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क्या है Raisina Dialogue और कैसे मिला नाम? भारत की कूटनीतिक सफलता को दर्शाता है ये सम्मेलन

Raisina Dialogue 2024 रायसीन डायलॉग 2024 की आज से शुरुआत हो रही है। फिनलैंड अर्मेनिया ग्रीस सहित कई देश के राजनयिक इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। रायसीना डायलॉग में दुनिया के कई देशों के विदेश मंत्री शिरकत करते हैं। इस बैठक का आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑवसर्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research Foundation) करता है। बता दें कि ओआरएफ एक स्वतंत्र थिंक टैंक है।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Wed, 21 Feb 2024 11:49 AM (IST)
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रायसीना डायलॉग 2024 की आज से शुरुआत हो रही है।(फोटो सोर्स: नरेंद्र मोदी एक्स हैंडल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Raisina Dialogue। वैश्विक कूटनीतिक विमर्श का एक बेहद महत्वपूर्ण मंच बन चुके रायसीना डायलॉग 2024 की शुरुआत आज से होने वाली है। इस बार आयोजन का थीम ‘चतुरंगा : विवाद, प्रतिस्पर्धा सहयोग व निर्माण’ रखा गया है। इस बार 115 देशों के 2500 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। रायसीना डायलॉग से भारत की कूटनीति क्षमता में वृद्धि हुई है।

क्या है रायसीना डायलॉग ?

रायसीना डायलॉग में दुनिया के कई देशों के विदेश मंत्री शिरकत करते हैं। इस बैठक का आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑवसर्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research Foundation) करता है। बता दें कि ओआरएफ, एक स्वतंत्र थिंक टैंक है।

इस आयोजन में शामिल देश वर्तमान भू-राजनीतिक और भू- आर्थिक समेत कई मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इस बैठक में विभिन्न देशों के उच्च स्तरीय अधिकारी, नीति-निर्माता, उद्योग जगत के अग्रणी व्यक्ति, पत्रकार हिस्सा लेते हैं।

कहां से आया रायसीना डायलॉग का नाम?

दरअसल, इस कार्यक्रम को विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है। वहीं, विदेश मंत्रालय का मुख्यालय रायसीना पहाड़ी (नई दिल्ली) पर स्थित है, जिसे साउथ ब्लॉक भी कहा जाता है। इसलिए इस सम्मेलन का नाम रायसीना डायलॉग रखा गया है।  

कब हुई सम्मेलन की शुरुआत? 

साल 2016 में इस सम्मेलन की शुरुआत हुई थी। पहली बार 'एशिया रीजनल एंड ग्लोबल कनेक्टिविटी' थीम पर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। 2016 के बाद हर साल इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

क्या है सम्मेलन का उद्देश्य? 

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य दुनिया के देशों के बीच समन्वय बनाए रखना है। भारत सरकार इस कार्यक्रम के जरिए अंतरर्राष्ट्रीय संबंधों और मुद्दों को लेकर अपनी नीति दुनिया के सामने स्पष्ट करती है। पिछले आठ सालों से इस सम्मलेन में करीब 100 देशों के प्रतिनिधि शामिल होते आए हैं। ऐसे में इस कार्यक्रम के जरिए भारत सरकार अपनी कूटनीतिक क्षमता को बढ़ा रही है।

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