हिंदी साहित्य और भाषा को डिजिटल माध्यम में संरक्षित करने की कोशिश हिंदवी ओआरजी
हिन्दवी हिंदी साहित्य को समर्पित एक वेबसाइट है। इस मंच पर 600 से अधिक कवियों की 10000 से अधिक काव्य-रचनाएँ उपलब्ध हैं जिनमें विस्तार जारी है। हिन्दवी ने वेबसाइट तैयार करते हुए यह प्रयास किया है कि सभी तरह के कविता-प्रेमी सहजता से कविता के इस संसार से गुज़र सकें।
नई दिल्ली, जेएनएन। हिन्दी साहित्य की यात्रा प्राकृत की अंतिम अपभ्रंश अवस्था से शुरू हुई। यह आज 21वीं सदी के तीसरे दशक तक आ पहुंची है। हिंदी साहित्य और भाषा ने 1000 वर्षों का सफ़र तय किया है और आज इंटरनेट युग में संवर रही है। हिन्दवी वेबसाइट में हम हिंदी साहित्य और भाषा की इसी विरासत को समकालीन साहित्य के साथ-साथ डिजिटल माध्यम में संरक्षित और संकलित करने का कार्य कर रहे हैं। यह कहना है, रेख़्ता फ़ाउंडेशन का। हिन्दवी; हिंदी साहित्य-संसार को समर्पित रेख़्ता फ़ाउंडेशन का एक उपक्रम है। रेख़्ता फ़ाउंडेशन का ध्येय है कि हमारे उपमहाद्वीप की सभी भाषाओं के भी संरक्षण और प्रसार में वह योगदान दे सके। उर्दू शाइरी और अदब के इलाक़े में रेख्ता ओआरजी यह काम लंबे वक्त से कर रहा है और हिंदी साहित्य के लिए हिंदवी ओआरजी की शुरूआत इसी ध्येय को जेहन में रखकर की गई है।
हिन्दवी हिंदी साहित्य को समर्पित एक वेबसाइट है। इस मंच पर साहित्य-प्रेमियों के लिए आदि से लेकर आधुनिक काल तक के 600 से अधिक कवियों की 10,000 से अधिक काव्य-रचनाएँ उपलब्ध हैं, जिनमें विस्तार जारी है। हिन्दवी ने वेबसाइट तैयार करते हुए यह प्रयास किया है कि सभी तरह के कविता-प्रेमी सहजता से कविता के इस संसार से गुज़र सकें। यहां हिंदी-काव्य-परंपरा को अलग-अलग विभागों में वर्गीकृत किया गया है। छंद के भिन्न-भिन्न अनुशासनों और कालक्रमानुसार कविता को श्रेणीबद्ध किया गया है। साथ ही समकालीन विमर्शों से संबंधित कविता, विषयानुसार कविता और लोकप्रिय कविता भी एक स्थान पर एकत्र है। हिन्दवी में ई-पुस्तक श्रेणी भी है, जहाँ हिंदी की पुरानी किताबों के साथ-साथ हिंदी कविता और साहित्य से संबंधित आधुनिक पुस्तकों को भी डिजिटाइज़ करके संरक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा यहाँ अनूदित और बाल-साहित्य का भी विशेष स्थान है और ब्लॉग का भी ताकि साहित्य के समृद्ध संसार से नित नया साक्षात्कार किया जा सके।