्वागत कर रहे हैं। इससे अब तक 15 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। देश की लगभग 70-80 प्रतिशत पंचायतों तक ये यात्रा पहुंच चुकी है।
विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के आंकड़े साझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि
करोड़ों-लाखों की ये संख्या किसी के लिए महज आंकड़े हो सकते हैं, लेकिन मेरे लिए ये हर संख्या सिर्फ आंकड़ा नहीं है, मेरे लिए ये एक जीवन है, मेरा वो भारतीय भाई या बहन है, मेरा परिवारजन है, जो अब तक योजना के लाभ से वंचित था। इसलिए हमारा प्रयास है कि हर क्षेत्र में हम सैचुरेशन की ओर बढ़ें।- विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के आंकड़े साझा करते हुए पीएम मोदी
25 करोड़ लोग गरीबी से निकले बाहर
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार के पिछले 9 वर्षों में करीब-करीब 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। भारत में गरीबी कभी कम हो सकती है, ये कोई सोच भी नहीं सकता था। भारत के गरीबों ने ये करके दिखाया है कि अगर गरीबों को साधन मिले, संसाधन मिले तो वह गरीबी को परास्त कर सकते हैं।यह भी पढ़ेंः Ayodhya Ram Mandir News: गर्भगृह में आसन पर स्थापित हुए रामलला, लगा 4 घंटे से ज्यादा का समय
नेता के कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने योग्य थे स्वयं सहायता समूह
पीएम मोदी ने स्वयं सहायता समूहों के लिए अपनी सरकार द्वारा उठाए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज के कार्यक्रम में भी हमने देखा कि कैसे सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ने के बाद बहनों के जीवन में अभूतपूर्व बदलाव आया है। 2014 के पहले देश में सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाना महज कागजों में ही सिमटा हुआ एक सरकारी कार्यक्रम था। ज्यादातर किसी नेता के कार्यक्रम के लिए भीड़ इकट्ठा करने योग्य होते थे। स्वयं सहायता समूह कैसे आर्थिक रूप से मजबूत बनें, इस पर पहले ध्यान नहीं दिया जाता था।यह भी पढ़ेंः Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री ने जारी किए अयोध्या राम मंदिर पर बने डाक टिकट
फरवरी में भी चलेगी यात्रा
विकसित भारत संकल्प यात्रा की समयावधि फरवरी तक बढ़ाई जा सकती है। पीएम ने खुद कहा कि पहले यह यात्रा 26 जनवरी तक निकालने के लिए सोचा था, लेकिन गांव-गांव से लोग कह रहे हैं कि मोदी की गारंटी वाली गाड़ी हमारे यहां आनी चाहिए। इसे देखते हुए सरकार के अफसरों से कहा है कि अब 26 जनवरी तक नहीं, थोड़ा आगे बढ़ाओ। लोगों को जरूरत है, लोगों की मांग है तो इसको हमें पूरा करना होगा। इसलिए थोड़े दिन के बाद तय हो जाएगा कि मोदी की गारंटी वाली गाड़ी शायद फरवरी में भी चलाएंगे।यह भी बोले प्रधानमंत्री-
- ग्रामीण इलाकों में घरों का आकार भी बढ़ाया गया है। पहले घर कैसे बनेंगे, इसमें सरकार दखल देती थी। अब लोग अपनी पसंद के घर बना रहे हैं।
- पहले की सरकारों में जहां घर बनने में 300 से ज्यादा दिन लग जाते थे, वहीं अब पीएम आवास के घरों के निर्माण का औसत 100 दिन के आसपास का है।
- हमारी सरकार कैसे वंचितों को वरीयता दे रही है, इसका एक उदाहरण ट्रांसजेंडर समाज भी है। आजादी के बाद इतने दशकों तक ट्रांसजेंडर्स को किसी ने नहीं पूछा। हमारी सरकार ने पहली बार हमारे किन्नर समाज की मुश्किलों की चिंता की।
- हमारी सरकार की प्राथमिकता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने, किसानों को सशक्त करने की है। सरकार की कोशिश है कि छोटे किसानों की ताकत बढ़े।
- पशुओं को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए आजादी के बाद पहली बार अभियान चलाकर 50 करोड़ से ज्यादा जानवरों को टीके लगवाए जा चुके हैं। इस पर 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके। इस अभियान का भी नतीजा है कि देश में दूध उत्पादन 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है।