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Samudrayaan Mission: समुद्र की 6000 मीटर की गहराई में उतरेगा भारत, 'MATSYA 6000' पनडुब्बी खोलेगी अनसुलझे रहस्य

समुद्रयान परियोजना भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन है जो गहरे समुद्र के संसाधनों का अध्ययन करने और जैव विविधता मूल्यांकन करने के लिए डिजाइन किया गया है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए समुद्रयान मिशन के एक हिस्से के रूप में भारत का लक्ष्य तीन व्यक्तियों को समुद्र तल से 6000 मीटर नीचे भेजना है। इस मिशन की 2026 तक पूरे होने की संभावना है।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 05 Aug 2023 05:53 PM (IST)
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समुद्रयान मिशन को अंजाम देने की तैयारी में भारत
नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Samudrayaan Mission: आसमान में इतिहास रचने की तैयारी के बाद अब भारत पाताल के रहस्य भेदने की तैयारी में है। भारत गहरे समुद्र की गहराई और उसके संसाधनों का पता लगाने के लिए अपना पहला समुद्री मिशन शुरू करने वाला है। पनडुब्बी एक सबमर्सिबल वाहन में तीन व्यक्तियों को 6000 मीटर की गहराई तक ले जाएगी।

भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने में ब्लू इकोनॉमी की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है, जिसके लिए 'समुद्रयान मिशन' को काफी अहम माना जा रहा है।

क्या है समुद्रयान मिशन?

समुद्रयान प्रोजेक्ट भारत का पहला मानवयुक्त समुद्री मिशन है। इस मिशन का मकसद गहरे समुद्र में संसाधनों और जैव विविधता पर रिसर्च करना है। साथ ही, बता दें कि इस मिशन में सबमर्सिबल का उपयोग केवल एक्सप्लोरेशन के लिए किया जाएगा, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को न्यूनतम या शून्य क्षति पहुंचेगी।

इस मिशन के तहत एक मानवयुक्त पनडुब्बी 3 लोगों को समुद्र के भीतर 6 किलोमीटर की गहराई भेजा जाएगा। गौरतलब है कि इस मिशन पर चेन्नई का राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) काम कर रहा है। जिस वाहन को इस मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है, उसे 'MATSYA 6000' का नाम दिया गया है। समुद्रयान परियोजना के हिस्से के रूप में ये वाहन जल्द ही तैयार हो जाएगा।

कब हुई मिशन की शुरुआत?

केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने 29 अक्टूबर, 2021 को समुद्रयान मिशन को लॉन्च किया था। इस विशिष्ट मिशन के लॉन्च के साथ ही भारत, अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन जैसे देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है। दरअसल, भारत से पहले इन देशों के पास समुद्र के भीतर गतिविधियों को अंजाम देने के लिए विशिष्ट तकनीक और वाहन हैं।

समुद्रयान मिशन 6000 करोड़ रुपये के गहरे महासागर मिशन का एक हिस्सा है। 'डीप ओशन मिशन' पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के प्रस्ताव को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा 16 जून, 2021 को मंजूरी दी गई थी। राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) मिलकर स्वदेशी रूप से मानवयुक्त पनडुब्बी MATSYA 6000 विकसित किया है।

समुद्रयान मिशन का महत्व

समुद्रयान मिशन से न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता बढ़ेगी बल्कि, यह भारत के लिए एक उपलब्धि होगी, जो भारत के राष्ट्रीय सम्मान का निर्माण भी करेगा। समुद्रयान मिशन की सफलता से भारत गहरे समुद्र और संसाधनों की खोज में विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। दरअसल, विकसित देश पहले ही कई समुद्री मिशन को अंजाम दे चुका है, लेकिन भारत पहला विकासशील देश होगा, जो समुद्र के इतने बड़े मिशन को अंजाम देगा।

क्या है समुद्रयान मिशन का उद्देश्य?

समुद्रयान मिशन भारत का पहला अद्वितीय मानवयुक्त महासागर मिशन है, जिसका उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिजों के खनन के लिए लोगों को एक पनडुब्बी वाहन में गहरे समुद्र में भेजना है। 200 करोड़ का समुद्रयान मिशन गहरे पानी के अंदर अध्ययन के लिए तीन व्यक्तियों को मानवयुक्त पनडुब्बी वाहन MATSYA 6000 में समुद्र में 6000 मीटर की गहराई पर भेजेगा।

हालांकि, आमतौर पर पनडुब्बियां केवल 200 मीटर तक ही जाती हैं, लेकिन इन पनडुब्बी को बेहतर तकनीक के साथ बनाया जा रहा है। इससे स्वच्छ ऊर्जा, पेयजल और नीली अर्थव्यवस्था के लिए समुद्री संसाधनों का पता लगाने के लिए और अधिक विकास के रास्ते खुलेंगे।

समुद्रयान मिशन के तहत मानवयुक्त पनडुब्बी वाहन MATSYA 6000 पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, MoES को अनुमानित  1000 से 5500 मीटर के बीच गहराई पर स्थित गैस हाइड्रेट्स, पॉलिमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूल्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट्स जैसे संसाधनों की गहरे समुद्र में खोज करने में सुविधा प्रदान करेगा।

सबमर्सिबल को 12 घंटे की परिचालन क्षमता और 96 घंटे तक आपातकालीन सहनशीलता का समर्थन करने वाली प्रणालियों के साथ विकसित किया गया है। सबमर्सिबल वाहन MATSYA 6000 समुद्र तल पर 6 किमी की गहराई पर 72 घंटे तक रेंगने में सक्षम है।

बेहद खास है समुद्रयान मिशन

पीआईबी के मुताबिक, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वाहन का डिजाइन पूरा हो गया है और वाहन के विभिन्न घटकों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा, "मानवयुक्त पनडुब्बी निकल, कोबाल्ट, दुर्लभ पृथ्वी, मैंगनीज आदि से समृद्ध खनिज संसाधनों की खोज और सैंपल के संग्रह में गहरे समुद्र में मानव द्वारा प्रत्यक्ष अवलोकन की सुविधा प्रदान करेगा, जिसका उपयोग विश्लेषण के लिए किया जा सकता है।"

2026 तक पूरा होने की तैयारी

केंद्र ने पांच वर्षों के लिए 4,077 करोड़ रुपये के कुल बजट पर गहरे महासागर मिशन को मंजूरी दी थी। तीन वर्षों (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये है।

भारत की एक अद्वितीय समुद्री स्थिति है। यह 7,517 किमी लंबी तटरेखा, जो नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों का घर है। मिशन का उद्देश्य केंद्र सरकार के 'न्यू इंडिया' के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है जो नीली अर्थव्यवस्था को विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में उजागर करता है।