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दिल्ली से भेजे गए बेली ब्रिज और विशेष खोजी कुत्ते दस्ते, वायनाड में युद्ध स्तर पर जुटीं तीनों सेनाएं; मलबे से निकाले जा रहे शव

Wayanad Landslide वायनाड में भूस्खलन से आई भयानक त्रासदी से हाहाकार मचा हुआ है। कई गांव पूरी तरह तबाह हो गए तो दर्जनों घर बह गए। अब तक 168 लोगों के मौत की पुष्टि है एवं अभी भी मलबे से शव निकाले जा रहे हैं। विकट परिस्थितियों के बीच तीनों सेनाएं समेत राज्य एवं केंद्र आपदा बल पूरी ताकत के साथ बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Wed, 31 Jul 2024 11:52 PM (IST)
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त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 167 हो गई है।
पीटीआई, वायनाड। केरल के वायनाड जिले में विनाशकारी भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 167 हो गई, जबकि 191 लोग अभी भी लापता हैं। 200 घायलों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। बचावकर्मी मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं। अभी मृतक संख्या और बढ़ने की आशंका है।

सेना सहित बचाव दलों ने तलाशी अभियान के दूसरे दिन बुधवार को मलबे में फंसे लोगों को खोजने के प्रयास और तेज किए। इस दौरान कई क्षतिग्रस्त मकानों के मलबे में दबे शवों को उसी अवस्था में बाहर निकाला गया, जिस अवस्था में वह दुर्घटना के वक्त घर में थे। इनमें कुछ शव बैठे और लेटी हुई अवस्था में थे। ये हृदय विदारक दृश्य थे।

चार गांव हुए तबाह

भारी बारिश के कारण मंगलवार तड़के बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन में वायनाड के चार गांव मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टमाला और नूलपुझा पूरी तरह तबाह हो गए थे। राहत और बचाव टीमें सामूहिक रूप से मलबे को खोदकर और मिट्टी में दबे घरों के अवशेषों को तोड़कर जीवित बचे लोगों की तलाश कर रही हैं। बचावकर्मी अभी भी कई अंदरुनी इलाकों तक नहीं पहुंच पाए हैं, जिनका संपर्क बुधवार सुबह पूरी तरह से टूट गया था।

चैनलों पर प्रसारित दृश्यों में देखा जा सकता है कि मुंडक्कई में एक स्थान पर सेना के जवान पूरी तरह से कीचड़ में डूबे एक घर की टिन की छप्पर को तोड़ रहे हैं। वे रस्सियों का उपयोग करके अंदर पहुंच कर वहां दबे शवों को निकाल रहे थे। ऐसे ही एक मकान में अंदर गए एक स्थानीय व्यक्ति के.बाबू ने बताया कि उसने कुर्सियों पर बैठे हुए और चारपाई पर लेटी हुई मुद्राओं में मिट्टी में दबे शव देखे।

विनाशकारी दृश्य

उन्होंने बताया कि आपदा के वक्त मुंडक्कई में बच्चों के अलावा 860 से अधिक लोग मौजूद थे। इसके अलावा इलाके में प्रवासी मजदूर और पर्यटक भी थे। बाबू ने बताया, 'कई स्थानों पर लोगों को मलबे में जीवित फंसे देखा और वे मदद को तरस रहे थे। शवों में बच्चों को एक-दूसरे से कसकर गले लगे हुए देखा गया। महिलाओं के शव पेड़ के विशाल तनों के बीच पाए गए।'

बहरहाल, प्रशासन ने अभी तक इन दावों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा, 'वायनाड में बचाव अभियान जोरों पर चल रहा है। हमारी धरती ने पहले कभी ऐसे दर्दनाक दृश्य नहीं देखे।' इससे पहले दिन में सीएम की अध्यक्षता में एक कैबिनेट बैठक में आपदा में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। विजयन ने कहा कि जिले के मुंडक्कई और चूरलमाला इलाकों में दृश्य विनाशकारी हैं।

