Mobile Phones History: 2 किलो का था पहला मोबाइल फोन, जानिए 50 साल में क्या–क्या बदला और कैसा रहा इसका सफर
आज मोबाइल फोन जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। आज सबके पास मोबाइल है चाहे गरीब हो या अमीर। युवा से लेकर बुजुर्ग तक सबकी जिंदगी इस स्मार्ट हो चुके मोबाइल पर निर्भर है। मोबाइल से स्मार्टफोन तक का सफर बेहद दिलचस्प रहा है...आइए डालते हैं एक नजर...
By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Mon, 03 Apr 2023 01:04 PM (IST)
नई दिल्ली, बबली कुमारी। First Mobile in World: इंसानी इतिहास में फोन का आविष्कार अपने आप में ही एक बड़ी क्रांति थी। उसके लगभग सौ साल बाद मोबाइल फोन हमारी जिंदगी में आया और उसके आते ही जैसे सब कुछ बदल गया। एक ईंट जैसे बड़े पत्थर वाले फोन से लेकर आज एक हथेली जितना अत्याधुनिक कंप्यूटर हमारी जेब में पड़ा हुआ है।
मोबाइल ने अपना ये सफर बड़े बदलावों के साथ तय किया है। आज ये हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बन चुका है। इसके बिना दिन के बहुत से काम ठप पड़ जाते हैं। मोबाइल फोन से अब ये स्मार्टफोन बन चुका है। एक ऐसा डिवाइस जो कई कामों को चंद मिनटों में आसान बना देता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया का पहला मोबाइल फोन कौन सा था, इसे कब और किसने बनाया, किस कंपनी ने लॉन्च किया, इसकी क्या कीमत थी और इसका कितना बैटरी बैकअप था। आज के इस आर्टिकल में हम इन्हीं सवालों के जवाब देने जा रहे हैं।
दुनिया का पहला मोबाइल फोन
बनाने वाले इंजीनियर: मार्टिन कूपरतारीख : 3 अप्रैल 1973
कंपनी: मोटोरोला3 अप्रैल 1973 मोबाइल फोन का बर्थडे कहा जाता है। इसी तारीख को मोबाइल फोन का पहली बार इस्तेमाल किया गया था। इस मोबाइल फोन को अमेरिकन इंजीनियर मार्टिन कूपर ने बनाया था। हमारी आज की भाषा में कहा जाए तो 3 अप्रैल 1973 को दुनिया का पहला मोबाइल फोन लॉन्च हुआ था। कंपनी की बात की जाए तो पहला मोबाइल बनाने वाली कंपनी का नाम मोटोरोला है।
पहला मोबाइल फोन बनाने वाले इंजीनियर थे मार्टिन कूपर
Martin Cooper was the engineer who made the first mobile
बता दें कि दुनिया का पहला मोबाइल फोन बनाने वाले इंजीनियर मार्टिन कूपर ने 1970 में मोटोरोला कंपनी को ज्वाइन किया था। इसके मात्र 3 साल में उन्होंने वह कर दिखाया जो काबिल ए तारीफ था। आइए अब दुनिया के पहले मोबाइल फोन के वजन, बैटरी बैकअप और कीमत के बारे में जानते हैं। आज हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन दिखना आम बात हो गई हैं, लेकिन जैसा कि आप जानते हैं स्मार्टफोन से पहले तक सिर्फ मोबाइल फोन का चलन था। लोग अक्सर एक-दूसरे से बात करने के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करते थे। हालांकि आज के स्मार्टफोन की तुलना में उस फोन में सिर्फ कॉलिंग और मैसेंजिंग के अलावा कुछ खास फ़ीचर्स नही थे। फिर भी इसे संचार का सबसे पर्याप्त माध्यम माना गया था।पहले मोबाइल फोन से सिर्फ 30 मिनट तक होती थी बात
अमेरिकन इंजीनियर मार्टिन कूपर ने जिस मोबाइल को बनाया, उसका वज़न 2 किलो से भी ज्यादा था। इसके इस्तेमाल के लिए एक बड़ी बैटरी को कंधे पर लटका कर चलना पड़ता था। इसके अलावा, एक बार चार्ज होने के बाद दुनिया के पहले मोबाइल से सिर्फ 30 मिनट तक ही बात की जा सकती थी, और इसे दोबारा चार्ज करने में 10 घंटे का समय लग जाता था। 1973 में बने मोबाइल की कीमत की बात की जाए तो इसकी कीमत लगभग 2700 अमेरिकी डॉलर (2 लाख रुपए) थी।VIDEO: Martin Cooper, an American engineer dubbed the "Father of the cell phone," says the neat little device we all have in our pockets has almost boundless potential, but right now, we can be a little obsessed. pic.twitter.com/1m9S9O0h9i
— AFP News Agency (@AFP) April 2, 2023
मोबाइल फोन से जुड़े कुछ रोचक बिंदुओं पर एक नजर-
- 1972 में पहली बार मार्टिन कूपर को ऐसा डिवाइस बनाने का आइडिया आया जिसे रिमोट तरीके से इस्तेमाल कर सकें।
- यह मोबाइल 13 सेमी मोटा और 4.45 सेमी चौड़ा था, जिसकी तुलना ईंट या जूते से की जाती थी।
- जहां आज के मोबाइल को चार्ज होने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है और इसकी बैक अप क्षमता 1 से 2 दिन होती है। वहीं दुनिया के पहले मोबाइल फोन को पूरी तरह से चार्ज होने में 10 घंटे का समय लगता था, जिसके बावजूद यह सिर्फ 20 मिनट तक ही चल पाता था।
- पहला फोन मोटोरोला कंपनी के साथ मिलकर बनाया। की पैड (Key-Pad) के साथ बने इस फोन का वजन लगभग दो किलो था।
- 1983 में मोटोरोला ने जिस पहले मोबाइल हैंडसेट को बाजार में उतारा था, उसकी कीमत लगभग दो लाख रुपए थी. इस मोबाइल हैंडसेट का नाम Dyna TAC 8000x था।
- तीन अप्रैल 1973 को पहली फोन कॉल के बारे में कूपर बताते हैं कि 50 साल पहले उन्होंने उनसे मुकाबला कर रहे शख्स को फोन मिलाया था।
- अमेरिकन इंजीनियर मार्टिन कूपर को 'फादर ऑफ सेल फोन' भी कहा जाता है।
भारत में 1995 में शुरू किया गया था मोबाइल सेवा
मोदी टेल्स्ट्रा नाम की कंपनी ने भारत में इस सेवा की शुरुआत की थी। कंपनी ने इस सर्विस का नाम मोबाइल नेट रखा था। यह कंपनी बाद में स्पाइस टेलीकॉम के नाम से अपनी सेवाएं देने लगी। मोबाइल नेट की सेवाओं के लिए नोकिया के हैंडसेट का उपयोग हुआ था। भारत में पहली मोबाइल कॉल की गई 31 जुलाई 1995 को। यह कॉल कोलकाता से दिल्ली के लिए की गई थी। पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने उस समय के केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम को यह कॉल की थी। यह कॉल नोकिया के हैंडसेट (2110) से की गई थी। यह जीएसएम नेटवर्क पर पहली कॉल थी।