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China Five Finger Policy: 70 साल से भारत को घेरने में जुटा चीन, सिंगापुर से ज्यादा जमीन पर है कब्जा

China Five Finger Policy 1949 में चीन में कम्युनिस्ट नेता माओ की सरकार अस्तित्व में आयी। तभी से चीन पड़ोसी देशों की जमीन कब्जाने में लगा है। तभी से चीन की नजर भारतीय हिमालयी क्षेत्र पर भी है जिसे कब्जाने के लिए माओ ने फाइव फिंगर पॉलिसी बनाई थी।

By Amit SinghEdited By: Updated: Tue, 09 Aug 2022 02:47 PM (IST)
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China Five Finger Policy: तिब्बत के बाद नेपाल, भूटान, लद्दाख, सिक्किम और अरूणाचल कब्जाना चाहता है चीन। फोटो- गूगल मैप
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। ड्रैगन के खतरनाक पंजों से बचने के लिए जूझ रहा ताइवान अकेला देश नहीं है। बल्कि चीन के सभी पड़ोसी देश, उसकी विवादित विस्तारवादी नीति से परेशान हैं। दुनिया के नक्शे में चीन सबसे ज्यादा 14 देशों के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है और सबसे उसका सीमा विवाद है। भारत भी इन देशों में से एक है। नेपाल, भूटान व तिब्बत समेत तीन भारतीय राज्यों पर कब्जे की चीनी साजिश, उसकी विवादित फाइव फिंगर पॉलिसी (Five Finger Policy or Palm Policy) के नाम से जानी जाती है।

चीन की फाइव फिंगर पॉलिसी इतनी विवादित है कि ड्रैगन ने कभी आधिकारिक तौर पर इसका जिक्र नहीं किया, लेकिन वो हर वक्त इसे मूर्त रूप देने में लगा रहता है। चीन में 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी ने सत्ता की बागडोर संभाली। इसके बाद ही चीन की विवादित विस्तारवादी नीति और पड़ोसी देशों पर कब्जे की साजिश शुरू हुई। 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनते ही चीन ने तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और इनर मंगोलिया पर कब्जा कर लिया। इसी वक्त ताइवान द्वीप एक अलग देश के रूप में अस्तित्व में आया, जिसे चीन हमेशा अपना हिस्सा बताता रहा है। 1997 में चीन ने हांगकांग और 1999 में मकाउ पर कब्जा कर लिया।

भारत की 43 हजार वर्ग मीटर भूमि पर कब्जा

फरवरी 2022 को विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि चीन ने लद्दाख में करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। लद्दाख में चीन का कब्जा करीब छह दशक से है। इसके अलावा पाकिस्तान ने दो मार्च 1963 को अपने कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का 5,180 वर्ग किमी क्षेत्र चीन को दे दिया था। इस तरह से देखा जाए तो चीन का भारत की कुल 43,180 वर्ग किमी भूमि पर कब्जा है। आसान भाषा में समझें तो चीन ने भारत की जितनी जमी कब्जा रखी है, उसका एरिया स्विट्जरलैंड के कुल क्षेत्रफल से भी ज्यादा है। स्विट्जरलैंड का कुल क्षेत्रफल 41,285 वर्ग किमी है।

अप्रैल 2021 में तिब्बती नेता ने चेताया था

वैसे तो चीन की फाइव फिंगर पॉलिसी काफी पुरानी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से चीन ने इस दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं। अप्रैल 2021 में तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांग्ये ने चीन के खिलाफ एक सनसनीखेज खुलासा किया था। एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि तिब्बत तो बस एक जरिया है, चीन का असली मकसद हिमालयी क्षेत्र में फाइव फिंग कहे जाने वाले हिस्सों पर कब्जा जमाना है, ताकि वह भारत को अपने पंजे में फंसा सके। उन्होंने यह भी कहा था कि चीन, अब भारत के साथ सीमा विवाद बनाए रखना चाहता है। तिब्बत पर कब्जे के बाद चीन, भारत की तरफ आगे बढ़ रहा है।

