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क्या है 'Stapled Visa', भारत और चीन के बीच कई बार बना विवाद की वजह; आखिर किस दावे को मान्यता दे रहा ड्रैगन!

28 जुलाई से शुरू होने वाले वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए चीन में 11 में से तीन भारतीय वुशु खिलाड़ियों को स्टेपल वीजा जारी किया है। इसके बाद भारत ने छीन के इस कदम का विरोध जताते हुए अपने तीनों खिलाड़ियों को एयरपोर्ट से वापस बुला लिया है। ऐसे में सवाल है कि आखिर यह स्टेपल वीजा है क्या और चीन इसे कब और क्यों जारी करता है।

By Shalini KumariEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 29 Jul 2023 05:16 PM (IST)
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चीन के स्टेपल्ड वीजा का भारत ने जताया विरोध
नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Stapled Visa: अक्सर हम किसी दूसरे देश में घूमने या किसी भी काम से जाने का प्लान बनाते हैं, तो उसके लिए हमें वीजा और पासपोर्ट की जरूरत पड़ती है। वीजा को लेकर एक बार फिर चीन और भारत के रिश्ते में खटास आ गई है।

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आखिर यह स्टेपल्ड वीजा है क्या और इसको किन परिस्थितियों में इसे जारी किया जाता है। दरअसल, चीन और भारत के रिश्ते में खटास लाने की एक और वजह बना नत्थी वीजा केवल चीन में नहीं बल्कि और भी कई देशों में जारी किया जाता है।

दरअसल, 28 जुलाई से शुरू होने वाले वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए चीन ने तीन भारतीय खिलाड़ियों को स्टेपल्ड यानी नत्थी वीजा जारी किया है। इस वीजा को लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है और साथ ही, उन्होंने तीनों भारतीय खिलाड़ियों को एयरपोर्ट से वापस बुला लिया है।

भारत ने आपत्ति जताते हुए कहा कि चीन द्वारा उठाया गया यह कदम स्वीकार्य नहीं है। भारत के 11 खिलाड़ियों को चीन जाना था, जिसमें तीन खिलाड़ी अरुणाचल प्रदेश से थे, जिनके लिए अलग वीजा जारी किया जाता है। गौरतलब है कि भारत में स्टेपल्ड वीजा को मंजूरी नहीं दी जाती है।

क्या है स्टेपल्ड वीजा? (Stapled Visa)

'स्टेपल्ड वीजा' एक ऐसा वीजा है, जो पासपोर्ट में सीधे मुहर लगाने के बजाय कागज के एक अलग टुकड़े से जुड़ा होता है। 2009 से, चीनी सरकार अरुणाचल प्रदेश के भारतीयों को स्टेपल वीजा जारी कर रही है। दरअसल, चीनी सरकार तिब्बत की तरह ही अरुणाचल प्रदेश को भी अपना राज्य मानता है। इसलिए, वह अरुणाचल के भारतीयों को ऐसे वीजा इसलिए जारी कर रहा है, क्योंकि वह राज्य पर भारत के दावे को मान्यता नहीं देता।

चीन स्टेपल्ड वीजा क्यों जारी करता है?

स्टेपल्ड वीजा को चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक राजनीतिक हथियार माना जा सकता है। अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित है। चीन ने हमेशा से इस पर अपना दावा किया है, लेकिन भारत ने चीन के दावे को कभी मान्यता नहीं दी है।

अब यह स्टेपल्ड वीजा यानी नत्थी वीजा भारत और चीन दोनों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। चीनी सरकार की ओर से कहा गया है कि जब तक भारत सरकार चीन के दावे को मान्यता नहीं देगा, तब तक चीन 'स्टेपल वीजा' जारी करना जारी रखेगा।

भारत और चीन के बीच स्टेपल्ड वीजा को लेकर पहले भी हुआ विवाद

यह पहली बार नहीं है कि चीन ने स्टेपल वीजा जारी किया है, बल्कि पहले भी चीन ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ी को यह वीजा जारी किया है, जिसके कारण खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों से चूक चुके हैं।

2011 में, अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के एक अधिकारी और उसी राज्य के एक भारोत्तोलक को एक ग्रैंड प्रिक्स कार्यक्रम में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा करनी थी, लेकिन उस दौरान भी चीन ने स्टेपल्ड वीजा जारी कर दिया था, जिसके कारण वे इसमें शामिल नहीं हो सके थे।

उसी साल एक चैंपियनशिप में शामिल होने के लिए अरुणाचल प्रदेश के पांच खिलाड़ियों को चीन जाना था, लेकिन यही कारण था कि वह चूक गए थे। 2013 में भी दो तीरंदाजों को स्टेपल वीजा जारी किया था।

कितने देश जारी करते हैं नत्थी वीजा?

चीन समेत कई देश नत्थी वीजा जारी करते हैं। ये देश क्यूबा, ईरान, सीरिया और उत्तर कोरिया हैं। यह सभी देश चीन और वियतनाम के लोगों को भी नत्थी वीजा जारी करते थे, लेकिन इन देशों में हुए आपसी समझौते के बाद इन देशों को इससे छूट मिल गई।

भारत के दो राज्यों को वीजा जारी करता है चीन

अरुणाचल प्रदेश के साथ ही चीन जम्मू और कश्मीर के लोगों को भी नत्थी वीजा जारी करता है। दरअसल, चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का भाग मानता है और तिब्बत पर चीन का अधिकार है। यही कारण है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को अपने देश का हिस्सा मानता है।

हालांकि, चीन ने कभी भी अरुणाचल प्रदेश के लोगों को 'चीनी' नहीं माना है, इसलिए वह यहां के निवासियों को नत्थी वीजा जारी करता है।

देश नत्थी वीजा का क्यों करता है विरोध?

कोई भी देश अपने पड़ोसी या किसी भी देश द्वारा जारी किए गए नत्थी वीजा का विरोध करता है। इसका कारण है कि नत्थी वीजा देश के अस्मिता पर सवाल खड़ा करता है। इसके साथ ही, यह सुरक्षा की नजर से भी काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

दरअसल, देश के खिलाफ साजिश रचने वाले लोग स्टेपल वीजा के जरिए दुश्मन देश से आ सकते हैं और जा भी सकते हैं, लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रहता। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति चीन के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है, तो वह स्टेपल्ड वीजा के जरिए कई बार चीन आ-जा सकता है, लेकिन उसका कोई रिकॉर्ड नहीं होगा, जिसको सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाए।

वास्तव में, नत्थी वीजा धारक जब अपना काम समाप्त करने के बाद अपने देश वापस लौटते हैं, तो पासपोर्ट के साथ मिलने वाली पर्ची को फाड़ दिया जाता है। इसी पर्ची पर यात्रा का कारण और स्टाम्प होता है। इसके साथ ही, उस देश में एंट्री और एग्जिट पास को भी फाड़ दिया जाता है, जिसके बाद इस तरह यात्रा करने वाले व्यक्ति के पासपोर्ट में कोई जानकारी नहीं रह जाती।