Bageshwar Dham वाले Dhirendra Shastri का कठिनाइयों में बीता बचपन, जानें- बाला जी भगवान के भक्त की कहानी
Bageshwar Dham के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सोशल मीडिया से लेकर टेलवीजन तक हर तरफ छाए हुए हैं। लोगों के मन की बात को पढ़कर उनके समस्याओं का निपटारा करने का दावा करने वाले बाबा विवादों में घिरे हैंं। आइए जानते हैं धीरेंद्र शास्त्री की क्या है कहानी
By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Fri, 20 Jan 2023 06:25 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। बिना समस्या बताए लोगों के मन की बात को पढ़ लेना। व्यक्ति को देखकर उसकी भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी जान लेना फिर समस्या का समाधान भी बता देना। आधुनिक दुनिया में यह चमत्कार बाबा बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के नाम से मशहूर धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री (Dhirendra Shastri) करने का दावा करते हैं। इंसान की समस्याओं को उससे बिना पूछे धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री कागज पर लिख देते हैं और बिना बताए ही लोगों के मन की बात भी जान लेते हैं। यह दावा लाखों की संख्या में मौजूद धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री के भक्त करते आए हैं।
बिना पूछे लोगों की परेशानियों जानने का दावा करते हैं बाबा
आज के समय मध्य प्रदेश में मौजूद बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सोशल मीडिया से लेकर टेलवीजन तक हर तरफ छाए हुए हैं। भक्तों की मानें तो गुरुजी पर भगवान हनुमान जी की असीम कृपा है, दिव्य दरबार में भगवान हनुमान जी और दिव्य शक्तियों उनको प्रेरणा देती है। मौजूदा वक्त में लाखों लोग देश विदेश से बागेश्वरधाम आ रहे हैं। यह बाला जी को समर्पित भगवान का मंदिर है।इस मंदिर के पीछे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा सेतुलाल गर्ग संन्यासी बाबा की समाधि है। इस जगह पर धीरेंद्र गर्ग भी भागवथ कथा का कई बार आयोजन कर चुके हैं। इसके बाद यह मंदिर बागेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध हो गया। आज के समय लोग अपनी जिंदगी से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए बागेश्वर धाम आते हैं और बाबा उन्हें उनकी परेशानियों से निजात दिलाने का दावा करते हैं।
गरीबी में गुजारा बाबा ने अपना बचपन
15 जुलाई 1996 को मध्य प्रदेश के छतरपुर में जन्मे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बचपन अति गरीबी में बीता। एक कच्चे मकान में उनका पूरा परिवार रहता था। उनके मां का नाम श्रीमति सरोज और उनके पिता का नाम पंडित श्री रामकृपाल गर्ग है। बताया जाता है कि वो बचपन से काफी होशियार थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई। उनके पिता पुरोहित गिरी के जरिए अपना परिवार चलाते थे। जब गांव में इनके परिवार के चाचा और कुछ लोगों ने पुरोहित गिरी का काम आपस में बांट लिया तो महाराज का परिवार आर्थिक संकट से घिर गया। उनकी माता सरोज को भैंस से दूध बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करना पड़ा।
बचपन से ही धीरेंद्र शास्त्री लोगों को प्रभावित करने में माहिर हो गए। वो कम उम्र में ही गांव में लोगों के बीच बैठकर कथा सुनाने लगे। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मानें तो उन्होंने 8-9 वर्ष से ही बागेश्वर बालाजी की सेवा शुरू कर दी थी। जब वो 12-13 वर्ष के थे तो उन्हें यह अनुभव होने लगा कि उनपर बागेश्वर बालाजी की विशेष कृपा है। साल 2009 में उन्होंने अपनी पहली भागवत कथा सुनाई थी।