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सजा-ए-काला पानी: ऐसी ‘जिंदगी‘ जब कैदी मांगते थे मौत की दुआ, कब और क्यों बनी थी सेल्यूलर जेल?

काला पानी या सेल्यूलर जेल हमेशा से चर्चित रही है। इसे ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता सैनानियों को सजा देने के लिए बनाया था। इस जेल के नाम मात्र से ही लोगों की रूह कांप जाती थी। क्या होती है काला पानी की सजा और क्यों दी जाती है?

By Versha SinghEdited By: Versha SinghUpdated: Thu, 01 Jun 2023 08:00 PM (IST)
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ऐसी ‘जिंदगी‘ जब कैदी मांगते थे मौत की दुआ
नई दिल्ली, वर्षा सिंह। एक समय था जब अंडमान निकोबार में स्थित सेल्यूलर जेल (Cellular jail Andaman) बहुत चर्चित थी। इस जेल को लोग काला पानी (Kala pani saja) भी कहते हैं। आज भी इसे इसी नाम से जाना जाता है। इस जेल के नाम से ही कैदियों की रूह कांप जाती थी।

इस जेल को अंग्रेजों ने बनवाया था, जोकि अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में स्थित है। 1942 में जापान ने अंडमान द्वीप पर कब्जा कर अंग्रेजों को खदेड़ दिया था। हालांकि 1945 में दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने पर ये फिर से अंग्रेजों के कब्जे में आ गया था।

इस जेल को अंग्रेजों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनवाया था। कालापानी का भाव सांस्कृतिक शब्द 'काल' से बना माना जाता है, जिसका अर्थ समय या मृत्यु होता है। यानी काला पानी शब्द का अर्थ मृत्यु के उस स्थान से है, जहां से कोई भी वापस नहीं आता है। आइए इस खबर के माध्यम से जानते हैं कि कहां है काला पानी जेल और कैदियों को क्यों दी जाती थी काला पानी की सजा।  

काला पानी की सजा क्या थी?

अंग्रेजों के जमाने में काला पानी (Kala Pani Jail) की सजा दी जाती थी। ये सजा मौत से भी बदतर मानी जाती थी क्योंकि इसमें व्यक्ति को जिंदा रहते हुए वो कष्ट सहने पड़ते थे, जो मौत से भी ज्यादा दर्दनाक होते थे और तड़पते हुए मौत होती थी।

कहां स्थित है सेल्यूलर जेल?

सेल्यूलर जेल (cellular jail kahan hai) अंडमान के पोर्ट ब्लेयर (Cellular Jail Andaman and Nicobar) में स्थित है। इस जेल को बनाने में करीब 10 साल लग गए थे। इस जेल की 7 ब्रांच थीं, जिसके बीच में एक टावर बना हुआ था। यह टावर इसलिए बनाया गया था ताकि कैदियों पर आसानी से नजर रखी जा सके। संभावित खतरे को भांपने के लिए इस टावर के ऊपर एक घंटा भी था।

सेल्यूलर जेल कब बनी?

सेूल्यूलर जेल (cellular jail kab bana) की नींव 1897 ईस्वी में रखी गई थी और 1906 में यह बनकर तैयार हो गई थी। इस जेल में कुल 698 कोठरियां बनी थीं और प्रत्येक कोठरी 15×8 फीट की थी। इन कोठरियों में तीन मीटर की ऊंचाई पर रोशनदान बनाए गए थे ताकि कोई भी कैदी दूसरे कैदी से बात न कर सके।

काला पानी की सजा कब और किसने शुरू की?

सेल्यूलर जेल का निर्माण (formation of cellular jail) कार्य 1896  में शुरु हुआ था। जिसके बाद इस जेल के बनने का काम 1906 में पूरा हुआ था। इस जेल का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने करवाया था। इस जेल में ब्रिटिश सरकार भारत के स्वतंत्रता सैनानियों को रखती थी। इस जेल की निर्माण लागत लगभग ₹517000 थी। 

सेल्यूलर जेल का दूसरा नाम क्या है?

