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VP Singh: जब इंदिरा गांधी के करीबी ने छीनी थी 'राजीव की सत्ता', बोफोर्स घोटाले ने बदली वीपी सिंह की तकदीर

VP Singh Birth Anniversary भारत के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की आज 92वीं जयंती हैं। विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के आठवें प्रधानमंत्री थे। साल 1989 के लोकसभा चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी और बीजेपी के समर्थन से वीपी सिंह देश के आठवें प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि उन्होंने पीएम रहते हुए कई ऐसे फैसले लिए जिसकी चर्चा आज भी होती है। आपको वीपी सिंह के बारे में बताते हैं।

By Mohd FaisalEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sun, 25 Jun 2023 08:47 PM (IST)
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VP Singh Birth Anniversary: बोफोर्स घोटाले ने बदली वीपी सिंह की तकदीर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की आज 92वीं जयंती हैं। विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के आठवें प्रधानमंत्री थे। साल 1989 के लोकसभा चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी और बीजेपी के समर्थन से वीपी सिंह देश के आठवें प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि, उन्होंने पीएम रहते हुए कई ऐसे फैसले लिए, जिसकी चर्चा आज भी होती है। आपको वीपी सिंह के बारे में बताते हैं, जिन्होंने 1990 में मंडल कमीशन लागू कर सुर्खियां बटोरीं थी।

इलाहाबाद में हुआ था वीपी सिंह का जन्म

  • वीपी सिंह का जन्म 25 जून 1931 को इलाहाबाद में राजा बहादुर राम गोपाल सिंह के घर हुआ था।
  • उन्होंने इलाहाबाद और पूना विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी।
  • विश्वनाथ प्रताप सिंह की 25 जून 1955 को सीता कुमारी के साथ शादी हुई थी। वीपी सिंह और सीता कुमारी के दो बेटे हैं।
  • बता दें कि वीपी सिंह इलाहाबाद के कोरॉव में स्थित गोपाल विद्यालय इंटर कॉलेज के संस्थापक भी थे।

छात्र जीवन से शुरू की राजनीति

वीपी सिंह ने अपनी पढ़ाई के दौरान ही राजनीति शुरू कर दी थी। वीपी सिंह 1947-48 में वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष थे। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 1957 में भूदान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और इलाहाबाद जिले के पासना गांव में खेत को दान में दिया था।

जब पहली बार चुने गए विधायक

वीपी सिंह 1969 से 71 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कार्यकारी निकाय और उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे। वे 1971 से 74 तक संसद (लोकसभा) के भी सदस्य रहे। हालांकि, बाद में उन्होंने वाणिज्य उपमंत्री, वाणिज्य संघ राज्य मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। वीपी सिंह ने 9 जून 1980 से 28 जून 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार भी संभाला। वीपी सिंह 31 दिसंबर 1984 को केंद्रीय वित्त मंत्री भी रहें।

बोफोर्स घोटाले पर चौतरफा घिरी कांग्रेस

हालांकि, 1987 का दौर आते-आते कांग्रेस घोटालों के शिकंजे में फंसती चली गई। जब कांग्रेस सरकार पर बोफोर्स घोटाले के आरोप लगे, उस समय वीपी सिंह देश के रक्षा मंत्री थे। बाद में उन्होंने केंद्र की राजीव गांधी सरकार से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस का साथ भी छोड़ दिया। बोफोर्स घोटाले को लेकर उन्होंने कांग्रेस को घेरा और जनता दल नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली। वीपी सिंह ने 1989 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार के मुद्दे को जमकर उठाया।

देश के आठवें प्रधानमंत्री बनें वीपी सिंह

  • 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके कारण राजीव गांधी के हाथों से केंद्र की सत्ता चली गई।
  • इस चुनाव में वीपी सिंह की पार्टी जनता दल ने 143 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस 197 सीटें जीत पाई थी।
  • हालांकि, वीपी सिंह ने भाजपा और कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाईं और वह देश के आठवें प्रधानमंत्री बनें।
  • पूर्व पीएम वीपी सिंह ने अपनी सरकार के दौरान एक ऐतिहासिक फैसला लिया था। उन्होंने देश में मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू किया था।
  • वीपी सिंह के इस फैसले से ओबीसी को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिला।

वीपी सिंह सरकार से नाराज हुआ सवर्ण समुदाय

हालांकि, वीपी सिंह सरकार के इस फैसले से सवर्ण समुदाय नाराज हो गया। इसे लेकर देशभर में आंदोलन भी हुए। हालांकि, बाद में लालकृष्ण आडवाणी द्वारा राम मंदिर निर्माण के निकाली गई रथ यात्रा को उनकी सरकार ने रोक दिया था, जिसके चलते भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी। बाद में कांग्रेस के समर्थन से जनता दल से अलग हुए एक धड़े ने चंद्रशेखर के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। जो ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी। बता दें कि स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी और 27 नवंबर 2008 को उन्होंने दिल्ली में अंतिम सांस ली।