G20 Summit: भारत, अमेरिका, सऊदी और यूरोप के बीच होगी बहुत बड़ी डील, चीन को लगेगा झटका!
जी20 समिट में भारत अमेरिका (US) सऊदी अरब (Saudi Arabia) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी बहुत बड़ी डील होने वाली हैं। यह डील रेलवे और बंदरगाहों (unveil rail ports deal) से सबंधित होगी। इस डील से क्षेत्र के निम्न और मध्यम आय वाले देशों को बेहद लाभ पहुंचेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने कहा इन प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ना एक बहुत बड़ा अवसर है।
By Nidhi AvinashEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sat, 09 Sep 2023 12:30 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। G20 Summit Deal: राजधानी दिल्ली में जी20 समिट (G20 Summit) की शुरुआत के साथ ही विश्व नेताओं का जमावड़ा देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के कई शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते है।
इसी को देखते हुए जी20 समिट में भारत (India), अमेरिका (United States), सऊदी अरब (Saudi Arabia) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी बहुत बड़ी डील होने वाली हैं। यह डील रेलवे और बंदरगाहों से सबंधित होगी। मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया को जोड़ने वाले एक बहुराष्ट्रीय रेल और बंदरगाह सौदे की घोषणा शनिवार यानी (9 सितंबर) को जी20 समिट के मौके पर की जाएगी। इसकी जानकारी व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने दी है।
बेहद महत्वपूर्ण है यह समझौता
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन वैश्विक बुनियादी ढांचे पर चीनी बेल्ट का मुकाबला करना चाहते हैं और इसलिए यह डील एक महत्वपूर्ण समय पर किया जा रहा है। बाइडन की जी20 समूह में विकासशील देशों के लिए वाशिंगटन को एक वैकल्पिक भागीदार और निवेशक के रूप में पेश करने की योजना है।इसे भी पढ़े: G20 Summit 2023 LIVE Updates: 'भरोसा हो तो कोई संकट नहीं टिक सकता' पीएम मोदी के संबोधन के साथ हुई G20 शिखर सम्मेलन की शुरुआतइसे भी पढ़े: Video: मोदी-बाइडन की गजब की जुगलबंदी, हाथ पकड़कर कोणार्क चक्र के बारे में बताते दिखे पीएम
इस डील का क्या है उद्देश्य?
नई दिल्ली में आयोजित वार्षिक शिखर सम्मेलन में अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने संवाददाताओं से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस डील से क्षेत्र के निम्न और मध्यम आय वाले देशों को बेहद लाभ पहुंचेगा। इससे वैश्विक वाणिज्य में मध्य पूर्व के लिए महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि इसका उद्देश्य मध्य पूर्व के देशों को रेलवे से जोड़ना और उन्हें बंदरगाह द्वारा भारत से जोड़ना है, जिससे शिपिंग समय, लागत और ईंधन के उपयोग में कटौती करके खाड़ी से यूरोप तक ऊर्जा और व्यापार के प्रवाह में मदद मिलेगी।