सेल्यूलर जेल को काला पानी (cellular jail new name) के नाम से भी जाना जाता है। ये जेल एक औपनिवेशिक जेल है जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित है। जेल को 1896 के विद्रोह के बाद 1906 और 1857 के बीच राजनीतिक कैदियों को पकड़ने और समाज से अलग करने के लिए बनाया गया था।

काला पानी की सजा क्यों दी जाती थी?

इस सजा के अंतर्गत अंग्रेजी सरकार का विरोध करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को उम्र भर (cellular jail punishment) के लिए काले पानी की सजा दे दी जाती थी ताकि उनके विरोध के कारण जो प्रभाव जनता पर पड़ा है वह पूर्णतः समाप्त हो सके और आगे से कोई भी व्यक्ति सरकार का विरोध करने की कोशिश न करे।

जब पहुंचा था कैदियों का पहला जत्था

फौजी डॉक्टर और आगरा जेल के वार्डन जे. पी. वॉकर और जेलर डेविड बेरी की निगरानी में 'बागियों' को लेकर पहला जत्था 10 मार्च सन 1858 को एक छोटे युद्ध पोत में वहां पहुंचा।

खरल के साथी संभावित तौर पर उसी जहाज में ले जाए गए होंगे। फिर कराची से और 733 कैदी लाए गए और फिर यह सिलसिला जारी रहा।

सईद लिखते हैं काला पानी (Kala Pani ki saja) एक ऐसा कैदखाना था जिसके दर-ओ-दीवार का भी वजूद नहीं था। अगर चारदीवारी या चौहद्दी की बात की जाए तो समुद्री किनारा था और परिसर की बात की जाए तो उफान मारता हुआ अदम्य समुद्र था। कैदी कैद होने के बावजूद आजाद थे लेकिन फरार होने के सारे रास्ते बंद थे और हवाएं जहरीली थीं।

जब कैदियों का पहला जत्था वहां पहुंचा तो स्वागत के लिए सिर्फ पथरीली और बेजान जमीन, घने और बड़े पेड़ों वाले ऐसे जंगल थे, जिनसे सूरज की किरणें छन कर भी धरती के गले नहीं लग सकती थीं। खुला नीला आसमन, प्रतिकूल और विषैली जलवायु, गंभीर जल संकट और शत्रुतापूर्ण जनजातियां।

कैदी न कर सके बगावत

इतिहासकार और शोधकर्ता वसीम अहमद सईद अपने शोध 'काला पानीः 1857 के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी' (cellular jail prisoners) में लिखते हैं, 'अंग्रेजों ने यहां अपना परचम लहराने के अलावा कैदियों की बस्ती और उपनिवेश बनाने के लिए सन् 1789 में पहली कोशिश की जो विफल हो गई थी। बाद में सन् 1857 का हंगामा बरपा तो फांसियों, गोलियों और तोप से क्रांतिकारियों की जानें ली गयीं।'

उम्र कैद भी दी गई लेकिन किसी दूर-दराज जगह पर सजा देने की बस्ती या कैदियों की कॉलोनी की जरूरत महसूस की गई ताकि अंग्रेजों से 'बागी' हुए लोग फिर से बगावत या विरोध न कर सकें। उनकी निगाह अंडमान द्वीप समूह पर ही गई।

ये द्वीप कीचड़ से भरे थे। यहां मच्छर, खतरनाक सांप, बिच्छुओं, जोंकों और अनगिनत प्रकार के जहरीले कीड़ों की भरमार थी।

क्या काला पानी की सजा आज भी दी जाती है?

