'सब खत्म, कुछ नहीं बचा', लाल आंखों से आंसू पोंछते शख्स ने सुनाई वायनाड त्रासदी की आपबीती; पढ़ें दिल दहला देने वाली सच्चाई
Wayanad Landslide वायनाड में भूस्खलन से आई आपदा इतनी भयावह है कि छह दिन बाद भी राहत एवं बचाव कार्य पूरा नहीं किया जा सका है। अभी भी कई लोगों की तलाश जारी है। इस बीच हादसे में बचाए गए लोगों की दर्दनाक कहानियां निकलकर आ रही हैं जो भयावहता की तस्वीर बयां कर रही हैं। ऐसी ही एक कहानी है 42 वर्षीय मंसूर की।
पीटीआई, वायनाड। वायनाड में भूस्खलन से आई त्रासदी ने भीषण तबाही मचाई है। प्रभावित इलाकों में छठे दिन भी लापता लोगों की तलाश जारी है। इस बीच हादसे से बचाए गए लोगों की दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं, जिससे आपदा की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसी ही एक कहानी 42 वर्षीय मंसूर की है, जिनसे इस हादसे ने सब कुछ छीन लिया।
मंसूर चूरलमाला के रहने वाले हैं, जोकि भूस्खलन से सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में से एक है और पूरा गांव तबाह हो गया है। मंसूर समाचार एजेंसी पीटीआई को बताते हैं कि उन्होंन इस हादसे में सब कुछ खो दिया और अब उनके पास कुछ नहीं बचा है।
परिवार के 16 सदस्यों की मौत
तबाही की दिल दहला देने वाली कहानी बताते हुए मंसूर एजेंसी से कहते हैं कि आपदा में उन्होंने अपने परिवार के 16 सदस्यों को खो दिया, जिनमें उनकी मां, पत्नी, दो बच्चे, बहन और उसकी भाभी के परिवार के 11 सदस्य शामिल थे। मंसूर ने कहा कि भूस्खलन ने उसकी पूरी दुनिया को बहा दिया और उसे अकेला और वंचित छोड़ दिया।मंसूर ने नींद की कमी और आंसुओं से लाल हुई अपनी आंखों से कहा, 'मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है।' उन्होंने कहा, 'मेरा परिवार, मेरा घर, सब कुछ खत्म हो गया है।' मंसूर ने बताया कि वह मौत से बाल-बाल बच गए, क्योंकि घटना वाले दिन वह काम से जुड़े एक कार्यक्रम में गए हुए थे।
अभी तक नहीं मिला बेटी का शव
भारी मन से उन्होंने कहा, 'मुझे अभी तक अपनी बेटी का शव नहीं मिला है। हमें चार शव मिले हैं- मेरी पत्नी, बेटा, बहन और मेरी मां के। मुझे अभी भी अपनी बेटी नहीं मिली है। जब घटना घटी तो मैं वहां नहीं था, क्योंकि मैं काम के लिए बाहर गया था। अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है। मैं फिलहाल अपने भाई के साथ रह रहा हूं।'मंसूर के भाई नासिर ने भी पीटीआई से त्रासदी के विनाशकारी प्रभाव का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि आज सुबह उन्होंने अपनी मां के अवशेषों की पहचान की, जिससे बरामद शवों की कुल संख्या चार हो गई। परिवार के बारह सदस्यों का पता नहीं चल पाया है।