Video: भारत का 'मेड इन इंडिया' एयरक्राफ्ट कैरियर INS Vikrant परीक्षण के लिए फिर समुद्र में उतरा
भारत के दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएन विक्रांत का समुद्र में दूसरा ट्रायल चल रहा है। यदि सब कुछ सही रहा तो इसके अगले वर्ष भारतीय नौसेना में शामिल करने की संभावना है। इससे देश की समुद्री सीमा की सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 11 Jan 2022 03:27 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। भारतीय नौसेना को आईएनएस विक्रांत मे रूप में दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर अगले वर्ष मध्य तक मिल सकता है। फिलहाल इसका समुद्र में दूसरा ट्रायल चल रहा है। ये पूरी तरह से देश में निर्मित है और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसके भारतीय नौसेना में शामिल होने के साथ ही भारत की समुद्री सुरक्षा तो मजबूत होगी ही साथ ही ये दुश्मन के दांत खट्टे करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। आपको बता दें कि भारतीय नौसेना के पास पहले से ही आईएनएस विशाखापट्टनम के नाम से एक विमानवाहक युद्धपोत मौजूद है, जिसकी मौजूदगी ही दुश्मन के लिए सबसे बड़ा खतरा होती है।
आपको बता दें कि आईएनएस विक्रांत के इस ट्रायल पर चीन और पाकिस्तान की भी निगाह लगी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस जहाज के भारतीय नौसेना में शामिल होने के साथ ही इन दोनों देशों की धड़कनें भी बढ़ जाएंगी। बता दें कि चीन के पास में जहां दो विमानवाहक युद्धपोत मौजूद हैं। वहीं, पाकिस्तान के पास अब तक एक भी युद्धपोत नहीं है। यही वजह है कि इस जहाज के भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद पाकिस्तान और चीन के हौसले पस्त हो जाएंगे। भारत का पहला विमानवाहक युद्धपोत भी आईएनएस विक्रांत के नाम पर ही था। इस बार जिस विमानवाहक पोत का ट्रायल चल रहा है उसका निर्माण कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। ये पहला ऐसा विमानवाहक पोत है, जिसका निर्माण भारत में किया गया है। इसका पिछले वर्ष पहला ट्रायल पूरी तरह से सफल रहा था। विक्रांत संस्कृत का शब्द है। इस विमानवाहक पोत का आदर्श वाक्य है 'जयमा सम युधी स्पर्धा' जिसको ऋगवेद से लिया गया है। हिंदी में इसका अर्थ है 'जो मुझसे युद्ध करेगा उसे मैं परास्त कर दूंगा' (I defeat those who fight against me) है।
Indigenous Aircraft Carrier #Vikrant #IAC
Azadi Ka #AmritMahotsav #MondayMotivation #AatmaNirbharBharat pic.twitter.com/oknA832jjd
— SpokespersonNavy (@indiannavy) January 10, 2022
इस जहाज का डिजाइन बनाने की शुरुआत 1999 में हुई थी। 29 दिसंबर 2011 को ये पहली बार सामने आया था। दिसंबर 2020 को इसका पहला बेसिन ट्रायल पूरा हुआ था। इसके बाद समुद्र में इसका ट्रायल अगस्त 2021 में शुरू हुआ था। दूसरे ट्रायल के दौरान फ्लाइट ट्रायल जोर-शोर से किया जा रहा है। भारतीय नौसेना द्वारा किए गए एक ट्वीट में इस विमानवाहक पोत से एक हेलीकाप्टर और मिग 29 लड़ाकू विमान को टेकआफ और लैंड करते हुए दिखाया गया है। अब इसके दूसरे ट्रायल के साथ ही इस बात की उम्मीद बढ़ गई है कि अपने तय समय अगस्त 2023 तक इसको नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
After 2 successive visits by The President @rashtrapatibhvn & The Vice President @VPSecretariat of #India within a span of less than 2 weeks,IAC #Vikrant is now heading out for the next set of SeaTrials(1/3)@PMOIndia@rajnathsingh@indiannavy@AjaybhattBJP4UK pic.twitter.com/7ultrknnke
— PRO Defence Kochi (@DefencePROkochi) January 9, 2022
आपको बता दें कि इस जहाज के दूसरे ट्रायल से पहले देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति इसका जायजा ले चुके हैं। 10 जनवरी 2022 को इस विमानवाहक पोत से मिग 29 ने उड़ान भरी थी। ये पल इस जहाज को बनाने और इस पर काम करने वालों के लिए बेहद भावुक पल था। एक ट्वीट में पीआरओ डिफेंस कोच्चि ने लिखा है कि आईएनएस विक्रांत के दूसरे समुद्री ट्रायल में देखा जाएगा कि ये कैसे काम कर रहा है। 860 फीट लंबे और 203 फीट चौड़ा ये विमानवाहक पोत 56 किमी प्रतिघंटे (30 किलो नाट) की रफ्तार से समुद्र का सीना चीरता हुआ आगे बढ़ सकता है। इस पर एक समय में 196 अधिकारियों के अलावा 1449 सेलर एक साथ रह सकते हैं। इसमें एयरक्रू मेंबर्स भी शामिल हैं। इस पर दुश्मन की जानकारी लेने के लिए बेहद ताकतवर रडार सिस्टम लगा है। ये रडार एक ही समय में कई काम कर सकता है। इस पर बराक मिसाइल, जो कि जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है लगी है। ये मिसाइल 150 किमी तक अचूक वार करने में सक्षम है। इस विमानवाहक पोत पर 36 से 40 विमान तक एक बार में खड़े रह सकते हैं।
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