अंग्रेजों ने काला पानी की सजा के लिए खासतौर पर एक जेल बनवाई थी। ये जेल अंडमान निकोबार द्वीप (Andaman Nicobar Islands) की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में आज भी मौजूद है और अंग्रेजों के अत्याचारों की गवाह है। इस जेल को सेल्‍युलर जेल (Kala Pani jail ki saja) कहा जाता है। हालांकि अब ये जेल लोगों के लिए एक स्मारक के तौर पर मशहूर है, जिसे देखने के लिए देशभर के सैलानी पोर्ट ब्लेयर आते हैं।

सेल्यूलर जेल में कितने कैदी थे?

यह जेल काला पानी (kala pani prison torture) के नाम से प्रसिद्ध थी। अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की गवाह रही है। इस जेल की नींव 1897 में रखी गई थी। इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। हालांकि कैदियों की संख्या स्पष्ट नहीं है।

सेल्यूलर जेल किसने बनाई थी?

सेल्यूलर या काला पानी जेल को अंग्रेजों ने बनवाया था। सेल्यूलर जेल पोर्ट ब्लेयर (Cellular Jail Port Blair) शहर के केंद्र से लगभग 2 किमी दूर स्थित है। यह औपनिवेशिक काल से मौजूद सबसे डरावनी जेलों में से एक है।

अंडमान को काला पानी क्यों कहा जाता है?

सेल्यूलर जेल को काला पानी (kala pani jail) कहा जाता था क्योंकि जेल के चारों तरफ समुद्र था और इसलिए कोई भी कैदी यहां से बच के जानेक की उम्मीद नहीं कर सकता था। सेल्यूलर जेल का उपयोग विशेष रूप से अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान दूरस्थ द्वीपसमूह में राजनीतिक कैदियों को निर्वासित करने के लिए किया गया था।

बीमारियों से भरी थी सेल्यूलर जेल

सेल्यूलर जेल (what is kala pani punishment) में कैदियों के साथ बीमारियों का भी घर होता था। हर कोठरी पर छप्पर था जिसमें कैदियों के लिए सिर्फ दुख और भयंकर रोग भरे हुए थे। हवा बदबूदार और बीमारियों का खजाना थी। बीमारियां, असीमित खुजली और दाद जैसा एक और चर्मरोग जिसमें बदन की खाल फटने और छिलने लगती है, जो वहां बहुत ही आम थीं।

कैदियों को कोई भी बीमारी होने के बाद उसका इलाज, सेहत की देखभाल और घाव भरने का कोई उपाय भी नहीं था।

दुनिया की कोई भी मुसबीत यहां की दर्दनाक मुसीबतों की बराबरी नहीं कर सकती थी। और जब कोई भी कैदी मर जाता था तो लाश ले जाने वाला उसकी टांग पकड़कर खींचता और बिना नहलाये उसके कपड़े उतारकर रेत के ढेर में दबा देता। न उसकी कब्र खोदी जाती थी और न नमाज ए जनाजा पढ़ी जाती थी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) को बंबई के गवर्नर ने भारत के सबसे खतरनाक पुरुषों में से एक बताया था। सावरकर को 1909 में गिरफ्तार किया गया था। उन पर विभिन्न अधिकारियों की हत्याओं का आयोजन करके भारत में ब्रिटिश सरकार (british government made cellular jail) को उखाड़ फेंकने की साजिश में भाग लेने का आरोप लगा था। उन्हें 25-25 साल की सजा के 2 टर्मों के साथ अंडमान द्वीप समूह में सेल्यूलर जेल भेज दिया गया था। ये सजाएं साथ-साथ नहीं, बल्कि एक के बाद एक चलती। इसका मतलब यह था कि वह 23 दिसंबर,

जेल में रहते हुए अंग्रेज सावरकर के आंदोलनों को खत्म करने के लिए प्रताड़ित करते थे। लेकिन इन प्रताड़नाओं का सावरकर पर कोई असर नहीं पड़ता था। जेल में कागज-कलम न होने के कारण वे जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कविताएं लिखा करते थे।