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Wayanad Landslide: बचाव अभियान पांचवें दिन भी जारी, 300 लोग अभी तक लापता; तलाशी में लगाया गया रडार ड्रोन

Wayanad Landslide वायनाड में भूस्खलन के बाद आज पांचवें दिन भी बचाव अभियान जारी है। आज भी 1300 से अधिक बचावकर्मी भारी मशीनरी और अत्याधुनिक उपकरण लगाकर भूस्खलन में फंसे लोगों की तलाश में लगे हैं। वायनाड में लैंडस्लाइड से अब तक 344 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 273 लोग घायल हैं। अधिकारियों को लगभग 300 लोगों के लापता होने का संदेह है।

By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Sat, 03 Aug 2024 02:14 PM (IST)
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Wayanad Landslide वायनाड में पांचवें दिन चल रहा बचाव अभियान।

पीटीआई, वायनाड। Wayanad Landslide वायनाड में भीषण भूस्खलन के बाद से पांचवें दिन भी बचाव अभियान जारी है। आज भी 1300 से अधिक बचावकर्मी, भारी मशीनरी और अत्याधुनिक उपकरण लगाकर भूस्खलन में फंसे लोगों की तलाश में लगे हैं। 

340 से अधिक लोगों की मौत 

वायनाड में लैंडस्लाइड से अब तक 344 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बचाव अभियान की खास बात ये है कि तलाशी और बचाव के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाली निजी कंपनियां और स्वयंसेवक भी सेना, पुलिस और आपातकालीन सेवा इकाइयों के नेतृत्व में अभियान में शामिल हो गए हैं।

केरल के सीएम और उनकी पत्नी ने की वित्तीय मदद

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 1 लाख रुपये और उनकी पत्नी टी.के. कमला ने सीएमडीआरएफ (मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष) में 33,000 रुपये का योगदान दिया।

बचाव अभियान में आ रही दिक्कतें

भूस्खलन के कारण आए बड़े-बड़े पत्थर और लकड़ियां मुंडक्कई और चूरलमाला के आवासीय क्षेत्रों में जमा हो गई हैं, जिससे मलबे के नीचे फंसे लोगों का पता लगाने के लिए बचाव प्रयासों में बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

— ANI (@ANI) August 3, 2024

300 लोगों के लापता होने का संदेह 

30 जुलाई की सुबह वायनाड जिले में हुए भीषण भूस्खलन में अब तक 344 लोगों की मौत हो गई और 273 लोग घायल हो गए। लगभग 300 लोगों के लापता होने का संदेह है और बचाव दल को नष्ट हो चुके घरों और इमारतों में तलाशी के दौरान जलभराव वाली मिट्टी सहित प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है। 

बंगाल के 242 प्रवासी मजदूर फंसे 

पश्चिम बंगाल के श्रम मंत्री मोलॉय घटक ने बताया कि केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में राज्य के 242 प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने का काम चल रहा है।

रडार वाले ड्रोन से तलाशी

बचाव अभियान में रडार वाला ड्रोन भी अब तैनात कर दिया गया है। इस ड्रोन की खासियत है कि ये धरती से 120 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए एक बार में ही 40 हेक्टेयर भूमि को ही सर्च कर लेता है। 

जिला प्रशासन ने बीते दिन जीपीएस का उपयोग करके बचाव कार्य के लिए संभावित स्थानों का मानचित्रण किया, हवाई तस्वीरें लीं और सेल फोन लोकेशन डेटा लिया। उन्होंने मलबे के नीचे दबे शवों की तलाश के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और कैडेवर डॉग स्क्वॉड का भी इस्तेमाल किया है। 

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