Wayanad Landslide: वायनाड में क्यों मची तबाही? 24 देशों के रिसर्च में सामने आई वजह
Wayanad Landslide केरल के वायनाड में बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई थी। इस आपदा में 231 लोगो की जान चली गई थी। भूस्खलन के लिए भारी बारिश जिम्मेदार थी। अब भारत स्वीडन समेत 24 देशों के वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर घटना के पीछे के अहम कारणों का खुलासा किया है। साथ ही आगे के लिए खतरनाक आशंकाएं भी जताई हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। केरल के वायनाड में दो हफ्ते पहले बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन के लिए भारी बारिश जिम्मेदार थी, जिसमें जलवायु परिवर्तन के कारण 10 प्रतिशत की तेजी आई है। भारत, स्वीडन, अमेरिका और ब्रिटेन के 24 अनुसंधानकर्ताओं के हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई।
अध्ययन के मुताबिक, वायनाड में लगभग दो महीने की मानसूनी बारिश के चलते पहले से ही अत्यधिक नम मिट्टी पर एक ही दिन में 140 मिलीमीटर से ज्यादा पानी बरसा। इससे क्षेत्र विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन की चपेट में आ गया और 231 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
बढ़ रही है भारी बारिश की आशंका
रेड क्रॉस रेड क्रिसेंट क्लाइमेट सेंटर में जलवायु जोखिम सलाहकार माजा वाहलबर्ग ने कहा- 'भूस्खलन का कारण बनी बारिश वायनाड के उस क्षेत्र में हुई, जो भूस्खलन के लिहाज से सबसे संदेनशील माना जाता है। जैसे-जैसे जलवायु गर्म हो रही है और भी अधिक भारी बारिश की आशंका बढ़ रही है।'मानव जनित कारणों से होने वाले जलवायु परिवर्तन का असर आंकने के लिए वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) के अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने बेहद उच्च रेजोल्यूशन वाले जलवायु माडल का विश्लेषण किया ताकि अपेक्षाकृत छोटे अध्ययन क्षेत्र में बारिश के स्तर का सटीक अंदाजा लगाया जा सके। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
दो डिग्री बढ़ा तापमान तो चार फीसदी बढ़ेगी बारिश
अध्ययन में शामिल मॉडल यह अनुमान भी लगाते हैं कि अगर वैश्विक तापमान वृद्धि 1850 से 1900 तक के औसत तापमान से दो डिग्री सेल्सियस अधिक रहता है तो बारिश की तीव्रता में चार प्रतिशत और बढ़ोतरी हो सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि गर्म वातावरण में आर्द्रता का स्तर अधिक होता है, जो भारी बारिश का कारण बनता है।वैश्विक तापमान में हर एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से वातावरण में नमी को कैद करने की क्षमता लगभग सात प्रतिशत बढ़ जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों के लगातार बढ़ते उत्सर्जन से पृथ्वी की सतह का औसत तापमान पहले ही लगभग 1.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। विज्ञानियों का कहना है कि दुनियाभर में बाढ़, सूखा और लू जैसी मौसमी घटनाओं में वृद्धि के पीछे यही कारण है।