ये है फाइव फिंगर पॉलिसी

चीन की विवादित फाइल फिंगर पॉलिसी में तिब्बत की अहम भूमिका है। दरअसल चीन तिब्बत को उस फाइव फिंगर पॉलिसी की हथेली (Palm) मानता है। इस हथेली पर 1959 से चीन का अवैध कब्जा है। तिब्बत के बाद चीन का मकसद लद्दाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान और अरूणाचल प्रदेश कब्जाने का है। इससे हिमालयी क्षेत्र में चीन का एकाधिकार हो जाएगा। 1949 में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही चीन इस दिशा में प्रयासरत हैं।

पहली अंगुली अरुणाचल

1962 का भारत-चीन युद्ध, जब चीनी सेनाएं अरुणाचल में काफी अंदर तक घुस आईं और वहां कब्जा जमा लिया। तभी से चीन अवैध कब्जे वाले इलाके को अपना मानता है। इस इलाके को नेफा भी कहा जाता है। इस इलाके में जब भी कोई भारतीय नेता जाता है चीन आधिकारिक तौर पर आपत्ति जताता है। इस इलाके के लोगों के पास भारतीय पासपोर्ट है, जिसे चीन नहीं मानता। वहीं चीन के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो कब्जे वाली जमीन पर उसके दावे को पुख्ता करता हो।

दूसरी अंगुली भूटान

विवादित फाइव फिंगर पॉलिसी में दूसरी अंगुली भूटान है। भारत के पूर्वी किनारे पर बसा भूटान शांतिप्रिय और सुंदर देश है। इस पर भी चीन लंबे अर्से से अपना दावा करता रहा है। भारत और भूटान के बीच सैन्य संधि है, जिसके तहत भारत इसे पूरी सैन्य सहायता मुहैया कराता है। भारतीय सेनाएं ही इस देश की सुरक्षा संभालती हैं। लिहाजा चीन काफी समय से भूटान को आकर्षक विदेशी निवेश और मदद का चारा फेंककर फुसलाता रहा है। हालांकि भूटान चीन की हर चाल से वाकिफ और सजग है।

तीसरी अंगुली सिक्किम

भारत की स्वतंत्रता के समय सिक्किम इसका हिस्सा नहीं था। वर्ष 1975 में सिक्किम का भारत में विलय हुआ। तब भी चीन ने इसका भारी विरोध किया था। हालांकि, वह इस विलय को रोकने में नाकाम रहा। सिक्किम पर भी चीन अपना दावा करता रहता है। तबसे सिक्किम में चीनी सेनाओं द्वारा घुसपैठ के कई मामले सामने आ चुके हैं।

चौथी अंगुली नेपाल

एक वक्त था जब नेपाल, चीन को अपने सबसे बड़ा दुश्मन मानता था। दरअसल चीन ने जिस तरह सैन्य बल का प्रयोग कर तिब्बत पर कब्जा किया, नेपाल उससे बहुत आहत था। नेपाल के एक बड़े भूभाग पर चीन का कब्जा है। एक वक्त ऐसा भी था, जब चीन से डरकर नेपाल ने भारत से सैन्य मदद मुहैया कराने की गुहार लगाई थी। स्वतंत्रता के बाद से ही भारत, नेपाल को हर तरह की मदद करता रहा है। बावजूद पिछले कुछ वर्षों से नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार, चीन के इशारे पर भारत को अपना दुश्मन बताने लगी है। जबकि चीन जिस फाइल फिंगर पॉलिसी पर कदम आगे बढ़ा रहा है, उसका सबसे बड़ा खतरा नेपाल को ही है।

पांचवीं अंगुली लद्दाख

लद्दाख में चीनी सेना की सक्रियता पिछले कुछ वर्षों में बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। चीन यहां लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ का प्रयास करता रहा है। काफी बड़े इलाके पर चीन ने कब्जा जमा भी लिया है, जिसे अक्साई चीन कहा जाता है। अक्साई चीन, कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था। अब चीन की नजर गलवन घाटी क्षेत्र पर है। जहां पिछले दिनों चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच हिंसात्मक झड़प हुई थी। इसमें दोनों तरफ के काफी सैनिक मारे गए थे। चीन अब पूरी गलवन घाटी पर अपना दावा करता है।

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