केंद्र ने दिया हरसंभव मदद का भरोसा

उन्होंने कहा कि ये दोनों इलाके पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बचाव अभियान के तहत अब तक 1,592 लोगों को बचाया गया। वायनाड जिले में 82 राहत शिविरों में वर्तमान में 8,017 लोग रह रहे हैं। नदी में बह रहे शवों को खोजने के लिए अभियान चल रहा है और ये शव पास के मलप्पुरम जिले में पहुंच रहे हैं। इस बीच, केंद्रीय मंत्री जार्ज कुरियन ने वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं। केंद्र ने राज्य को हरसंभव सहायता देने का वादा किया है।

प्रियजनों की पहचान कर किया अंतिम संस्कार

भूस्खलन में मारे गए प्रियजनों की पहचान करने और उनके अंतिम संस्कार के दौरान परिजनों की दुख और निराशा से भरी हृदय विदारक चीखें सुन कर हर आंख नम हो रही थी। प्राकृतिक आपदा में मारे गए सभी लोगों के शव मेप्पाडी परिवार स्वास्थ्य केंद्र और नीलांबुर सरकारी अस्पताल में रेफ्रिजरेटर में रखे गए थे। सभी लोग अपने प्रियजनों के शवों को पहचानते हुए और आखिरी बार उन्हें देख कर बदहवास और बेसुध होकर रोते बिलखते देखे गए। इसी तरह के दृ श्मशानों में भी देखे गए, जहां शवों को एक-दूसरे के करीब दफनाया गया या उनका दाह संस्कार किया गया। वायनाड जिला प्रशासन ने लकड़ी और गैस आधारित दाह संस्कार भट्टियों में एक-दूसरे के बगल में कई शवों के अंतिम संस्कार किए जाने की तस्वीरें भी जारी कीं।

सेना ने दिल्ली से भेजे बेली ब्रिज और विशेष खोजी कुत्ते दस्ते

सेना का अब विशेष फोकस भूस्खलन में दबे लोगों की तलाश कर उनकी जिंदगी बचाना है और इसके लिए बुधवार को दिल्ली से सेना के विशेष खोजी कुत्ते दस्ते को भेजा गया। साथ ही मुश्किल इलाकों में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए सेना ने अपने तीन बेली ब्रिज विशेष विमानों के जरिए वायनाड पहुंचा दिए हैं। सेना ने इस राहत और बचाव ऑपरेशन में अब तक अपने करीब 500 सैनिकों-अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों को लगा दिया है।

राहत और बचाव के इस अभियान के तहत सेना ने लगभग 1000 लोगों को अब तक सुरक्षित निकाल उन्हें चिकित्सा सहायता मुहैया कराई है। सेना मुख्यालय के अनुसार सेना ने एचएडीआर प्रयासों के समन्वय के लिए कोझीकोड में ब्रिगेडियर अर्जुन सेगन के साथ कर्नाटक और केरल उप क्षेत्र के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल वीटी मैथ्यू की अध्यक्षता में एक कमांड और कंट्रोल सेंटर स्थापित किया है।

विमानों से पहुंचाई जा रही राहत सामग्री

ब्रिगेडियर सेगन ने आज तड़के प्रभावित क्षेत्रों की टोह ली और बचाव अभियान के आगे के संचालन के लिए सेना की टुकडि़यों का मार्गदर्शन किया। सैनिक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के छह किलोमीटर क्षेत्र में बचाव अभियान चला रहे हैं। वहीं भारतीय वायुसेना के हेलीकाप्टरों ने खाद्य पदार्थ और अन्य राहत सामग्री गिराने के लिए बुधवार को कई उड़ानें भरीं। तिरुअनंतपुरम, सुलूर और तंजावुर में कई विमान तत्काल सूचना पर हवाई बचाव सहायता प्रदान करने के लिए स्टैंडबाय पर हैं।