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सरकार को भी नहीं पता, कहां गए लोगों को सीख देने वाले गांधीजी के तीन बंदर

सामाजिक कार्यकर्ता राजीव खरे ने पीएमओ से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी कि जिन तीन बंदरों की मूर्ति बापू हमेशा अपने साथ रखते थे, वे कहां हैं।

By Pratibha KumariEdited By: Updated: Tue, 06 Feb 2018 11:10 AM (IST)
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सरकार को भी नहीं पता, कहां गए लोगों को सीख देने वाले गांधीजी के तीन बंदर

भोपाल, नईदुनिया। बुरा मत देखो..बुरा मत बोलो..बुरा मत सुनो.. की सीख देने वाले गांधीजी के तीन बंदर तो आपको याद होंगे। इन तीन बंदरों की मूर्ति को बापू हमेशा अपने साथ रखते थे और कई बार भाषणों में इसका जिक्र भी करते थे। वे तीन बंदर कहां हैं, किस हालत में हैं। इसकी जानकारी सरकार को भी नहीं है। भोपाल के सामाजिक कार्यकर्ता राजीव खरे ने पीएमओ से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी कि जिन तीन बंदरों की मूर्ति बापू हमेशा अपने साथ रखते थे, वे कहां हैं और उन्‍हें किस चीज या धातु से बनाया गया था।

पीएमओ ने खरे के आवेदन पर जवाब देते हुए कहा कि यह प्रश्न प्रधानमंत्री कार्यालय से संबंधित नहीं है। केंद्र सरकार के संबंधित लोक प्राधिकरण से ही इस बारे में पूछा जाए। इसके बाद खरे ने संस्कृति मंत्रालय में आवेदन देकर यह जानकारी मांगी, लेकिन तय समय बीतने के बाद भी मंत्रालय ने जानकारी नहीं दी कि हमेशा गांधीजी के साथ रहने वाली तीन बंदरों की वह मूर्ति आखिर कहां है?

केंद्रीय सूचना आयोग में करेंगे अपील

आरटीआई लगाने वाले राजीव खरे ने बताया कि संस्कृति मंत्रालय ने कानून के तहत निश्चित समय में इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी तो संस्कृति मंत्रालय के अपीलीय अधिकारी के पास भी अपील की। अपील का समय भी लगभग खत्म होने को है, यदि सुनवाई नहीं होती है तो केंद्रीय सूचना आयोग में इस संबंध में अपील दायर करूंगा।

चीन के प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की थी मूर्ति

तीन बंदरों की वह मूर्ति गांधीजी को नागपुर के पास स्थित सेवाग्राम आश्रम में चीन के प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की थी। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने तीन बंदरों की मूर्ति बापू को देते हुए कहा था कि इसकी कीमत खिलौने से ज्यादा भले न हो, लेकिन इन बंदरों से मिलने वाले संदेश चीन में बेहद लोकप्रिय हैं।

पीएम मोदी ने की जापानी प्रधानमंत्री को गिफ्ट

पिछले दिनों जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत दौरे के दौरान साबरमती आश्रम पहुंचे थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आबे को संगमरमर से बने तीन बंदरों की मूर्ति भी उपहार में दी थी।

तीन बंदरों के नाम

तीनों बंदरों के अलग-अलग नाम भी हैं। मिजारू : बुरा न देखने वाला बंदर। किकाजारू : बुना न सुनने वाला बंदर। इवाजारू : बुरा न बोलने वाला बंदर।