Independence day 2023: आप कहीं जाने अनजाने तिरंगे का अपमान तो नहीं कर रहे! पढ़ें ध्वजारोहण से जुड़े सभी नियम
15 अगस्त को देशभर में 76वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2023) मनाया जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस पर हर जगह ध्वजारोहण का कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। हालांकि देश में ध्वजारोहण को लेकर भारतीय ध्वज संहिता में कुछ जरूरी बातों का उल्लेख किया गया है। तिरंगे झंडे को उतारते और चढ़ाते समय कई बातों का खास ख्याल रखना होता है।
- जब तिरंगे को किसी अन्य देश के राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराया जाता है, तो इसे दूसरे देश के ध्वज के बाईं ओर रखा जाना चाहिए। हालांकि, जब तिरंगे को संयुक्त राष्ट्र के झंडे के साथ फहराया जाता है, तो इसे उसके दोनों ओर फहराया जा सकता है।
- किसी भी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए भारतीय ध्वज को नहीं झुकाना चाहिए। हालांकि, किसी कारण यदि सरकार सार्वजनिक आदेश देते हैं, तो इसे आधा झुकाया जाता है।
- तिरंगे का इस्तेमाल किसी पोशाक, रूमाल या वर्दी के लिए नहीं किया जा सकता है।
- झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं होने चाहिए।
- झंडे का प्रयोग किसी प्रतिमा या स्मारक को ढकने के लिए नहीं कर सकते हैं।
- झंडे को जानबूझकर जमीन को छूने और पानी में डूबता नहीं छोड़ना चाहिए।
- तिरंगा झंडा फहराते हुए खास ध्यान रखना चाहिए कि इसका केसरिया रंग ऊपर की ओर ही हो।
- क्षतिग्रस्त और अस्त-व्यस्त झंडा बिल्कुल प्रदर्शित नहीं करना चाहिए।
- ध्वज को किसी अन्य ध्वज के साथ एक ही ध्वज-दंड में नहीं फहराना चाहिए।
- जब किसी वक्ता के मंच के पास झंडा फहराया जाता है, तो इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि झंडा वक्ता के पीछे और उससे ऊंचा होना चाहिए।
- जब भारतीय ध्वज को किसी भी संस्था या देश का झंडे के साथ फहराया जाता है, तो वह तिरंगे से ऊंचा और बड़ा नहीं होना चाहिए।
- झंडे का इस्तेमाल किसी तरह की सजावट या पताका के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
- झंडे को बांधते समय ध्यान रखना चाहिए कि वो किसी तरह से क्षतिग्रस्त न हो।
- झंडा अभिवादन के बाद राष्ट्रगान होना चाहिए। इस कार्यक्रम के दौरान परेड सावधान अवस्था में होनी चाहिए।
- जब भी झंडा फहराया जाए, तो उसे सम्मानपूर्वक ऐसे स्थान पर फहराया जाना चाहिए, जहां से वह साफ-साफ नजर आए।
- यदि ध्वज को फहराते या उतारते समय बिगुल बजाया जा रहा है, तो इस बात का खास ध्यान रखा जाना चाहिए कि झंडा बिगुल के साथ ही उतारा और चढ़ाया जाए।
- यदि झंडा इमारत के अगले हिस्से या बालकनी या खिड़की पर आड़े या तिरछे फहराया जाए तो झंडे का केसरी रंगवाला भाग डंडे के उस सिरे की ओर होगा जो खिड़की के छज्जे, बालकनी या अगले हिस्से से सबसे दूर हो।
- जब झंडा किसी दीवार के सहारे पट्ट और टेढ़ा फहराया जाए तो केसरी भाग सबसे ऊपर रहेगा और जब वह लम्बाई में खड़ा करके फहराया जाए तो केसरी भाग झंडे के हिसाब से दाई और होगा अर्थात यह झंडे को सामने से देखने वाले व्यक्ति के बाईं ओर होगा ।
- किसी मूर्ति के अनावरण जैसे अवसरों पर झंडा महत्व के साथ और अलग से फहराया जाएगा।
- यदि झंडा किसी मोटर कार पर अकेले फहराया जाएगा तो उसे कार के सामने दाईं ओर कसकर लगाये हुए एक डंडे (स्टाफ) पर फहराया जाएगा।
- किसी जुलूस या परेड में ले जाते समय झंडा चलते हुए जुलूस या परेड की दाईं ओर अर्थात स्वयं झंडे की दाहिनी ओर रहेगा या यदि दूसरे झंडों से बनी हुई एक पंक्ति हो तो राष्ट्रीय झंडा उस पंक्ति के बीच की जगह से आगे की ओर होगा ।
- फटा हुआ या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए।
- किसी व्यक्ति या वस्तु के अभिवादन के लिए झंडे को नीचे नहीं किया जा सकता है।
- झंडे का प्रयोग बंदनवार, फीता या झंडियां बनाने या किसी दूसरे प्रकार की सजावट के लिए नहीं किया जाएगा।
- 'केसरी' भाग को नीचे रखकर झंडा नहीं फहराया जाएगा।
- झंडे को जमीन या फर्श को छूने या पानी में घसीटने नहीं देना चाहिए।
- राज्य / सेना/केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों की ओर से किए जाने वाले मृतक संस्कारों के अलावा, झंडे का प्रयोग किसी भी रूप में लपेटने के लिए नहीं किया जाएगा।
- झंडा किसी गाड़ी, रेल - गाड़ी अथवा नाव के हुड, सिरे, बाजू या पिछले भाग पर नहीं लपेटा जाएगा।
- झंडा किसी भी रूप में विज्ञापन के काम में नहीं लाया जाएगा और न ही उस डंडे पर, जिस पर कि झंडा फहराया जाता है।
