Cheetah Project: क्या है चीता परियोजना? जिसका पीएम मोदी अपने जन्मदिन पर करेंगे शुभारंभ!
देश में चीता का अस्तित्व 70 साल पहले खत्म हो चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार भारत में चीतों को लाए जाने के लिए प्रयासरत है। उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से आठ चीते श्योपुर एमपी लाए जाएंगे।
By Shivam YadavEdited By: Updated: Tue, 06 Sep 2022 07:03 PM (IST)
भोपाल, जागरण आनलाइन डेस्क। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का जन्मदिन इसी महीने की 17 तारीख को है। 17 सितंबर 1950 को जन्मे पीएम मोदी इस साल 72 वर्ष की आयु के हो जाएंगे। देश के विकास के लिए दूरदृष्टि रखने वाले पीएम मोदी (PM Modi) अपने इस जन्मदिन पर देश को एक और तोहफा देने वाले हैं। संभावना है कि वे मध्य प्रदेश के कुनो पालपुर पार्क (Kuno Wildlife Sanctuary) में चीता परियोजना का शुभारंभ कर सकते हैं। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने भी पूरी तैयारी की हुई है।
क्या है चीता परियोजना ? और इसका महत्व
चीता परियोजना का सही अर्थ इसके नाम में ही छिपा है। यह परियोजना धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले जीव चीता के संरक्षण के लिए ही लाई गई है। दुर्भाग्य है कि देश में चीता का अस्तित्व 70 साल पहले ही खत्म हो चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार भारत में चीतों को लाए जाने के लिए प्रयासरत है। उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से आठ चीते श्योपुर, एमपी लाए जाएंगे।
नामीबिया (Namibia) में भी इन चीतों को अलग रखा गया है और भारत आने के लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं। हालांकि ऐसी उम्मीद थी कि पिछले महीने ही ये चीते भारत लाए जाएंगे, लेकिन ऐसा न हो सका। इन चीतों को प्रधानमंत्री पार्क के विशेष बाड़े में छोड़ा जाएगा। इसे लेकर पार्क में पांच और कराहल में चार हैलीपेड तैयार किए जा रहे हैं।
दो साल पहले ही आ चुके होते चीते
कोरोना काल से पहले भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद 2020 में चीता लाना तय किया था, लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ हिस्साें में उस साल प्रतिकूल मौसम के कारण कूनो पालपुर नेशनल पार्क में चीता के लिए बाड़ा नहीं तैयार किया जा सका। इसके बाद अफ्रीका में कोरोना के नए मामले आने शुरू हो गए, जिस कारण योजना से संबंधित भारतीय अधिकारियों की अफ्रीका की यात्रा निरस्त हो गई और काम को रोकना पड़ा।अगले पांच वर्षों में चीता की संख्या 50 तक पहुंचने की उम्मीद
कभी भारत को एशियाइ चीतों का घर माना जाता था। यहां इनकी इतनी ज्यादा संख्या थी कि इनका शिकार करना राजघरानों का शौक हो गया। इस शौक के कारण चीते विलुप्त हो गए। देश में आखिरी चीता वर्तमान छत्तीसगढ़ में राजाओं के इसी शौक के कारण मारा गया। इसके बाद 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया। चीता प्रोजेक्ट के तहत अगले 5 सालों में चीतों की संख्या को 50 तक करने की योजना है।