'हम कृष्ण को करते हैं याद, उनको भाते हैं शकुनि', राज्यसभा में शिवराज की कांग्रेस को खरी-खरी
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला।उन्होंने कहा कि मैं सीधे-सीधे अपनी बात कहना चाहता था लेकिन कांग्रेस सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने जब चर्चा की शुरुआत की तो छेड़ दिया। हम किसी को छेड़ते नहीं और कोई छेड़ दे तो छोड़ते नहीं। सुरजेवाला को शकुनि याद आए। चौसर चक्रव्यूह और इन सारे शब्दों का संबंध है अधर्म से। शकुनि छल धोखे और कपट के प्रतीक थे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अनुदानों पर चर्चा का जवाब देते हुए राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को आड़े हाथों ले लिया। मोदी सरकार की बीते दस वर्षों की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि किसान हमारे लिए वोट बैंक नहीं, भगवान है।
कांग्रेस के डीएनए में है किसान विरोधः शिवराज सिंह चौहान
वहीं, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर यूपीए सरकार तक के कार्यकाल के संदर्भों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस के डीएनए में ही किसान विरोध है। राज्यसभा में अपने मंत्रालय के अनुदानों पर चर्चा का शुक्रवार को उत्तर देते हुए शिवराज ने कहा- 'मैं सीधे-सीधे अपनी बात कहना चाहता था, लेकिन कांग्रेस सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने जब चर्चा की शुरुआत की तो छेड़ दिया। हम किसी को छेड़ते नहीं और कोई छेड़ दे तो छोड़ते नहीं।'
सुरजेवाला को शकुनि याद आए। चौसर, चक्रव्यूह और इन सारे शब्दों का संबंध है अधर्म से। शकुनि छल, धोखे और कपट के प्रतीक थे। चक्रव्यूह मतलब घेरकर मारना। कांग्रेस को क्यों चक्रव्यूह और चौसर याद आते हैं। हम तो महाभारत काल में जाते हैं तो भगवान कृष्ण याद आते हैं। अनीति, अधर्म और ठगी किसने की? कांग्रेस के डीएनए में ही किसान विरोध है।- शिवराज सिंह चौहान
शिवराज को क्यों याद आए जवाहरलाल नेहरू?
शिवराज ने कहा कि यह आज से नहीं है। प्रारंभ से ही कांग्रेस की प्राथमिकताएं गलत रही हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू रूस गए और वहां का मॉडल देखकर आए तो बोले कि इसे लागू करो। भारत रत्न चौधरी चरण सिंह ने मना कर दिया। कहा कि भारत की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। नेहरू ने 17 वर्ष तक प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित किया और अमेरिका का सड़ा हुआ लाल गेहूं भारत को खाने पर मजबूर किया।कृषि मंत्री ने यूपीए शासनकाल का किया उल्लेख
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय किसानों से जबरन लेवी वसूली जाती थी। रखा हुआ अनाज उठा लिया जाता था। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी एग्रीकल्चर प्राइस पालिसी की बात जरूर की, लेकिन किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। फिर उदारीकरण का आरंभ हुआ, पीवी नरसिम्हा पीएम और मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे, लेकिन उस समय भी कृषि से जुड़े उद्योगों की डीलाइसेंसिंग नहीं की गई।
कृषि मंत्री ने यूपीए शासनकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि 2004 से 2014 तक की क्या बात करें। उस समय भारत घोटालों के देश के रूप में जाना गया। तब भारत के राजनीतिक क्षितिज पर नरेन्द्र मोदी के रूप में एक दैदीप्यमान सूर्य का उदय हुआ, जिन्होंने सारे देश को आशा से भर दिया।
किसान फसल बीमा पर क्या बोले कृषि मंत्री?
कांग्रेस द्वारा किसान फसल बीमा पर प्रश्न खड़े किए जाने पर कहा कि कांग्रेस के समय फसल बीमा योजना की यूनिट तहसील थी, मतलब एक गांव की फसल खराब हो जाए तो मतलब किसान प्रार्थना करें कि सारे तहसील की फसल खराब हो जाए, जबकि पीएम मोदी ने जो किसान फसल बीमा योजना शुरू की, उसका अध्ययन करने के लिए दूसरे देशों के विशेषज्ञ आ रहे हैं।