भारत-चीन के बीच LAC पर हुआ समझौता क्यों है महत्वपूर्ण, क्या है पैट्रोलिंग विवाद की जड़?, पढ़ें कैसे बनी सहमति
अभी हाल के हफ्तों में ही विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन ने एलएसी से जुड़े 75 फीसद विवादों का समाधान कर लिया है। जबकि भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा था कि छोटे-छोटे मुद्दों का समाधान तो हो गया है लेकिन अब दोनों देश मुश्किल मुद्दों के समाधान पर बात कर रहे हैं।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अप्रैल-मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है। इस सहमति का वास्तविक स्वरूप क्या होगा यह तो संभवत: रूस के कजान में स्पष्ट होगा जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात में हो सकती है। लेकिन माना जा रहा है कि इसके बाद सीमा पर मई 2020 की स्थिति की बहाली का रास्ता साफ हो जाएगा।
दोनों तरफ से तैनात सेनाओं की वापसी
यह समझौता खासकर डेमचोक और देपसांग में पैट्रोलिंग को लेकर हुआ है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच पैट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते से एलएसी पर दोनों तरफ से तैनात सेनाओं की वापसी और एलएसी पर मई, 2020 से पहले वाली स्थिति की बहाली का रास्ता साफ हो सकता है। यह सहमति दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर और कूटनीतिक स्तर पर चल रही वार्ताओं के कई दौर की वार्ता के बाद बनी है।
पीएम मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात
भारत की यह घोषणा रूस के कजान शहर में अगले दो दिनों (22-23 अक्टूबर) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली संभावित बैठक से पहले की गई है। दोनों नेताओं के बीच दिपक्षीय बैठक के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं है लेकिन जिस तरह यह घोषणा की गई है उससे स्पष्ट है कि बातचीत होगी।
- इस बैठक में भारत-चीन सीमा विवाद के सुलझाने को लेकर और विस्तृत वार्ता होने की उम्मीद है। पिछले साल जोहांसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में ब्रिक्स सम्मेलन में भी मोदी और चिनफिंग के बीच हुई वार्ता में सीमा विवाद का जल्द से जल्द समाधान की सहमति बनी थी।
- सनद रहे कि वर्ष 2017 में जब डोकलाम (भूटान-चीन-भारत की सीमा पर स्थित जगह) में भारत व चीन के बीच लंबा सैन्य विवाद चला था तब उसका समाधान भी मोदी और चिनफिंग के बीच हस्तक्षेप से हुआ था।
कूटनीतिक सर्किल में चर्चा
यह भी उल्लेखनीय है कि जुलाई, 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच दो बार द्विपक्षीय बैठकें हुई थी और उसके बाद विदेश मंत्रालय और सैन्य कमांडर स्तर पर होने वाली बैठकें भी हुई थी। इसके बाद से ही कूटनीतिक सर्किल में यह चर्चा थी कि भारत व चीन की तरफ से कोई बड़ी घोषणा हो सकती है।
पैट्रोलिंग प्रबंधन को लेकर समझौता
विदेश सचिव ने बताया, पिछले कई हफ्तों से भारत और चीन के कूटनीतिक व सैन्य क्षेत्र के वार्ताकार लगातार एक दूसरे के साथ करीबी तौर पर बात कर रहे थे। इन विमर्शों का यह परिणाम रहा है कि भारत चीन सीमा क्षेत्र (एलएसी) में पैट्रोलिंग प्रबंधन को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता हो गया है। इससे वर्ष 2020 में जो स्थिति पैदा हुई थी उसके समाधान व सैनिकों की वापसी का रास्ता प्रशस्त होगा। हम इस बारे में अगला कदम उठाएंगे।'
दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं
यह इस बात का संकेत है कि शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद दोनों देशों की तरफ से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी व एलएसी पर मई-2020 से पहले वाली स्थिति का ऐलान हो सकता है। इस विवाद के शुरू होने के बाद से ही भारत का यह रुख रहा है कि भारत व चीन की सीमा पर अमन व शांति लाये बगैर दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।
बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती
चीनी सैनिकों की घुसपैठ से बनी स्थिति के बाद भारत ने भी इसे पूरे इलाके में बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती कर दी थी। इसके बाद गलवन घाटी में दोनों देशों के बीच खूनी संघर्ष भी हुआ जिसों दोनों तरफ से सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी। भारत ने चीन के खिलाफ कई तरह के कदम भी उठाये थे जिसमें चीन की प्रौद्योगिकी व एप्स को प्रतिबंधित करना, चीन से आयात को हतोत्साहित करने जैसे कदम शामिल हैं।
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