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Digital Arrest: कहीं आप तो नहीं हो रहे डिजिटल अरेस्ट का शिकार, लोगों को लूटने का नया तरीका अपना रहे ठग; जानें सबकुछ

ठग पीड़ितों को जो ऐप डाउनलोड करने को कहते हैं उसके जरिए वह फर्जी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य अधिकारियों से बात कराते हैं। वीडियो कॉल पर फर्जी अधिकारियों से बात करने के बाद पीड़ितों को यकीन होने लगता है कि ठगों ने जो कुछ कहा है वह सच है। इसकी जानकारी तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन को दी जानी चाहिए।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 25 Nov 2023 05:00 PM (IST)
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घर में ही डिजिटल अरेस्ट हो सकते हैं आप

ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। Digital Arrest: इन दिनों सोशल मीडिया और साइबर टेक्नोलॉजी में एक छोटी-सी चूक भी इंसान को बर्बाद कर सकती है। आए दिन प्रशासन और सरकार साइबर ठगी को लेकर लोगों को सतर्क करती रहती है। वहीं, दूसरी ओर ठग लोगों को लूटने के नए-नए तरीके ढूंढ़ ही लेते हैं। हाल ही में एक नए तरीके से एक नाबालिग लड़की के अकाउंट से लाखों रुपये लूट लिए गए हैं।

दरअसल, उस नाबालिग लड़की को उसके ही घर में डिजिटल अरेस्ट कर लिया और इसके बाद थोड़-थोड़ कर के उसके अकाउंट से ढाई लाख रुपये निकलवा लिए गए। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आ रहा है कि आखिर यह साइबर ठग क्या है और कोई इसका शिकार कैसे बन जाता है।

आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट क्या है, इसका शिकार कैसे बन जाते हैं और आखिर इससे बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट? (What Is Digital Arrest?)

डिजिटल अरेस्ट में ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका नाम कोई शिकायत दर्ज हुई है। झूठे मामले को लेकर पीड़ित को पहले काफी डराया जाता है, जिससे वह घबरा जाता है। इसके बाद उन्हें घर से बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है। इसके बाद एक दूसरा फोन कॉल कर के पीड़ितों को मदद देने का आश्वासन दिया जाता है। मदद मानकर पीड़ित ठगों की कही हुई हर बात को फॉलो करता है।

इस बीच ठग, पीड़ितों को एक ऐप डाउनलोड करने को कहते हैं और लगातार उस ऐप के जरिए पीड़ित से जुड़े रहते हैं। इसके बाद कुछ दिन बाद वो केस को रफा-दफा करने के लिए पीड़ित से कुछ पैसे मांगते हैं और यहां से लगातार पैसों के लेन-देन का मामला शुरू हो जाता है। इस बीच, पीड़ित को इतना डरा दिया जाता है कि वह अपने परिजनों और करीबियों से भी इस तरह की बातें बताने में घबराने लगता है।

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ऐप के जरिए कराते हैं अधिकारियों से बात

ठग पीड़ितों को जो ऐप डाउनलोड करने को कहते हैं, उसके जरिए वह फर्जी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य अधिकारियों से बात कराते हैं। वीडियो कॉल पर फर्जी अधिकारियों से बात करने के बाद पीड़ितों को यकीन होने लगता है कि ठगों ने जो कुछ कहा है, वह सच है। इसके बाद धीरे-धीरे वो पीड़ितों की निजी जानकारी निकलवाना शुरू करते हैं और फिर उसी का फायदा उठाकर ठगना शुरू कर देते हैं।

डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने पर क्या करें?

किसी भी तरह का ठग करने से पहले अपराधी आपको समझने की कोशिश करता है। यदि उसे लगता है कि वो आपको अपनी बातों में फंसाने में सक्षम है, तो वह आपको फोन करेगा और आपको डराना-धमकाना शुरू कर देगा। दरअसल, कोई भी साइबर अपराधी किसी व्यक्ति के डर को एक शक्तिशाली उपकरण के तौर पर देखते हैं, जिसके जरिए वह हेरफेर करने और साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के क्षेत्र में अवैध लाभ के लिए फायदा उठाने लगते हैं।

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जबकि डिजिटल अरेस्ट एक नकली और मनगढ़ंत बातों का जंजाल है। अगर कोई आपको पुलिस या सीबीआई बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचित करना चाहिए। साथ ही तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करानी चाहिए, इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी।