Missile Rani: अग्नि 5...'मिशन दिव्यास्त्र', कौन हैं शीना रानी जिन्हें दुनिया कह रही दिव्य पुत्री
भारत ने मिशन दिव्यास्त्र के तहत मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी के साथ देश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस परियोजना का नेतृत्व हैदराबाद में देश के मिसाइल परिसर की एक महिला वैज्ञानिक शीना रानी ने किया है जो 1999 से अग्नि मिसाइल सिस्टम पर काम कर रही हैं। इस खबर में जानिए कौंन हैं शीना रानी जिन्हें दुनिया कह रही दिव्य पुत्री?
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने 'मिशन दिव्यास्त्र' के तहत 'मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल' (MIRV) टेक्नोलॉजी के साथ देश में विकसित अग्नि-5 मिसाइल का सोमवार 11 मार्च को सफल परीक्षण किया। ये परीक्षण ओडिशा स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर किया गया। इसके साथ ही ऐसी क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों के समूह में भारत शामिल हो गया।
अग्नि-5 की मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है और इसे देश की सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए बनाया गया है। यह मिसाइल चीन के उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक सीमा के तहत ला सकती है। अग्नि 1 से 4 मिसाइलों की रेंज 700 किमी से 3,500 किमी तक है।
कौन हैं शीना रानी?
इस परियोजना का नेतृत्व हैदराबाद में देश के मिसाइल परिसर की एक महिला वैज्ञानिक शीना रानी ने किया है, जो 1999 से अग्नि मिसाइल सिस्टम पर काम कर रही हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट को शीना रानी ने ही लीड किया है। जिस प्रकार PM मोदी ने पूरे मिशन को 'मिशन दिव्यास्त्र' का नाम दिया ठीक वैसे ही वैज्ञानिक शीना रानी की चर्चा अब कई लोग 'दिव्य पुत्री' के रूप में कर रहे हैं।'मिशन दिव्यास्त्र' प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहीं वैज्ञानिक शीना रानी ने कहा कि मैं डीआरडीओ की एक गौरवान्वित सदस्य हूं जो भारत की रक्षा में मदद करती है। रानी ने कहा कि वह भारत की प्रसिद्ध मिसाइल प्रौद्योगिकीविद् 'अग्नि पुत्री' टेसी थॉमस के नक्शेकदम पर चलती हैं, जिन्होंने अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।कंप्यूटर विज्ञान में विशेषज्ञता के साथ एक प्रशिक्षित इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियर शीना रानी ने तिरुवनंतपुरम में इंजीनियरिंग कॉलेज में अध्ययन किया। उन्होंने भारत की अग्रणी नागरिक रॉकेटरी प्रयोगशाला, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में आठ वर्षों तक काम भी किया।
1999 से शीना कर रहीं अग्नि सीरीज पर काम
1998 में भारत के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद वह सीधे तौर पर DRDO में शामिल हो गईं। 1999 से ही शीना रानी अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों के लॉन्च कंट्रोल सिस्टम पर काम कर रही हैं। उन्हें भारत के 'मिसाइल मैन' और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा मिलती है, जो DRDO के प्रमुख भी रह चुके हैं।डॉ. कलाम ने भी अपना करियर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र से शुरू किया था और फिर इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का नेतृत्व करने के लिए DRDO में शामिल हुए थे।