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, उपराज्यपाल, विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों के अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, केन्द्र के राज्य मंत्री और उपमंत्री, राज्यों अथवा संघ शासित क्षेत्रों में मुख्यमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्री, राज्यों अथवा संघ शासित क्षेत्रों के राज्य मंत्री और उप मंत्री, लोक सभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा उपाध्यक्ष, राज्यों में विधान परिषदों के उपाध्यक्ष समेत अन्य कुछ चुनिंदा गणमान्यों को यह अधिकार है।
- इनके अलावा, भारत के मुख्य न्यायाधिपति, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधिपति, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी कभी आवश्यक समय पर कारों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा सकते हैं।
- जब राष्ट्रपति देश के अंदर ही विशेष रेलगाड़ी में यात्रा करें तो, जिस स्टेशन से गाड़ी रवाना हो, वहां के प्लेटफार्म की ओर ड्राइवर के केबिन पर राष्ट्रीय झंडा फहराया जाना चाहिए। इसके अलावा, विशेष गाड़ी रुकी हुई हो या उस स्थान पर पहुंचने वाली हो जहां उसे रुकना है, तो वहां भी राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहिए।
- राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के विदेश यात्रा करते समय उनके विमान पर राष्ट्रीय झंडा फहराया जाना चाहिए। साथ ही, जिस देश कि यात्रा की जा रही है उसका झंडा भी राष्ट्रीय झंडे के साथ-साथ फहराया जाना चाहिए, परन्तु मार्ग में जब किन्हीं देशों में विमान उतरें।
- इसके अलावा, शिष्टाचार और सद्भावना के नाते उसके स्थान पर उन-उन देशों के झंडे फहराए जाने चाहिए, जहां-जहां विमान को उतरना या ठहरना होता है।
- जब राष्ट्रपति देश में ही कहीं दौरे पर जाएं तो, राष्ट्रीय झंडा वायुयान के उस ओर फहराया जाएगा, जिस ओर से राष्ट्रपति विमान में चढ़ें या उससे उतरें।
- यह संभ्रांत व्यक्ति जरूरत पड़ने पर अपनी कारों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा सकते हैं। जब कोई विदेशी संभ्रांत व्यक्ति सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई कार में यात्रा करे, तो राष्ट्रीय झंडा कार के दाईं ओर फहराया जाता है और संबंधित दूसरे देश के व्यक्ति का झंडा कार के बाईं ओर फहराया जाना चाहिए।
- राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निधन के दौरान पूरे देश में झंडा झुका दिया जाता है।
- लोकसभा के अध्यक्ष या भारत के मुख्य न्यायाधीश के देहांत पर दिल्ली में सभी ध्वजों को झुका दिया जाता है।
- कैबिनेट मंत्री के निधन पर दिल्ली और राज्यों की राजधानियों में राष्ट्रीय ध्वज झुका दिया जाता है।
- केन्द्र के राज्यमंत्री और उपमंत्री के निधन पर दिल्ली में तिरंगे को झुकाया जाता है।
- राज्यपाल, उप-राज्यपाल, राज्यों के मुख्यमंत्री, संघ शासित क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों के निधन पर संबंधित संपूर्ण राज्य या संघ शासित क्षेत्रों में तिरंगे को झुकाया जाता है।
- किसी राज्य के कैबिनेट मंत्री के निधन पर संबंधित राज्य की राजधानी में राष्ट्रीय ध्वज झुकाया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है।
निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
अशोक चक्र का नीला रंग आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता है।
चक्र धर्म का नियम है। जिसका मतलब दिन के 24 घंटे भी है, जो समय की गति यानि देश की प्रगतिशीलता को दर्शाता है।
इसमें 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं।
1921 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस के अपने एक झंडे का बात कही, जिसके बाद पिंगली वैंकैया ने झंडे का डिजाइन बनाया।
देश में सबसे ऊंचे तिरंगे झंडे की ऊंचाई 110 मीटर (360.8 फीट) है।
कर्नाटक के बेलगाम में देश का सबसे ऊंचा झंडा फहरा रहा है।
खराब और फटे तिरंगे का क्या किया जाता है? इसे निजी तौर पर ऐसे नष्ट किया जाता है, ताकि इसकी गरिमा और सम्मान से कोई समझौता न हो। इसे सम्मान के साथ गाड़ दिया जाता है या विधिपूर्वक मोड़कर गंगा में विसर्जित कर दिया जाता है।
पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी, लेकिन संहिता में बदलाव किए जाने के बाद इसे रात फहराया जा सकता है। बशर्ते, जिस जगह ध्वज फहराया जा रहा है, वहां रोशनी होनी चाहिए।
भारतीय झंडा संहिता के नियमों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति तिरंगे का जानबूझकर अपमान करता है, तो उसे 3 साल तक कैद की सजा देने का प्रावधान है।
समय के साथ भारतीय ध्वज में काफी सारे बदलाव हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत का झंडा कुल 6 बार बदला जा चुका है।
यह झंडा 30 दिसंबर, 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा फहराया गया था।
पोर्ट ब्लेयर में फ्लैग प्वाइंट वह जगह है, जहां भारतीय धरती पर पहली बार भारतीय ध्वज फहराया गया था।