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Financial Emergency Explained: वित्तीय आपातकाल क्या होता है, अब तक देश में कितनी बार लगाया जा चुका है?

भारत के राष्ट्रपति देश में वित्तीय आपातकाल की घोषणा करते हैं। केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार मिला है कि वह देश में वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि वित्तीय आपातकाल की घोषणा के दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों से इसे साधारण बहुमत से पास कराने की आवश्यकता है।

By Devshanker ChovdharyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sun, 25 Jun 2023 11:31 AM (IST)
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Financial Emergency Explained: वित्तीय आपातकाल क्या होता है?

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Financial Emergency Explained: भारत में 25 जून का दिन एक काला अध्याय के शुरू होने के तौर पर याद किया जाता है। देश में 25 जून 1975 की मध्यरात्रि को आपातकाल लगा था, जो भारतीय इतिहास का काला धब्बा माना जाता है। हालांकि, भारत में आपातकाल के अलावा वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) लगाने का भी प्रावधान है।

क्या होता है वित्तीय आपातकाल?

देश में अगर अर्थव्यस्था चरमरा जाती है या वित्तीय स्थिरता को खतरा की स्थिति बनती है, तो वित्तीय आपातकाल लागू किए जा सकते हैं। वित्तीय आपातकाल को लेकर संविधान के अनुच्छेद 360 में स्थिति स्पष्ट की गई है। देश में जब आर्थिक मंदी बहुत नीचे तक चली जाती है और देश को चलाने के लिए पर्याप्त राशि नहीं हो, तब किसी राज्य या देश में वित्तीय आपातकाल घोषित किया जा सकता है।

कौन लागू करता है वित्तीय आपातकाल?

भारत के राष्ट्रपति देश में वित्तीय आपातकाल की घोषणा करते हैं। केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार मिला है कि वह देश में वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि, वित्तीय आपातकाल की घोषणा के दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों से इसे साधारण बहुमत से पास कराने की आवश्यकता है।

वित्तीय आपातकाल के प्रभाव

  • जब देश में वित्तीय आपातकाल की घोषणा होती है, तो इसका प्रभाव कई सेक्टरों पर देखने को मिलता है।
  • वित्तीय आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार के अधिकार का विस्तार हो जाता है।
  • केंद्र सरकार किसी भी राज्य में वित्तीय हस्तक्षेप कर सकता है और उसे आदेश दे सकता है।
  • वित्तीय आपातकाल के दौरान सभी धन विधेयकों या वित्तीय बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी अनिवार्य हो जाती है।
  • वित्तीय आपातकाल के दौरान किसी भी कर्मचारी के वेतन में कटौती की जा सकती है।
  • वित्तीय आपातकाल के दौरान वित्तीय मामलों में राज्य पर केंद्र का अधिकार हो जाता है।

वित्तीय आपातकाल से जुड़े कुछ तथ्य

  • सुप्रीम कोर्ट के पास यह अधिकार है कि वह वित्तीय आपातकाल की समीक्षा कर सकता है।
  • वित्तीय आपातकाल की समाप्ति की घोषणा राष्ट्रपति करते हैं।
  • वित्तीय आपातकाल खत्म करने के लिए संसद से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • वित्तीय आपातकाल घोषित होने के बाद यह अनिश्चित काल तक लागू रहता है।

भारत में आपातकाल के प्रकार

भारत में तीन प्रकार के आपाताकाल के प्रावधान है। इसका उल्लेख संविधान के 18वें भाग में अनुच्छेद 352 से 360 तक किया गया है।

  • अनुच्छेद 352 में राष्ट्रीय आपातकाल
  • अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति शासन
  • अनुच्छेद 360 में वित्तीय आपातकाल

इन प्रावधानों के तहत ही देश में आपातकाल की घोषणा की जाती है।

भारत में कितनी बार लगा है वित्तीय आपातकाल?

भारत में आज तक कभी भी वित्तीय आपातकाल लागू नहीं हुआ है। 1991 में जब वित्तीय स्थिति खराब हो गई थी, तब भी वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई थी।