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Winter Alert: इस साल क्यों ज्यादा सताएगी ठंड? WMO ने बताई असली वजह, IMD का भी अलर्ट जारी

Winter Alert For Weather Forecast Update भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है। मौसम विभाग ने बताया कि आने वाले तीन दिनों में उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है। वहीं विश्‍व मौसम संगठन ने पूर्वानुमान में कहा है कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ेगी।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Fri, 13 Sep 2024 11:17 AM (IST)
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इस साल होगी कड़ाके की ठंड। (Photo Jagran)

Winter Alert : डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में इस वर्ष खूब गर्मी पड़ी और झमाझम बारिश ने कई रिकॉर्ड भी तोड़े। बारिश ने कई राज्यों में खूब तबाही भी मचाई। पहाड़ों से लेकर मैदान तक कई जगह तो बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। गुरुवार को भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जहां आने वाले दिनों में अधिक वर्षा का अनुमान जताया है, वहीं विश्‍व मौसम संगठन (WMO) ने इस सर्दी को लेकर पूर्वानुमान जारी किया है।

उत्तरी भागों में कड़ाके की ठंड

विश्‍व मौसम संगठन (WMO) के विज्ञानियों का कहना है कि इस साल के अंत तक ला नीना (La Nina) का प्रभाव 60 प्रतिशत रहेगा। जिसकी वजह से इस वर्ष उत्तरी भागों में कड़ाके की ठंड तो पड़ेगी ही, साथ ही ठंड की अवधि भी अधिक होगी। ला नीना के डेवलप होने पर प्रशांत महासागर की सतह का टेम्‍प्रेचर कम हो जाता है। जब सतह का टेम्‍प्रेचर कम होगा तो ठंड भी अधिक होगी।

ला नीना का बढ़ता प्रभाव

बुधवार को विश्व मौसम विज्ञान संगठन के लेटेस्ट अपडेट से पता चलता है कि सितंबर-नवंबर 2024 के दौरान ला नीना का प्रभाव 55 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। वहीं अक्तूबर 2024 से फरवरी 2025 तक यह संभावना बढ़कर 60 प्रतिशत हो जाएगी। ला नीना के बढ़ते प्रभाव से उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है। इसलिए इस साल उत्तर भारत में सामान्य से अधिक ठंड पड़ सकती है।

जलवायु परिवर्तन पर निर्भर

हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अभी तक पुष्टि नहीं की है कि ला नीना की स्थिति सामान्य से अधिक ठंडी सर्दियों का कारण बनेगी या नहीं। प्रत्येक ला नीना घटना के प्रभाव इसकी तीव्रता, अवधि, वर्ष के समय के आधार पर भिन्न होते हैं। हालांकि, ला नीना और एल नीनो जैसी प्राकृतिक रूप से होने वाली जलवायु घटनाएं जलवायु परिवर्तन पर निर्भर होती हैं।

9 साल अब तक के सबसे गर्म

WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा कि जून 2023 से हमने तापमान में वृद्धि (जमीन और समुद्र) की परिपाटी देखी है। भले ही अल्पकालिक ठंड हो, लेकिन यह वायुमंडल में गर्मी को सोखने वाली ग्रीनहाउस गैसों के कारण बढ़ते वैश्विक तापमान के लंबे समय तक होने वाले असर को कम नहीं कर सकती है। वर्ष 2020 से 2023 की शुरुआत तक ला नीना के समुद्री सतह को ठंडा करने के प्रभाव के बावजूद, पिछले 9 साल अब तक के सबसे गर्म वर्ष रहे हैं।

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