SCO Summit 2022: क्या है शंघाई सहयोग संगठन, भारत अगले साल करेगा इसकी अध्यक्षता; जानिए इस बार का एजेंडा
SCO Summit 2022 इस शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण होगी। शिखर सम्मेलन के अंत में भारत इसकी अध्यक्षता ग्रहण करेगा। सितंबर 2023 तक यानी पूरे एक साल तक भारत शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता करेगा।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 01:02 PM (IST)
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 और 16 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को उज्बेकिस्तान रवाना होंगे। शिखर सम्मेलन इस साल उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया जाएगा। पिछली बार किर्गिस्तान के बिश्केक में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था। एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO Summit) हर साल एक बार आयोजित किया जाता है।
इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी समेत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरानी राष्ट्रपति अब्राहिम रायसी नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। इस साल के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कुल मिलाकर 15 देशों के शीर्ष नेताओं को आमंत्रित किया गया है।
क्या है शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ?
शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization, SCO) एक अंतर सरकारी संगठन है। यह संगठन राजनीति, अर्थशास्त्र, विकास और सेना के मुद्दों पर केंद्रित है। इसकी शुरुआत 1996 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के नेताओं द्वारा 'शंघाई फाइव' के रूप में हुई थी। वर्तमान में संगठन के आठ सदस्य देश शामिल हैं। इन देशों की सूची में भारत, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित चार पर्यवेक्षक देश (Observer Countires) और छह संवाद भागीदार (Dialogue Partners) देश शामिल हैं।2001 में संगठन का नाम बदलकर एससीओ कर दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, सीमा मुद्दों को हल करना, आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद का समाधान करना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ाना है।
भारत के लिए शिखर सम्मेलन का क्या है महत्व?
इस शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण होगी। शिखर सम्मेलन के अंत में भारत इसकी अध्यक्षता ग्रहण करेगा। सितंबर 2023 तक यानी पूरे एक साल तक भारत शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता करेगा।
आम तौर पर एससीओ को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के पूर्वी समकक्ष के रूप में देखा जाता है। एससीओ का एक उद्देश्य मध्य एशिया में अमेरिकी प्रभाव का मुकाबला करना है। इसलिए भारत में चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। भारत और चीन दोनों ही देशों की उपस्थिति संगठन को सबसे बड़ा जनसंख्या कवरेज देती है।शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी से प्रधानमंत्री को विभिन्न सुरक्षा और सहयोग के मुद्दों पर विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का अवसर मिल सकता है।
क्या है शिखर सम्मेलन का एजेंडा ?
इस शिखर सम्मेलन में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उभरने वाले भू-राजनीतिक संकट पर चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा तालिबान शासित अफगानिस्तान की स्थिति भी चिंता का विषय होगी, क्योंकि एससीओ के कई प्रतिभागी देश अफगानिस्तान के पड़ोसी हैं।प्रधानमंत्रियों और अन्य राष्ट्राध्यक्षों के बीच निर्धारित द्विपक्षीय बैठकों पर कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। हालांकि, शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच एक बैठक (यदि ऐसा होता है) को करीब से देखा जा सकता है। दोनों देश मई 2020 के बाद से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक सैन्य घटना को लेकर आमने-सामने हैं। कई समाचार रिपोर्टों के आधार पर प्रधानमंत्री मोदी संभवतः व्लादिमीर पुतिन और अब्राहिम रायसी से भी मिल सकते हैं।