Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Vladimir Lenin: रूसी क्रांति के जनक लेनिन के नेतृत्व में हुई थी सोवियत संघ की स्थापना, आज भी सुरक्षित है शव

रूसी क्रांति के जनक माने जाने वाले व्‍लादिमीर लेनिन का जन्म 22 अप्रैल 1870 में हुआ था। लेनिन ने साल 1917 में रूसी क्रांति की अगुआई की और देश को तत्‍कानीन जार शासन से मुक्‍त कराया। विश्वविद्यालय के दौरान लेनिन को कट्टरपंथी नीतियों के लिए निष्कासित कर दिया गया था।

By Sonu GuptaEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 21 Apr 2023 07:37 PM (IST)
Hero Image
सोवियत संघ के संस्थापक व्लादिमीर लेनिन की जयंती। फोटो- जागरण।

नई दिल्ली, सोनू गुप्ता। रूसी क्रांति के जनक माने जाने वाले व्‍लादिमीर लेनिन का जन्म 22 अप्रैल 1870 में हुआ था। उनका असली नाम व्लादिमीर इलिच उल्यानोव था, लेकिन आगे चलकर वो लेनिन नाम से प्रसिद्ध हुए। लेनिन ने साल 1917 में रूसी क्रांति की अगुआई की और देश को तत्‍कानीन जार शासन से मुक्‍त कराया। उनके ही नेतृत्व में रूसी क्रांति के बाद साल 1922 में सोवियत संघ का गठन हुआ था। व्लादिमीर इलिच उल्यानोव ने अपने स्कूल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के बाद कानून का अध्ययन किया। इसी दौरान वह कट्टरपंथी सोच के संपर्क में आए और विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिए गए। 

विश्वविद्यालय से हुए थे निष्कासित

विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई करने के दौरान रूसी क्रांति के जनक लेनिन को अपनी कट्टरपंथी नीतियों के लिए विश्वविद्यालय से निष्कासित होना पड़ा था। वह अपने पढ़ाई के दौरान जार शासन के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे। इस दौरान उनके बड़े भाई एलेक्जेंडर उल्यानोव को साल 1887 में जार की हत्या की साजिश में फांसी दे दी गई। हालांकि, लेनिन ने इन सबके बावजूद हार नहीं माने और साल 1891 में एक बाहरी छात्र के रूप में कानून की डिग्री पूरी की। लेनिन ने साल 1893 में सेंट पीटर्सबर्ग में चले गए और वहां एक वरिष्ठ मार्क्सवादी कार्यकर्ता बन गए।

कई देश कर रहे हैं लेनिन के विचारों का झंडा बुलंद

मालूम हो कि रूस में मार्क्‍सवाद का झंडा बुलंद करने वाले ये विचारक आज भी दुनिया के कई देशों में जिंदा हैं। चीन और उत्‍तर कोरिया इसकी जीती जागती मिसाल हैं, जहां कम्‍यूनिस्‍ट सरकारों का वर्षों से राज है। लेनिन ने रूस को अपने शासन में मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ वो उस सोच को विकसित करने में कामयाब रहे, जिसकी बदौलत रूस लगातार तरक्‍की करता रहा। लेनिन ने रूसी अर्थव्यवस्था को एक समाजवादी मॉडल में बदलने का प्रयास किया। हालांकि, उनका यह प्रयास धरा का धरा ही रह गया, जिसके बाद उन्होंने नई आर्थिक नीति पेश की। इस नीति के कारण से उन्होंने उद्यम को बढ़ावा दिया।

लेनिन का शव आज भी है सुरक्षित

साल 1918 में लेनिन पर एक जानलेवा हमला हुआ और उनकी हत्या का प्रयास किया गया। हालांकि वह इस दौरान बाल-बाल बच गए लेकिन वह इस हत्या के प्रयास में गंभीर रूप से घायल हो गए। लेनिन पर हुए हमले के बाद उनकी स्वास्थ्य में लगातार गिरावट होती गई और साल 1922 में उन्हें एक स्ट्रोक आया, जिससे वह उबर नहीं पाए और बहुत कमजोर हो गए। 21 जनवरी 1924 को उनकी मृत्यु हो गई। लेनिन की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया और शव को संरक्षित कर मॉस्को के रेड स्क्वायर में रख दिया गया।

निर्वासिन के दौरान की थी शादी

लेनिन के पिता की मौत 1886 में हो गई, जिसके बाद घर की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। इस दौरान 1887 में उनके बड़े भाई को जार की हत्या का षडयंत्र रचने में शमिल होने के आरोप में फांसी दे दी गई। इसके बाद लेनिन रूस की क्रांतिकारी समाजवादी राजनीति के करीब आए। जार शासन के खिलाफ झंडा बुलंद करने की सजा के तौर पर उन्हें कजन इंपीरियल यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया। वह 1893 में सेंट पीटर्सबर्ग में चले गए और वहां एक वरिष्ठ मार्क्सवादी कार्यकर्ता बन गए। 1897 में उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर तीन वर्षों के लिए निर्वासित कर दिया गया था। इसी दौरान उन्‍होंने नाडेज्डा कृपकाया से शादी की। इसी निर्वासन के दौरान वे पश्चिमी यूरोप गए और मार्क्सवादी रूसी सामाजिक डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी (आरएसडीएलपी) में एक प्रमुख सिद्धांतकार बन कर उभरे।

विश्व युद्ध के दौरान चलाया था अभियान

रूस की 1905 की असफल क्रांति के दौरान लेनिन ने शासन के खिलाफ विद्रोह के आगे बढ़ाया। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के समय एक अभियान चलाया। इसका मकसद यूरोप में व्यापी सर्वहारा वर्ग के खिलाफ क्रांति का सूत्रपात करना था। लेनिन का मानना था कि इस क्रांति के कारण पूंजीवाद को उखाड़ फेंकने और समाजवाद की स्थापना करने में मदद मिलेगी।

अंतरिम सरकार के गठन के दौरान लौटे रूस

रूस में जार शासन का अंत फरवरी 1917 में हुआ। इस दौरान रूस में अंतरिम सरकार को स्थापित किया गया। इसके साथ ही वो रूस वापस लौटे और देश की कमान संभाली। 1917 में उनके नेतृत्व में जो क्रांति हुई थी उसको बोल्शेविक क्रांति भी कहा जाता है। लेनिन 1917 से 1924 तक सोवियत रूस के और 1922 से 1924 तक सोवियत संघ के हेड ऑफ गवर्नमेंट रहे। उनके प्रशासन काल में रूस, और उसके बाद व्यापक सोवियत संघ भी, रूसी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित एक-पक्ष साम्यवादी राज्य बन गया।