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राधा ने चलाए आर्डर, श्याम छनकाए नूपुर

श्रीधाम के प्रमुख तीर्थ सप्त देवालयों में द्वापर युग की लीलाएं साकार हो गई। एक देह दो प्राण युगल ने अनेक रूपों में एक संग दर्शन देकर भक्तों को प्राचीन रूप-स्वरूप का साक्षी बनाया। राधा ने राजा बन हुक्म चलाने और कृष्ण ने श्यामा के रूप में नूपुर छनकाकर श्रद्धालुओं को उल्लास रस में गोते लगवाए।

By Edited By: Updated: Sun, 05 Aug 2012 01:42 PM (IST)
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वृंदावन, कार्यालय संवाददाता। श्रीधाम के प्रमुख तीर्थ सप्त देवालयों में द्वापर युग की लीलाएं साकार हो गई। एक देह दो प्राण युगल ने अनेक रूपों में एक संग दर्शन देकर भक्तों को प्राचीन रूप-स्वरूप का साक्षी बनाया। राधा ने राजा बन हुक्म चलाने और कृष्ण ने श्यामा के रूप में नूपुर छनकाकर श्रद्धालुओं को उल्लास रस में गोते लगवाए। छलिया यहीं नहीं रुके और प्रियतमा को कोतवाल के रूप में गार्ड ऑफ ऑनर देकर भी खूब मोहित किया।

नगर में स्थिति और आक्राताओं के विध्वंसकारी आक्रमण का शिकार बने देवालयों में साल में एक दिन राधा-कृष्ण द्वापर युग में की गई लीलाओं का दीदार कराया जाता है।

दामोदर ने सखी के रूप में श्रृंगार कर पायल छनकाई और वीणा की तान छेड़ी। श्रीजी ने दही बेच एवं श्यामसुंदर प्रभु ने केवट बन नौका विहार आनंद रस बरसाया। गोपीनाथ की आल्हादिनी शक्ति राधा ने वन विहार लीला कर भक्तों को कृतार्थ किया।

गोकुलानंद में राधा राजा बन गद्दी विराजी। सखी सखा और सखा सखी बने। कान्हा कोतवाल गेट पर खड़े हुए और प्रियतमा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस लीला का प्रभावशाली मंचन मदन मोहन मंदिर में भी किया गया। रक्षाबंधन पर सोने की राखी पहनने वाले राधारमण प्रभु ने भक्तों द्वारा अर्पित 56 भोग का स्वाद चखा। पिया से मिलन में बाधा आने पर भाई सुबल का रूप रख श्रीजी गोविंद देव तक पहुंचीं। एक दिनी एवं कौतूहल से भरपूर चमत्कारी लीला के दौरान देवालयों में वन, जल विहार के दृश्य प्राकृतिक पत्तियों, डालियों, पुष्पों से मनोहारी बनाए गए।

गोपीनाथ, गोविंददेव, गोकुलानंद, मदनमोहन आदि विश्व प्रसिद्ध देवालयों में गोलोकस्वामिनी राधेरानी ने चरण दर्शन देकर कृपा की भरपूर बरसात की। इस उत्सव का साक्षी बनने के लिए हजारों गृहस्थ, संत-महंत, साध्वी संग बच्चे देवालयों में पहुंचे। परदेसी श्रद्धालुओं का भी सायं काल से देर रात तक ताता लगा रहा। प्रमुख सेवकों श्रीवत्स गोस्वामी, कृष्ण बलराम गोस्वामी, कृष्ण गोस्वामी, सनातन किशोर गोस्वामी, कृष्णगोपालानंद देव गोस्वामी, पुलिन कृष्ण गोस्वामी आदि ने सहयोगियों एवं भक्त मंडल के साथ राधा कृष्ण के महोत्सव को मोहक, अद्भुत और स्मरणीय बनाने में कमी नहीं छोड़ी।

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