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Explainer: क्या है ASI का इतिहास, कब हुई थी शुरुआत? पढ़ें संस्थान से जुड़े सभी सवालों के जवाब

Archaeological Survey of India (ASI) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम करती है। ज्ञानवापी मामले में एएसआई को सर्वेक्षण का आदेश दिया गया है। बता दें कि ASI सर्वे के लिए कई वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कार्बन डेटिंग डेंड्रोक्रोनोलॉजी एथनो क्रोनोलॉजी आर्कियोलॉजिकल एक्सकैवेशन स्ट्रैटिग्राफी आर्कियोमेट्री और अंडरवाटर आर्कियोलॉजी जैसे तरीके इस्तेमाल में लाए जाते हैं।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Mon, 24 Jul 2023 05:05 PM (IST)
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भारत की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम करती है ASI
नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Archaeological Survey of India (ASI): वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से मंजूरी मिल गई है। मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की ASI सर्वे की मंजूरी दी गई है। इस आदेश के बाद सबके मन में सवाल आ रहा है कि आखिर ASI है क्या और इसके जरिए इतने बड़े विवाद को सुलझाने में कैसे मदद मिलेगी। साथ ही, लोगों के मन में यह सवाल भी आ रहा है कि आखिर इस सर्वे का मॉनिटरिंग कौन करता है।

राम मंदिर फैसले में निभाई अहम भूमिका

ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आगे का फैसला तय किया जाएगा। बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद से पहले अयोध्या राम मंदिर के फैसले के दौरान भी एएसआई के सर्वे की काफी अहम भूमिका रही थी। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की रिपोर्ट के आधार पर यह भी कहा है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी।

हालांकि, साथ ही कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में यह भी कहा था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है।

रामसेतु को लेकर रखी अपनी राय

2007 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने रामसेतु पर अपनी राय रखी थी। एक रिपोर्ट में कहा गया था कि राम सेतु एक प्राकृतिक संरचना से ज्यादा कुछ नहीं है। भारत सरकार ने एएसआई के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया कि संरचना का निर्माण भगवान राम द्वारा किए जाने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिला है।

इस खबर में हम आपको ASI से जुड़े सभी सवालों के जवाब देंगे। हम आपको बताएंगे कि ASI होता क्या है, इसकी स्थापना कब हुई, इसके जनक कौन थे और साथ ही बताएंगे कि कितने साइट एएसआई के अंतर्गत आते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

भारत के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली यह संस्था देश में ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम करती है। यह संस्था पुरातात्विक सर्वेक्षण, यानी पुरानी चीजों का गहन अध्ययन करती है। देश के किसी हिस्से में पुरातात्विक इमारतें, संरचनाएं या वस्तुएं मिलने पर ASI ही उसकी जांच-पड़ताल करता है। ऐतिहासिक इमारतों के रखरखाव, मेंटेनेंस और अन्य जरूरी काम ASI की ही जिम्मेदारी है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को अंग्रेजों के शासनकाल के समय साल 1861 में बनाया गया था। इसकी स्थापना देश की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए संस्कृति मंत्रालय के तहत की गई थी।

ASI सर्वे के लिए कई वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कार्बन डेटिंग, डेंड्रोक्रोनोलॉजी, एथनो क्रोनोलॉजी, आर्कियोलॉजिकल एक्सकैवेशन, स्ट्रैटिग्राफी, आर्कियोमेट्री और अंडरवाटर आर्कियोलॉजी जैसे तरीके इस्तेमाल में लाए जाते हैं।   कार्बन डेटिंग के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई इमारत कब बनी होगी।

ASI का फुल फॉर्म 'Archaeological Survey of India' है। इसको 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण' भी कहा जाता है। यह देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिए प्रमुख संगठन है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कार्यालय संस्कृति मंत्रालय के अधीन है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम जब किसी ऐतिहासिक इमारत या खंडहर का सर्वे करती है, तो उस पर संस्कृति मंत्रालय नजर रखती है। कुछ मामलों में जब सर्वे कोर्ट के आदेश पर किया जाता है, तो कोर्ट भी सर्वे के पल-पल की रिपोर्ट की मॉनिटरिंग करता है।

ASI का कार्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थलों की खोज, उत्खनन, संरक्षण, संरक्षण और सुरक्षा करना है। देश के किसी हिस्से में पुरातात्विक इमारतें, संरचनाएं या वस्तुएं मिलने पर ASI ही उसकी जांच-पड़ताल करता है।

यह राष्ट्रीय महत्व के संरक्षित स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों का रखरखाव, संरक्षण और संरक्षण करता है। यह स्मारकों और पुरावशेषों के रासायनिक संरक्षण में संलग्न है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को कुल 34 टुकड़ों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व एक अधीक्षण पुरातत्वविद् करता है। प्रत्येक वृत्त को आगे उप-वृत्तों में विभाजित किया गया है।

आईएएस अधिकारी वी. विद्यावती भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक हैं। कैबिनेट की नियुक्ति समिति के आदेश के बाद इनकी नियुक्ति की जाती है। बता दें, विद्यावती 1991 बैच की कर्नाटक कैडर की अधिकारी हैं।

सर अलेक्जेंडर कनिंघम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले महानिदेशक थे। उन्होंने बौद्ध ग्रंथों में वर्णित कई प्राचीन पुरातात्विक स्थलों की खुदाई की और पुष्टि की थी।

ASI द्वारा की गई C-14 रेडियो-डेटिंग के मुताबिक, सबसे पुरानी साइट फतेहाबाद जिले के भिर्राना गांव में है। इसका समय 7570-6200 ईसा पूर्व बताया गया है।

अर्श अली भारत के सबसे कम उम्र के पुरातत्वविद् हैं और अब तक कई खुदाई का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने चार साल की उम्र में एक एकल प्रदर्शनी आयोजित की थी और उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर छात्रों को प्राचीन और आधुनिक इतिहास पर व्याख्यान दिया था।

ब्रज बासी लाल, जिन्हें 'बीबी लाल' के नाम से जाना जाता है, उनका जन्म 1921 में ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत के झांसी में हुआ था। वह स्वतंत्र भारत के सबसे विपुल पुरातत्वविदों में से एक हैं। उन्होंने 1950-52 में तक्षशिला, हड़प्पा और शिशुपालगढ़ जैसे स्थलों पर प्रसिद्ध पुरातत्वविद् मोर्टिमर व्हीलर के अधीन प्रशिक्षण लिया।