लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग शुरू, ये टॉप 10 उम्मीदवार जिन पर है सबकी नजर
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आज मतदान शुरू होने के साथ ही विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी महाकुंभ का शंखनाद हो गया। आज 16 राज्य और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों में 102 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं। साथ ही अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा के लिए भी आज वोट डाले जा रहे हैं।
ऑनलाइन डेस्क। नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आज मतदान शुरू होने के साथ ही विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी महाकुंभ का शंखनाद हो गया। आज 16 राज्य और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों में 102 लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं। साथ ही अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा के लिए भी आज वोट डाले जा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 8 केंद्रीय मंत्री, 2 पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व राज्यपाल चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। आदिवासी अधिकार और अनुच्छेद 370 सहित कुछ मुद्दे भी दांव पर हैं। आइए आज आपको 10 हाईप्रोफाइल सीट के बारे में जानकारी देते हैं।
पहले चरण की ये सीटें तय करेंगी चुनाव की दशा और दिशा
बीकानेर, राजस्थान
- बीकानेर लोकसभा सीट को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। लेकिन 2004 से यह सीट भाजपा का गढ़ बन गया है। 19 अप्रैल को मौजूदा सांसद, भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल चौथी बार कांग्रेस के गोविंद राम मेघवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
- यह एक ऐसी लड़ाई है जहां कांग्रेस इस बार जीत की उम्मीद कर रही है। भाजपा सांसद ने 2009 से लगातार चार बार सीट जीती है। अर्जुन राम मेघवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल का भी हिस्सा थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व राज्य मंत्री हैं।
चेन्नई सेंट्रल, तमिलनाडु
- तमिलनाडु के 39 लोकसभा सीटों में से एक चेन्नई सेंट्रल को डीएमके का गढ़ माना जा रहा है। यहां से दयानिधि मारन चुनााव लड़ रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री मारन को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विनोज पी. सेल्वम से चुनौती मिल रही है। भाजपा उम्मीदवार 2021 में हार्बर विधानसभा क्षेत्र में डीएमके के पीके शेखर बाबू से हार गए थे।
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छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश
- मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा ही कांग्रेस का एकमात्र गढ़ है। यह सीट 44 साल तक कमल नाथ के परिवार का गढ़ रही है। इस बार, कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ भाजपा के प्रतिद्वंद्वी विवेक बंटी साहू के खिलाफ अपने पिता की सीट का बचाव कर रहे हैं।
- छिंदवाड़ा पर कब्जा करने के लिए प्रतिबद्ध भाजपा ने अपने उम्मीदवार के प्रचार के लिए अपने दिग्गजों को तैनात किया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव महाकोशल क्षेत्र की इस सीट से छह बार साहू के लिए प्रचार कर चुके हैं।
डिब्रूगढ़, असम
- असम के 14 लोकसभा सीटों में से एक डिब्रूगढ़, पूर्व केंद्रीय मंत्री और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और असम जातीय परिषद के लुरिनज्योति गोगोई, जो इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं, के बीच एक हाई-प्रोफाइल लड़ाई का गवाह बनेगा। सोनोवाल एक बार असम गण परिषद के उम्मीदवार के रूप में इस निर्वाचन क्षेत्र से जीत चुके हैं।
- पिछले दो कार्यकालों से इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व आदिवासी समुदाय के सदस्य रामेश्वर तेली द्वारा किया गया है। इस बार कोई भी उम्मीदवार इस समुदाय से नहीं है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इस त्रिकोणीय मुकाबले में चाय जनजाति से आने वाले उम्मीदवार आम आदमी पार्टी के मनोज धनोवर हैं, जिनके एजेपी उम्मीदवार के वोटों में सेंध लगने की संभावना है।
जमुई, बिहार
बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक जमुई में राष्ट्रीय जनता दल की अर्चना रविदास के बीच सीधी लड़ाई होने की उम्मीद है, जो एनडीए के अरुण भारती के खिलाफ हैं। भारती लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान के बहनोई हैं, जिन्होंने पिछली बार यह सीट जीती थी। दोनों पहली बार उम्मीदवार हैं और लड़ाई कठिन होने की उम्मीद है। बता दें कि रविदास स्थानीय राजद नेता मुकेश यादव की पत्नी हैं।जोरहाट, असम
- असम की 14 लोकसभा सीटों में से जोरहाट सीट पर सूबे की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी कांग्रेस के बीच रोचक लड़ाई है। इस सीट से दोनों ही पार्टियों ने गोगोई उम्मीदवार पर दांव लगाया है। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे और गौरव गोगोई को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं बीजेपी ने इस सीट पर सीटिंग सांसद तपन गोगोई को टिकट दिया है। दोनों ही प्रभावशाली अहोम समुदाय से आते हैं।
- ऐसे में दोनों पार्टियों के लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई है। जोरहाट वही जगह है जहां से 1970 के दशक में तरूण गोगोई दो बार चुनाव जीते थे। 1991 से 2014 तक, यह सीट कांग्रेस के बिजॉय कृष्ण हांडिक की थी, जो छह बार विधायक रहे, इसके बाद 2014 में भाजपा ने इसे छीन लिया। गौरव गोगोई के प्रतिद्वंद्वी मौजूदा सांसद टोपोन कुमार गोगोई हैं, जिनके प्रचार में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा हैं।
नागौर, राजस्थान
- राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट का मुकाबला काफी चर्चा में है। यहां इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल के सामने बीजेपी की ज्योति मिर्धा हैं। इस सीट पर जाट मतदाताओं की तादाद काफी ज्यादा है। बता दें कि पिछले चुनाव में भी दोनों आमने-सामने थे। लेकिन इस बार दोनों की ही पार्टी बदल गई है।
- ज्योति पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, जबकि हनुमान भाजपा के सहयोग से चुनाव लड़े थे। 2019 में बेनीवाल 1 लाख 81 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे। इस सीट पर इस बार कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है।
नागपुर, महाराष्ट्र
- लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र की नागपुर लोकसभा सीट चर्चा में बनी हुई है। बीजेपी ने यहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लगातार तीसरी बार टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने विकास ठाकरे को चुनावी मैदान में उतारा है।
- नागपुर में आरएसएस मुख्यालय होने की वजह से इसे हाई-प्रोफाइल सीट में गिनती की जाती है। नागपुर में कुल 22 लाख 18 हजार 259 मतदाता हैं। इनमें 11 लाख 10 हजार 840 पुरुष, 11 लाख 07 हजार 197 महिलाएं और 222 ट्रांसजेंडर है।
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तुरा, मेघालय
- मेघालय का तुरा लोकसभा सीट सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी और कांग्रेस के बीच शानदार त्रिकोणीय मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, जो आधिकारिक तौर पर इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है, ने भी एक उम्मीदवार खड़ा किया है - एक ऐसा कदम जिससे कांग्रेस के वोटों में सेंध लगने की उम्मीद है।
- सत्तारूढ़ एनपीपी की उम्मीदवार मौजूदा विधायक अगाथा संगमा हैं। पूर्वोत्तर की 25 लोकसभा सीटों में से दो सीटें मेघालय में हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा - पूर्वोत्तर में भाजपा के प्रमुख - ने भविष्यवाणी की है कि एनडीए 25 में से कम से कम 22 सीटें जीतेगा।
उधमपुर, जम्मू और कश्मीर
- जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के निरस्त होने के बाद उधमपुर लोकसभा सीट से विकास के भाजपा के दावों के लिए एसिड टेस्ट होने की उम्मीद है। इस बार लोकसभा चुनाव में कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 प्रमुख मुद्दा है। वहीं, जम्मू क्षेत्र के उधमपुर में राजपूतों का वर्चस्व है। कश्मीर की तरह, धारा 370 यहां एक मुद्दा है लेकिन बेरोजगारी और विकास जैसे मुद्दे हिंदू-बहुल क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- जिस वजह से कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवारों के बीच लड़ाई कठिन होने की उम्मीद है। क्योंकि कांग्रेस के चौधरी लाल सिंह दो बार के विजेता हैं और वह केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को चुनौती दे रहे हैं। इसके अलावा, गुलाम नबी आजाद की डीपीएपी (डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी) ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री जीएम सरूरी को मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।