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NRC और NPR क्या है, CAA के बाद क्यों चल रही चर्चा; जानिए एनआरसी और एनपीआर के बीच का अंतर

NRC NPR Kya Hai नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में काफी अंतर है। एनआरसी का उद्देश्य देश में अवैध रूप से रह रहे नागरिकों की पहचान करना है। एनपीआर का उद्देश्य प्रत्येक सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है। एनपीआर का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है। सभी नागरिकों के लिए एनपीआर में पंजीकरण और सरकार को सही विवरण बताना अनिवार्य है।

By Narender Sanwariya Edited By: Narender Sanwariya Updated: Wed, 13 Mar 2024 06:46 PM (IST)
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CAA के बाद NRC और NPR को लेकर चर्चा चल रही है। (File Photo)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 11 मार्च 2024 को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसके साथ ही सीएए के नियम देशभर में लागू हो गए। सीएए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन रखी गई है, जहां लोग पोर्टल के माध्यम से सीएए के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। सीएए को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है।

एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि देश में धर्म के आधार पर कानून नहीं बनाया जा सकता। सीएए को एनआरसी और एनपीआर के साथ जोड़कर देखने की जरूरत है। भाजपा का मुख्य उद्देश्य देश में एनपीआर और एनआरसी लागू करना है। आइए जानते हैं क्या होता है एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर)।

एनपीआर क्या है? What is NPR Bill Meaning

एनपीआर की फुल फॉर्म राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर है। एनपीआर देश के सामान्य निवासियों की एक सूची है। भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए एनपीआर में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसमें भारतीय नागरिक और विदेशी नागरिक दोनों शामिल हैं।

एनपीआर का उद्देश्य देश के प्रत्येक सामान्य निवासी का डेटाबेस बनाना है। इसे नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव/उप-नगर), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए डेटा पहली बार 2010 में भारत सरकार द्वारा एकत्र किया गया था और इसे हर 10 साल में दोहराया जाएगा। इसका उद्देश्य देश के प्रत्येक सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है। डेटाबेस में जनसांख्यिकीय के साथ-साथ बायोमेट्रिक विवरण भी शामिल होंगे। एनपीआर के लिए किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि जनसंख्या रजिस्ट्रार में डेटा प्रविष्टि के लिए स्व-घोषणा को पर्याप्त माना जाएगा।

सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम पर चल रहे विवाद के बीच लोगों की मन में बहुत विभ्रांति उत्पन्न हो गई है, बहुत से लोग नहीं जान पा रहे हैं कि आखिर यह राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर क्या है और उसे क्यों अपडेट किया जा रहा है? हम आपको समझते हैं कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर क्या है?

एनपीआर देश के सभी नागरिकों की जनसंख्या विवरण का डेटा है। सभी नागरिकों के लिए एनपीआर में पंजीकरण और सरकार को सही विवरण बताना अनिवार्य है। भारत में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत कारगिल समीक्षा समिति ने गैर नागरिकों और नागरिकों के अनिवार्य पंजीकरण सिफारिश को 2001 में स्वीकार किया गया था।

वर्तमान में प्रक्रिया असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में की जाएगी। दरअसल केंद्र और राज्य सरकार कल्याणकारी योजनाएं बनती है, लेकिन सरकार को कोई योजना बनाने से पहले यह जानना जरूरी होता है कि जिन लोगों के लिए कोई योजना बनाई जा रही है उन लोगों की संख्या कितनी है? उनकी आर्थिक स्थिति कैसी है? उनकी क्या आवश्यकता है? इत्यादि।

एनपीआर का मूल उद्देश्य क्या है? What is NPR Objective

जनगणना आयोग के अनुसार, एनपीआर का उद्देश्य प्रत्येक सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है।

एनपीआर में किस तरह का डेटा शामिल किया जाएगा?

