CPI-M के करात ही नहीं मनमोहन सिंह ने भी की थी बांग्लादेश शरणार्थियों को नागरिकता देने की अपील
CAA को लेकर भले ही विपक्षी राजनीति की रोटियां सेकने में लगे हैं लेकिन हकीकत ये है कि मनमोहन सिंह समेत प्रकाश करात ने भी बांग्लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता देने की वकालत की थी।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 20 Dec 2019 08:48 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। नागरिकता संशोधन कानून Citizenship Amendment Act) को लेकर कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। विपक्ष की कई पार्टियां भी इसको लेकर मुखर हो गईं हैं। इतना ही नहीं इसमें वो पार्टियां और नेता भी शामिल हैं जिन्होंने कभी खुद से नागरिकता संशोधन कानून में बदलाव की अपील कर पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम लोगों के प्रति लचीला रुख अपनाने को कहा था। इनमें से एक CPI-M के प्रकाश करात भी हैं। फिलहाल उनकी पार्टी इस कानून का विरोध कर रही है, लेकिन हकीकत ये है कि उन्होंने वर्ष 2012 में पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिमों को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था।
सीपीआई-एम के महासचिव थे करात करात ने अपने पत्र में कहा था कि ऐतिहासिक और आर्थिक कारणों की वजह से इन लोगों को अपना घर छोड़कर भारत आना पड़ा। जिस वक्त करात ने ये पत्र पीएम मनमोहन सिंह को लिखा था उस वक्त वो CPI-M के महासचिव थे। उनका कहना था कि बांग्लादेश से आए शरणार्थियों के लिए नागरिकता संशोधन कानून की धारा 2(i)(b) में उचित बदलाव किए जाएं। उन्होंने अपने इस पत्र में बताया था कि बांग्लादेश से आए शरणार्थियों में ज्यादातर अनुसूचित जाति के लोग शामिल हैं। इसमें उन्होंने ये भी लिखा था कि आधार को लेकर चल रही कवायद के बाद इन लोगों में यह आशंका बढ़ गई है कि इन्हें वापस बांग्लादेश भेजा जा सकता है।
करात ने की थी समान व्यवहार करने की बात करात ने इस पत्र में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उन बयानों को भी बताया था जो उन्होंने इन शरणार्थियों के प्रति लचीला रुख अपनाने के बाबत राज्य सभा में दिए थे। अपने पत्र में करात ने कहा था कि जब नागरिकता के नाम पर सभी शरणार्थियों के साथ समान व्यवहार करने की बात की जाती रही है। वर्ष 2003 में विपक्ष के नेता होते हुए मनमोहन सिंह ने भी ऐसी ही वकालत भी की थी। इस पत्र में उन्होंने मनमोहन सिंह के उस बयान का भी जिक्र किया था जो उन्होंने नेता विपक्ष के तौर पर दिया था। इसकी वीडियो क्लिप को भाजपा ने ट्वीट किया है।
In 2003, speaking in Rajya Sabha, Dr Manmohan Singh, then Leader of Opposition, asked for a liberal approach to granting citizenship to minorities, who are facing persecution, in neighbouring countries such as Bangladesh and Pakistan. Citizenship Amendment Act does just that... pic.twitter.com/7BOJJMdkKa
— BJP (@BJP4India) December 19, 2019
शरणार्थियों को नागरिकता देने के पक्षधर थे मोहन सिंह
करात ने ये भी लिखा था कि इस 2003 में इस कानून में जो संशोधन किया गया उसमें एनडीए ने किसी भी असमानता का व्यवहार नहीं किया था। उन्होंने पीएम के उस बयान की भी इस पत्र में जानकारी दी थी जिसमें मनमोहन सिंह ने साफतौर पर बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की वकालत की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि इन लोगों ने बंटवारे का भी दंश झेला है और अब भी यह शरणार्थियों का जीवन जीने को मजबूर हैं। ऐसे में इन लोगों के साथ सरकार को लचीला रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा था कि भारत को बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को स्वीकार करना चाहिए। मनमोहन सिंह की इस अपील का तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने समर्थन किया था। इतना ही नहीं अपने पत्र में करात ने खेद व्यक्त किया था कि सर्वसम्मति के बावजूद यह विषय लंबित रहा।
भाजपा सांसद ने बिल पर चर्चा के दौरान दी थी जानकारी करात के पत्र को लेकर जो जानकारी सामने आई है उसका जिक्र भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने राज्य सभा में एक सप्ताह पहले नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill 2019) पर चल रही बहस के दौरान भी किया था। उन्होंने विपक्ष पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए यहां तक कहा था कि चुनाव को देखते हुए पार्टियां अपने मुद्दे भी बदल लेती हैं। 2012 में चुनाव से पहले सीपीआई-एम ने बांग्लादेश से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता देने की मांग की थी। ऐसा ही कांग्रेस भी करती रही है। लेकिन अब जबकि भाजपा ने ये कर दिखाया है तो यही लोग अब इसका विरोध कर रहे हैं। उनके मुताबिक अब चुनाव काफी दूर हैं तो विपक्षी पार्टियां इसका विरोध करने में लगी हैं।
कानून के खिलाफ अपील CPI-M के महासचिव सीताराम येचूरी इस कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की बात कर चुके हैं। उन्होंने सरकार के इस फैसले को संविधान के खिलाफ बताया है। इसके अलावा कांग्रेस के नेता जयराम रमेश और त्रिपुरा के महाराजा ने भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस कानून के खिलाफ अपील दायर की है। इतना ही नहीं तृणमूल कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग भी इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना चुकी है। आपको बता दें कि नए कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिमों को अवैध शरणार्थी नहीं समझा जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।
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