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अंगदान को यूं ही नहीं कहते जीवनदान, आप भी बचा सकते हैं दूसरों की जिंदगी; पढ़ें देश में क्या है कानून और कैसे कर सकते हैं डोनेट

ऑर्गन डोनेशन इंडिया के डेटा रिकॉर्ड के मुताबिक भारत में पांच लाख लोगों को हर साल ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत है जबकि सिर्फ 52000 ही अंग मौजूद है। मालूम हो कि जीवित व्यक्ति अपनी किडनी और लीवर का कुछ हिस्सा दान कर सकते हैं। वहीं हार्ट लिवर किडनी पैंक्रियाज और आंखों का कॉर्निया मरने के कुछ घंटे बाद तक जिंदा रहते हैं जिस दौरान इसे ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।

By Shalini Kumari Edited By: Shalini Kumari Updated: Tue, 30 Jan 2024 02:02 PM (IST)
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अंगदान से बचाई जा सकती हैं कई जिंदगियां

ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। Organ Donation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2024 के अपने पहले कार्यक्रम 'मन की बात' में अंगदान का जिक्र किया था। उन्होंने इस कार्यक्रम में लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित किया है। बता दे कि पिछले साल काफी लोगों ने अंगदान किया है, लेकिन फिर भी इनकी संख्या काफी कम है।

अंगदान एक तरह का जीवनदान होता है। इसको लेकर भारत में जागरूकता की कमी है। अगर अंगदान को लेकर जागरूकता फैल जाती है, तो दुनिया से जाता हर एक व्यक्ति अपने पीछे कई लोगों को जिंदगी देकर जा सकता है। इस खबर में हम आपको अंगदान से जुड़े आंकड़ों के बारे में बताएंगे और साथ ही बताएंगे कि आप किस तरह से अंगदान कर सकते हैं।

ऑर्गन डोनेशन इंडिया के डेटा रिकॉर्ड के मुताबिक, पांच लाख लोगों को हर साल ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत है, जबकि सिर्फ 52,000 ही अंग मौजूद है। आंकड़ों के मुताबिक, प्रत्येक 4 में से 3 लोग इंतजार कर रहे हैं कि कब उनकी आंखों की रोशनी वापस आएगी। हालांकि, यूं ही कोई भी अंगदान नहीं कर सकता है, बल्कि इसके लिए भी कानून और प्रावधान है।

जानें अंगदान या ऑर्गन डोनेशन क्या है?

आज विज्ञान इस हद तक विकसित हो चुका है कि जरूरत पड़ने पर एक व्यक्ति का एक अंग खराब होने पर उसे रिप्लेस भी किया जा सकता है, जिससे उसे जीवनदान मिल जाता है। दरअसल, आज के समय में जीवित और मृत दोनों व्यक्ति अंगदान कर सकते हैं। जरूरत के मुताबिक, जीवित व्यक्ति अपनी किडनी और लीवर का कुछ हिस्सा दान कर सकते हैं।

वहीं, इसके अलावा हार्ट, लिवर, किडनी, पैंक्रियाज और आंखों का कॉर्निया मरने के कुछ घंटे बाद तक जिंदा रहते हैं, यदि समय रहते इन्हें ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है, तो इससे दूसरे व्यक्ति को जीवनदान मिल जाता है। मालूम हो कि अंगदान करने वाले व्यक्ति को डोनर और उसे प्राप्त करने वाले को रिसीवर कहा जाता है।

कितने प्रकार के होते हैं ऑर्गन डोनेशन?

ऑर्गन डोनेशन दो तरह के होते हैं। पहला लिविंग ऑर्गन डोनेशन यानी वो अंगदान जो जीवित रहते हुए किया जाता है। वहीं, दूसरा डिसीस्ट ऑर्गन डोनेशन, जो मृत्युपर्यंत दान किया जाता है। इन दोनों डोनेशन की प्रक्रियाएं भी अलग-अलग होती है।  

लिविंग ऑर्गन डोनेशन के दौरान व्यक्ति को इन प्रक्रियाओं  से गुजरना पड़ता है-

  • सबसे पहले डोनर के कुछ मेडिकल टेस्ट किए जाते हैं, जिसके दो महत्वपूर्ण पहलू हैं।
  • डोनर और रिसीवर की कंपैटिबिलिटी चेक की जाती है और डोनर का शारीरिक रूप से स्वस्थ होना बेहद जरूरी होता है, जिसका खास ख्याल रखा जाता है।
  • सभी टेस्ट के रिजल्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर अपना प्रोसेस शुरू करते हैं और डोनर की बॉडी से वह हिस्सा रिमूव कर के रिसीवर में ट्रांसप्लांट किया जाता है।
  • ध्यान रहे कि इस सर्जरी के बाद भी डोनर और रिसीवर को लगातार मेडिकल सुपरविजन में रखा जाता है। 

मृत्युपर्यंत अंगदान करने के लिए भी डोनर और रिसीवर को इन प्रक्रियाओं से गुजरना होता है-

यदि किसी व्यक्ति की आकस्मिक मौत हो जाती है, तो उसका अंगदान किया जा सकता है। इसके लिए मृतक और रिसीवर की कंपैटिबिलिटी चेक करनी होती है। हालांकि, इस पहलू में डोनर के परिजनों की सहमति बहुत अहम होती है। सहमति मिलने के बाद डोनर की बॉडी से अंग रिमूव कर के रिसीवर में ट्रांसप्लांट की जाती है। इसके बाद पूरे सम्मान से डोनर की बॉडी उसके परिजनों को वापस सौंप दी जाती है।

भारत में ऑर्गन डोनेशन को लेकर क्या कानून है?

देश में अंगदान को लेकर भी कानून बनाए गए हैं, ताकि किसी भी व्यक्ति को ब्लैकमेल कर के या उसको मजबूर कर के ऑर्गन डोनेट करने के लिए राजी नहीं किया जा सके। इसके लिए साल 1994 में ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट (Transplantation of Human Organs & Tissues Act) पास हुआ। यह कानून जीवन बचाने के लिए मानव अंगों के सर्जिकल रिमूवल, ट्रांसप्लांटेशन और उसके रख-रखाव के नियमों को सुनिश्चित करता है। बता दें कि इसमें भी लिविंग ऑर्गन डोनेशन और  डिसीस्ट ऑर्गन डोनेशन के अलग-अलग प्रावधान है।  

  • इस कानून के मुताबिक, लिविंग ऑर्गन डोनेशन करने के लिए रिसीवर और डोनर दोनों के बीच ब्लड रिलेशन या कोई करीबी पारिवारिक संबंध होना जरूरी होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि अंगों के खरीद-फरोख्त पर शिकंजा कसा जा सके।
  • वहीं, इस कानून के तहत  डिसीस्ट ऑर्गन डोनेशन में डोनर का ब्रेन स्टेम डेड होना मृत्यु का प्रमाण है। इसके बाद परिवार से बिना किसी दबाव के सहमति ली जाती है। सहमति मिलने पर डोनर और रिसीवर की जांच कर के अंग और टिशूज डोनेट और ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं। कानून से जुड़ी रेगुलेटरी और एडवाइजरी बॉडी इस पूरे प्रक्रिया की निगरानी भी करती है।

यहां कर सकते हैं ऑर्गन डोनेशन

कोई भी शख्स 'ऑर्गन डोनेशन कार्ड' भरकर अंगदान के लिए खुद को रजिस्टर कर सकता है। यह कार्ड अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा, सरकार द्वारा कई वेबसाइट बनाई गई हैं, जिसके जरिए आप ऑर्गन डोनेशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) की वेबसाइट notto.gov.in/ पर जाकर भी ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। इसके अलावा organindia.com और www.organindia.org/body-dona- tion/ के जरिए भी आप खुद को अंगदान के लिए रजिस्टर कर सकते हैं।

क्या है खुद को रजिस्टर करने की प्रक्रिया?

  • इसके लिए आपको सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
  • अब डोनर फॉर्म को डाउनलोड करना होगा।
  • ऑर्गन डोनेशन फॉर्म में सारी डीटेल्स भरने के बाद दो गवाह के हस्ताक्षर होने चाहिए, जिसमें से एक आपका करीबी रिश्तेदार होना जरूरी है।
  • फिर आप से पूछा जाएगा कि आप अपना कौन-सा अंग दान करना चाहते हैं।
  • अंत में सभी जानकारियों को जांच कर के सबमिट कर दें।  
  • इस प्रक्रिया से आप खुद को अंगदान के लिए रजिस्टर कर लेंगे।
  • यह कार्ड आपके आधिकारिक पते पर डाक के जरिए भेजा जाएगा।

वहीं, मरणोपरांत यदि किसी व्यक्ति का परिवार चाहता है कि उसका अंगदान किया जाए, तो इसके लिए परिजनों को मात्र एक कंसेंट फॉर्म भरना होगा और प्रक्रिया को पूरा करना होगा। मालूम रहे कि आपके डोनर होने की सूचना परिवार और करीबी लोगों को होनी चाहिए, तभी वह आपात स्थिति में संबंधित संस्थान को सूचित कर सकते हैं।

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