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G-20 Summit: कभी अमेरिका में हुए थे नस्लीय भेदभाव के शिकार, फुमियो किशिदा की मेजबानी को तैयार है भारत

G-20 Summitऐसा कहा जाता है कि जापान और भारत के बीच दोस्ती और आदान-प्रदान छठी शताब्दी में शुरू हुआ था जब बौद्ध धर्म जापान में लाया गया था। बौद्ध धर्म से निकली भारतीय संस्कृति का जापानी संस्कृति पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है और यही जापानी लोगों की भारत के प्रति निकटता की भावना का स्रोत है। इसी निकटता को बढ़ाने में G-20 सम्मेलन एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाएगा।

By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Sat, 02 Sep 2023 04:27 PM (IST)
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G20 Summit Delhi: जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा होंगे G-20 सम्मेलन में शामिल
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत इस साल G20 की मेजबानी कर रहा है। इस सम्मेलन में दुनियाभर के 40 से ज्यादा देश और उन देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे। भारत की राजधानी दिल्ली में इस भव्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मेलन 9-10 सितंबर को आयोजित किया जा रहा है। भारत में इसकी तैयारी जोरशोर से की जा रही है। अलग-अलग देशों के कई दिग्गज राष्ट्राध्यक्षों की मेहमान नवाजी के लिए भारत तैयार है। G20 के इस अध्यक्षता की वजह से भारत को लेकर कहा जा रहा है कि इससे देश को भविष्य में काफी फायदा मिलने वाला है।

इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत कई दिग्गज भारत के सरजमीं पर कदम रखने वाले हैं जिसके लिए भारत पूरी गर्मजोशी से 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की विचारधारा के साथ G20 के इस सम्मेलन में सभी मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार है। इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पहली बार भारत की जमीन पर कदम रखने वाले हैं। यह अपनेआप में एक ऐतिहासिक पल होने वाला है। इस पल का भारत को बेसब्री से इंतज़ार है जब राष्ट्रपति बाइडेन राजधानी दिल्ली पहुचेंगे और पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे।

वहीं इन सभी मेहमानों के लिस्ट में शामिल हैं जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा। जापान के प्रधानमंत्री का इसी साल यह दूसरा भारत दौरा है। इससे पहले मार्च 2023 को पीएम किशिदा भारत के दौरे पर आए थे। मार्च के दौरे के बाद फुमियो किशिदा के भारत के इस दूसरे दौरे को लेकर भारत बहुत ही आशावान है।

कौन है फुमियो किशिदा ?

  • फुमियो किशिदा जापान के 64वें प्रधानमंत्री हैं।
  • किशिदा 4 अक्टूबर 2021 से जापान के प्रधानमंत्री के पद पर हैं।
  • सितंबर 2021 में, किशिदा को रूढ़िवादी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था।
  • फुमियो किशिदा शिंजो आबे सरकार के दौरान 2012 से 2017 तक जापान के विदेश मंत्री रह चुके हैं।
  • जापान के दीर्घकालिक क्रेडिट बैंक (वर्तमान में शिन्सेई बैंक) ने स्नातक होने के बाद किशिदा को काम पर रखा। टोक्यो में विदेशी मुद्रा में काम करने के बाद, उन्हें ताकामात्सू में समुद्री शिपिंग फर्मों के साथ काम करने के लिए कागावा प्रान्त में स्थानांतरित कर दिया गया। नकदी-प्रवाह की समस्याओं के कारण, उन्होंने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को अक्सर संस्थापक और असफल होते देखा।
  • जब उनके पिता को संयुक्त राज्य अमेरिका में काम करने के लिए नियुक्त किया गया, तो पूरा परिवार न्यूयॉर्क शिफ्ट हो गया। किशिदा ने पहली से तीसरी कक्षा तक एक स्थानीय सार्वजनिक प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की, जहां वह अमेरिका के उदार माहौल से प्रभावित हुए और विविधता का सम्मान करना सीखा।
  • अपने पिता के अभियान में मदद करने और एक बैंक के लिए काम करने से फुमियो किशिदा में लोगों के जीवन की रक्षा करके और समग्र रूप से समाज में सुधार करके सीधे सेवा करने की इच्छा जागृत हुई। इसी इच्छा ने उन्हें राजनीति की ओर अग्रसर किया।
  • 1993 में किशिदा ने अपने पिता की मृत्यु के बाद, वह हिरोशिमा के एक जिले में अपने पिता की सीट से चुनाव लड़े और उस सीट से उनकी पहली राजनीतिक लड़ाई में जीत हुई। इसी जीत से इनका राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई। 

अमेरिका में हुए थे नस्लीय भेदभाव के शिकार

पीएम फुमियो किशिदा जब छह साल के थे तब अपने पिता के काम के कारण अपने परिवार के साथ न्यूयॉर्क गए थे। किशिदा क्वींस के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की जहां उन्हें जापानी होने के कारण कई बार ताना मारा गया। जब भी वह बाथरूम जाया करते तो बच्चे उनपर चिल्लाते थे और वह अक्सर भेदभावपूर्ण टिप्पणियों के शिकार बना करते थे। एक शो में पीएम किशिदा ने उन दिनों को याद करते हुए कहा था कि अमेरिका में उन अनुभवों ने उनके अंदर न्याय की मजबूत भावना पैदा की। उनका मानना है कि यही उनके राजनेता बनने की चाहत का शुरुआती बिंदु था। अमेरिका में अपनी कठिनाइयों भरे दिन के बावजूद भी किशिदा इस बात के कायलथे कि अमेरिका कितना खुला और स्वतंत्र है।