  • राष्ट्रीयता घोषित व्यक्ति का नाम
  • जन्म तिथि
  • जन्म स्थान
  • मां का नाम
  • पिता का नाम
  • लिंग
  • वैवाहिक स्थिति
  • पति का नाम यदि विवाहित है तो
  • स्थाई आवासीय पता
  • शैक्षिक योग्यता
  • व्यवसाय वर्तमान पता पर रहने की अवधि
  • सामान्य निवास का पता
  • घर के मुखिया से संबंध आदि

एनपीआर की वर्तमान स्थिति क्या है?

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए डेटा 2010 में भारत की जनगणना 2011 के साथ एकत्र किया गया था। जनगणना के दौरान एकत्र किए गए डेटा को 2015 में अपडेट किया जा चुका है और इसे डिजिटल भी बनाया जा चुका है। अब सरकार ने जनगणना 2021 के साथ-साथ राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का फैसला किया है। यही वजह है कि लोगों की मदद कैसे हो ताकि केंद्र पोशाक योजनाओं के कार्यान्वयन से पहले उचित योजना बनाई जा सके।

एनआरसी क्या है? What is NRC Bill Meaning

एनआरसी का फुल फॉर्म राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल एक रजिस्टर है, जिसमें भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाएगा। एनआरसी की शुरुआत 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी। वर्तमान में एनआरसी असम के अलावा अन्य किसी भी राज्य में लागू नहीं है। हालांकि सरकार यह पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा।

एनआरसी का उद्देश्य क्या है? What is NRC Objective

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) का मुख्य उद्देश्य अवैध रूप से भारत में बसे घुसपैठियों को बाहर निकालना है। केंद्र सरकार देशवासियों के अधिकारों और संसाधनों की रक्षा करने तथा गैरकानूनी तरीके से भारत में मौजूद घुसपैठियों की पहचान करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को अपडेट करना चाहती है। राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण पूरी तरह निष्पक्ष होगा। जिन भारतीय नागरिकों का नाम इसमें सूचीबद्ध नहीं होगा, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने का अवसर पुन: दिया जाएगा।

एनआरसी के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होगी?

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) सभी भारतीय नागरिकों का एक आधिकारिक, सत्यापित और वैध रिकॉर्ड है। जिसमें नागरिकता के लिए उनके दावे को स्थापित करने के लिए आवश्यक व्यक्तिगत दस्तावेजों के विभिन्न विवरण शामिल हैं। एनआरसी के तहत खुद को भारत का नागरिक साबित करने के लिए व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए व्यक्ति के पास आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन या सरकार के द्वारा जारी कोई वैध पहचान और स्थाई पता का प्रूफ होना चाहिए।

एनआरसी की जरूरत क्यों पड़ी?

असम राज्य में एनआरसी को सबसे पहले 1951 में नागरिक को उनके घरों और उनके संपत्तियों को जानने के लिए तैयार किया गया था। असम राज्य में एनआरसी को अपडेट करने की मांग 1975 से ऑल असम स्टूडेंट यूनियन द्वारा उठाई जा रही है। असम समझौता 1985 बांग्लादेश की स्वतंत्रता से एक दिन पहले 24 मार्च 1971 की आधी रात को राज्य में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी शरणार्थियों के नाम मतदाता सूची से हटाने और वापस बांग्लादेश भेजने के लिए बनाया गया था। असम में एनआरसी की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई थी। 25 मार्च 1971 से पहले असम में रहने वाले लोग असम के नागरिक माने जाते हैं। एनआरसी जरूरत इसलिए पड़ी ताकि भारत में अवैध रूप से रह रहे नागरिकों की पहचान की जा सके।

एनआरसी और एनपीआर में क्या अंतर है? Different Between NRC And NPR

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) में काफी अंतर है। एनआरसी का उद्देश्य देश में अवैध रूप से रह रहे नागरिकों की पहचान करना है। वहीं एनपीआर का उद्देश्य प्रत्येक सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है। एनपीआर का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है। जो व्यक्ति छह महीने या उससे अधिक समय से भारत के किसी भी क्षेत्र में रह रहा है तो उसे एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।

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